बिहार: जातिगत जनगणना आज से शुरू, मुख्यमंत्री ने कही केवल जातियों को सूचीबद्ध करने की बात
क्या है खबर?
बिहार में जनता दल यूनाइटेड (JDU) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रमुख एजेंडा रही जातिगत जनगणना की आखिरकार शनिवार से शुरुआत हो गई है।
इसकी जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) को सौंपी गई है। यह सर्वे दो चरणों में पूरा किया जाएगा।
पहले चरण 21 जनवरी तक चलेगा। इस सर्वेक्षण पर कुल 500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
इधर, शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस सर्वे में केवल जातियों को ही सूचिबद्ध किया जाएगा।
बयान
केवल जातियों को ही सूचीबद्ध किया जाएगा- मुख्यमंत्री
समाधान यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने जाति और उपजाति दोनों को सूचीबद्ध किए जाने संशय को स्पष्ट करते हुए कहा कि प्रत्येक परिवार की आर्थिक स्थिति के साथ-साथ केवल जातियों को ही सूचीबद्ध किया जाएगा। इसमें उपजाति शामिल नहीं की जाएगी। इसके लिए कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण भी दिया गया है।
उन्होंने कहा वह एक गलती रहित जातिगत जनगणना चाहते हैं और इसके लिए कर्मचारियों को पूरी सावधान बरतने को कहा गया है।
लाभ
"वंचित लोगों के लिए विकास कार्य करना है उद्देश्य"
मुख्यमंत्री ने कहा, "जाति आधारित गणना सभी समाजों के लिए फायदेमंद होगी। इसका उद्देश्य वंचित लोगों के लिए विकास कार्य करना है।"
उन्होंने कहा, "कई बार लोग जाति की जगह उपजाति बता देते हैं। ऐसी स्थिति में उनके पास में रहने वाले व्यक्ति से जाति के संबंध में जानकारी ली जाएगी। लोगों की आर्थिक स्थिति मिलने से उनके विकास की योजनाएं शुरू करने में मदद मिलेगी। इससे लोगों को फायदा मिलेगा तथा क्षेत्र का विकास होगा।"
प्रक्रिया
क्या होगी जातिगत जनगणना की प्रक्रिया?
GAD के एक अधिकारी ने बताया कि जनगणना जिला और पंचायत स्तर पर एकसाथ शुरू होगा। प्रत्येक घर को एक गणना संख्या दी जाएगी और कर्मचारी प्रत्येक घर में रहने वाले लोगों की सटीक संख्या उनकी जाति और जीवन यापन के लिए किए जाने वाले कार्य के विवरण के साथ प्राप्त करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस जनगणना में लोगों को किसी भी प्रकार का दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसे में यह बहुत आसान प्रक्रिया होगी।
सर्वे
मोबाइल ऐप से किया जाएगा पूरा सर्वे
अधिकारियों के अनुसार, यह सर्वे मोबाइल ऐप के जरिए डिजीटल तरीके से किया जाएगा। शुरुआत में पंचायत, ब्लाक और जिला स्तर पर सर्वे किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि ऐप में कुछ सवाल पहले से फीड किए गए हैं और लोगों ने वही सवाल पूछे जाएंगे। यह सवाल जगह, जाति, सदस्यों की संख्या, व्यवसाय और परिवार की वार्षिक आय के संबंध में होंगे। सर्वे की जिम्मेदारी शिक्षकों, आंगनबाड़ी, मनरेगा और जीविका कार्यकर्ताओं को सौंपी गई है।
जानकारी
30 अप्रैल से शुरू होगा दूसरा चरण
अधिकारियों के अनुसार, जनगणना का दूसरा चरण 30 अप्रैल से शुरू किया जाएगा। इस दौरान जनगणना में शामिल लोगों की जाति और धर्म का डाटा लिया जाएगा। सरकार ने मई 2023 तक जातीय सर्वेक्षण की प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य रखा है।
पृष्ठभूमि
बिहार सरकार ने 2018 में पारित किया था प्रस्ताव
बिहार सरकार ने साल 2018-19 में राज्य में जातिगत जनगणना कराने का प्रस्ताव पारित किया था।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई ऑल पार्टी मीटिंग में इस दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया गया था।
दावा किया जा रहा है कि इस सर्वे का सबसे बड़ा फायदा राज्य में जाति की राजनीति करने वाले नेताओं को होगा।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस सर्वे के परिणाम आने से उम्मीद है और इसका चुनावों पर सीधा परिणाम पड़ सकता है।
विरोध
भाजपा ने किया था जातिगत जनगणना का विरोध
भाजपा ने मुख्यमंत्री नीतीश के इस निर्णय का शुरू से विरोध किया है। साल 2021 में ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में स्पष्ट किया था कि देश में केवल अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की जनगणना का सर्वे कराया जा सकता है, लेकिन अन्य जातियों का सर्वे नहीं कराया जा सकता है।
इससे भाजपा के नीतीश सरकार से तनानती हो गई थी। हालांकि, बिहार के सभी दल इस पर एकमत थे।