कैसे हुई थी नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत और इसके लिए पैसा कहां से आता है?
क्या है खबर?
स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में सोमवार से नोबेल पुरस्कारों की घोषणा शुरू हो गई।
इसमें सबसे पहले चिकित्सा क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार स्वीडन के आनुवंशिकीविद स्वांते पाबो को दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार विलुप्त होमिनिन और मानव के क्रमिक विकास की आनुवांशिकी (जीनोम) से जुड़ी खोज के लिए दिया गया है।
अन्य श्रेणियों के पुरस्कारों की घोषणा आने वाले छह दिनों में की जाएगी।
इससे पहले आइए जानते हैं नोबेल पुरस्कार की शुरुआत और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।
शुरुआत
कैसे हुई थी नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत?
नोबेल पुरस्कार की शुरुआत 1901 में डायनामाइट के आविष्कारक और स्वीडन के उद्योगपति सर एल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के आधार पर की गई थी।
21 अक्टूबर, 1833 को जन्मे अल्फ्रेड नोबेल कारोबारी घराने से ताल्लुक रखते थे। पिता इमानुएल नोबेल के दिवालिया होने के बाद अल्फ्रेड नौ साल की उम्र में मां आंद्रिएता एहल्सेल के साथ सेंट पीटर्सबर्ग चले गए थे।
वहां रसायन विज्ञान की पढ़ाई के दौरान उन्होंने स्वीडिश, रूसी, अंग्रेजी, फ्रेंच और जर्मन भाषाएं सीखी थीं।
पहचान
यूरोप का सबसे अमीर अवारा के रूप में थी अल्फ्रेड नोबेल की पहचान
अल्फ्रेड नोबेल के नाम 355 पेटेंट थे, लेकिन डायनामाइट के आविष्कारक के तौर पर उन्होंने सबसे अधिक पहचान बनाईं।
उन्होंने डायनामाइट की 90 फैक्ट्रियां खोली थी और उस दौर में उन्हें यूरोप का सबसे अमीर अवारा कहा जाता था।
बीच में डायनामाइट का गलत इस्तेमाल बढ़ने से सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी। ऐसे में उन्होंने मानवता के हित में कदम उठाते हुए अपनी आखिरी वसीयत में अपनी सम्पत्ति में से पुरस्कार देने की इच्छा जताई थी।
पहला पुरस्कार
किसे और कब दिया गया था पहला नोबेल पुरस्कार?
1896 में अल्फ्रेड नोबेल की मौत होने के पांच साल बाद 29 जून, 1901 को पुरस्कार के वितरण के लिए नोबेल फाउंडेशन की स्थापना की गई थी और विल्हेम कॉनराड रॉन्टजेन को भौतिकी के क्षेत्र में पहला पुरस्कार दिया गया था।
उस दौरान चिकित्सा, भौतिकी, रसायन शास्त्र, साहित्य और शांति क्षेत्र के नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत हुई थी।
हालांकि, अर्थशास्त्र के नोबेल की शुरुआत स्वीडन के केंद्रीय बैंक ने 1968 में एल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में की थी।
पुरस्कार
किस क्षेत्र में कौन चुनता है नोबेल पुरस्कार विजेता?
नोबेल पुरस्कारों का प्रशासकीय कार्य नोबेल फाउंडेशन देखता है। इसी तरह रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज भौतिकी या फिजिक्स, केमिस्ट्री और अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेताओं का चयन करती है।
इसी तरह स्टॉकहोम के कैरोलिन इंस्टीट्यूट की नोबेल असेंबली चिकित्सा के क्षेत्र में विजेताओं का चयन करती है।
इसके अलावा साहित्य के क्षेत्र में स्वीडिश एकेडमी और शांति का नोबेल पुरस्कार विजेता का चयन नॉर्वे की संसद द्वारा चुनी गई समिति करती है।
आवेदन
नोबेल पुरस्कार के लिए कौन कर सकता है आवेदन?
नोबेल पुरस्कार की सभी श्रेणियों में बेहतरीन कार्य करने वाले सभी लोग आवेदन कर सकते हैं।
इसी तरह विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, कानूनविद, पूर्व नोबेल पुरस्कार विजेता और खुद नोबेल समिति के सदस्य भी किसी को नॉमिनेट कर सकते हैं।
खास बात यह है कि नामांकन को अगले 50 सालों तक गुप्त रखा जाता है, लेकिन इसे जमा करने वाले लोगों को अपना नाम सार्वजनिक करने की सिफारिश करने की छूट दी जाती है।
जानकारी
नोबेल पुरस्कार जीतने के लिए क्या जरूरी है?
नोबेल पुरस्कार जीतने के लिए धैर्य सबसे ज्यादा जरूरी है। वैज्ञानिकों को अक्सर नोबेल पुरस्कार समिति के सदस्यों द्वारा उनके काम को मान्यता देने के लिए सालों इंतजार करना पड़ता है। हालांकि, शांति पुरस्कार समिति हर साल विेजेता की घोषणा करती है।
पुरस्कार
नोबेल पुरस्कार में विजेताओं को क्या मिलता है और यह राशि कहां से आती है?
नोबेल पुरस्कार विेजेताओं को 196 ग्राम का गोल्ड मैडल (150 ग्राम सोना) और एक प्रमाणपत्र के साथ एक करोड़ क्रोनोर (लगभग नौ लाख डॉलर) यानी करीब 7.36 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि दी जाती है।
यह पुरस्कार राशि अल्फ्रेड नोबेल द्वारा छोड़ी गई संपत्ति में से दी जाती है। उनका पैसा स्वीडिश बैंक में जमा है और नोबेल फाउंडेशन उसका प्रबंधन करता है।
बैंक में जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज से ही यह पुरस्कार राशि दी जाती है।
सवाल
क्या मरणोपरांत भी मिल सकता है नोबेल पुरस्कार?
पुरस्कारों की शुरुआत में मरणोपरांत भी इसे दिए जाने का प्रावधान था, लेकिन 1974 में नोबेल फाउंडेशन के कानून में बदलाव कर इस पर रोक लगा दी।
हालांकि, पुरस्कारों की घोषणा और पुरस्कार समारोह के बीच किसी विजेता की मौत होने पर यह पुरस्कार दिया जा सकता है।
1974 से पहले दो लोगों को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया गया था। उनमें संयुक्त राष्ट्र के स्वीडिश महासचिव डैग हैमरस्कजॉल्ड और स्वीडन के एरिक एक्सल कार्लफेल्ड को शांति पुरस्कार दिया गया था।
जानकारी
भारत से किन हस्तियों को मिल चुका है नोबेल पुस्कार?
नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत के बाद रवीन्द्रनाथ टैगोर, मदर टेरेसा, अमर्त्य सेन, कैलाश सत्यार्थी, चंद्रशेखर वेकंटरमन, अभिजीत बनर्जी और हरगोविंद खुराना आदि को यह पुरस्कार मिल चुका हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को चार बार नामित किया गया था, लेकिन उन्हें कभी यह पुरस्कार नहीं मिला।