कृषि आंदोलन को हुए 2 साल, मांगे पूरी न होने के विरोध में मार्च करेंगे किसान
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को दो साल होने के मौके पर आज किसान देशभर में राजभवनों तक मार्च करेंगे। केंद्र सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी देने और किसानों से केस वापस लेने जैसे वादों को पूरा न करने के खिलाफ ये मार्च निकाली जाएगी। 30 से अधिक किसान संगठनों के संघ संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में ये मार्च निकाली जाएंगी। मोर्चा ने बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है।
क्या है कृषि कानूनों और किसान आंदोलन का पूरा मामला?
2020 में केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानून लेकर आई थी जिनमें प्राइवेट मंडिया बनाने और अनुबंध खेती को अनुमति देने समेत कई बड़े प्रावधान किए गए थे। इन कानूनों का विरोध करते हुए हजारों किसानों ने 26 नवंबर, 2020 से लगभग एक साल तक दिल्ली की सीमाओं पर बड़ा आंदोलन किया था। उनके विरोध के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर, 2021 को तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया था।
प्रधानमंत्री ने किया था MSP पर समिति बनाने का वादा, अभी तक कुछ नहीं हुआ
कृषि कानूनों को वापस लेते हुए प्रधानमंत्री ने MSP की किसानों की मांग पर सुनवाई के लिए एक समिति बनाने का वादा भी किया था, हालांकि अभी तक इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है। इसी से नाराज किसान अब मार्च करने जा रहे हैं।
सरकार ने साबित किया कि वो देशद्रोही है- किसान मोर्चा
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता हन्नान मोल्लाह ने समाचार एजेंसी PTI से बात करते हुए मामले पर कहा, "उन्होंने हमें लिखित में दिया था और हमारी मांगों पर सहमत हुए थे, लेकिन कुछ नहीं किया गया। सरकार ने साबित कर दिया है कि वह देशद्रोही है और उसने देश के किसानों को धोखा दिया है। वे कॉरपोरेट्स की रक्षा कर रहे हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि हमारी मांगों को पूरा करने का उनका कोई इरादा नहीं है।"
हम एक और आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं- मोल्लाह
विरोध-प्रदर्शन पर मोल्लाह ने कहा, "हमने देख लिया है कि सरकार लोगों की सुनने को तैयार नहीं है। हमने एक और आंदोलन शुरू कर दिया है। शनिवार को हम देशभर में रैलियां करेंगे। इस बार हमारा आंदोलन दिल्ली तक सीमित नहीं होगा, बल्कि पूरे देश में होगा। किसान अपने-अपने राज्यों के राजभवनों तक मार्च करेंगे और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे।" मोल्लाह खुद लखनऊ में राजभवन तक की मार्च में शामिल होंगे।
"केवल आंदोलन को समाप्त कराने के लिए मांगों पर सहमत हुई थी सरकार"
किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के सदस्य अभिमन्यु सिंह कोहर ने भी कहा कि सरकार का वादे पूरा करने का कोई इरादा नहीं है और एक और आंदोलन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आंदोलन को समाप्त कराने के लिए सरकार उनकी मांगों पर सहमत हुई थी।
आगे की रणनीति तय करने के लिए 8 दिसंबर को होगी बैठक
आगे की रणनीति तय करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने 8 दिसंबर को एक महत्वपूर्ण बैठक भी बुलाई है। मोर्चा का कहना है कि न तो सरकार ने MSP पर सुनवाई के लिए सही तरीके से समिति बनाई और न ही आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए मामले वापस लिए गए हैं। कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले "किसान संगठनों" के शामिल होने के कारण मोर्चा सरकार की एक समिति को खारिज कर चुका है।