लालू-तेजस्वी के ठिकानों पर छापेमारी में मिली एक करोड़ रुपये की नगदी और विदेशी मुद्रा- ED
शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव के दिल्ली स्थित घर समेत 24 जगहों पर छापा मारा था। अब एजेंसी ने बताया है कि इस छापे में एक करोड़ रुपये की नगदी और 600 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति का खुलासा हुआ है। एजेंसी को विदेशी मुद्रा और जेवरात भी मिले हैं। नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू यादव और उनकी परिवार से केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और ED पूछताछ कर रही है।
600 करोड़ की बेनामी संपत्ति के कागजात भी बरामद
ED ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि तलाशी में एक करोड़ रुपये की नकदी, 1,900 अमेरिकी डॉलर सहित विदेशी मुद्रा, 540 ग्राम सोना और 1.5 किलोग्राम से अधिक सोने के आभूषण बरामद हुए हैं। इन आभूषणों की कीमत लगभग 1.25 करोड़ रुपये बताई जा रही है। साथ ही लगभग 600 करोड़ रुपये की अपराध की आय का पता चला है जो कि 350 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों के रूप में है।
वर्तमान में 200 करोड़ है जमीन की कीमत
ED ने बताया कि नौकरी के बदले जो जमीन ली गई उसकी वर्तमान कीमत करीब 200 करोड़ रुपये है। ED ने दावा किया है कि बेनामी संपत्ति के मालिक और जिन्हें फायदा पहुंचाया गया, उनकी पहचान कर ली गई है। न्यू फ्रेंड कॉलोनी के बंगले का असल में मालिक तेजस्वी यादव और उनका परिवार ही है। कागजों में इस संपत्ति की कीमत केवल 4 लाख रुपये दिखाई गई है, जबकि इसकी असली कीमत 150 करोड़ रुपये है।
ED ने 24 जगह मारा था छापा
शुक्रवार को ED ने लालू यादव के बेटे-बेटियों समेत राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से जुड़े करीबी लोगों और नेताओं के घर छापा मारा था। दिल्ली, पटना और मुंबई में 24 जगहों पर एक साथ कार्रवाई की गई थी। पटना में RJD के पूर्व विधायक अबू दोजाना के घर भी ED ने छापा मारा था। इससे पहले लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी से भी इस मामले में पूछताछ की गई थी।
मामले में लालू यादव समेत 13 लोग हैं आरोपी
CBI ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती समेत 13 अन्य लोगों को आरोपी बनाया है। पिछले साल अक्टूबर में इनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था। CBI ने आरोप लगाया है कि नौकरी के बदले यादव परिवार ने जमीन ली थी। इस जमीन को कम दामों में अधिग्रहित किया गया और उम्मीदवारों ने नौकरी के लिए रेल मंत्रालय को फर्जी कागजात दिए।
क्या है पूरा मामला?
मामला साल 2004 से 2009 के बीच का है। इस दौरान लालू यादव केंद्रीय रेल मंत्री थे। आरोप है कि लालू यादव ने रेलवे में कथित तौर पर ग्रुप-डी में नौकरी के बदले उम्मीदवारों से जमीन ली थी। ये नौकरियां मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित रेलवे के विभिन्न जोन में दी गईं। इसके बदले लालू यादव ने अपने और परिवार के लोगों के नाम पर जमीन ली।