शपथ लेने के तीन दिन बाद ही बिहार के शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने दिया इस्तीफा
बिहार के नए शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सोमवार को मंत्री पद की शपथ ली थी और मंगलवार को उन्हें शिक्षा विभाग सौंपा गया था। भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण चौधरी शपथ लेते ही विवादों में घिर गए थे। विपक्षी दल लगातार उन्हें लेकर नीतीश सरकार पर निशाना साध रहे थे। विवादों के बीच चौधरी ने बुधवार शाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी।
लगाए जा रहे थे इस्तीफे के कयास
राजद नेता तेजस्वी यादव ने सवाल पूछा कि भ्रष्टाचार के आरोपी और फिलहाल जमानत पर चल रहे चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाकर क्या भ्रष्टाचार करने का ईनाम और लूटने की खुली छूट दी गई है। उन्होंने एक ट्वीट किया कि भ्रष्टाचार के अनेक मामलों में भगौड़े आरोपी को शिक्षा मंत्री बना दिया। बता दें कि चौधरी जनता दल (यूनाइटेड) कोटे से मंत्री बने थे। नीतीश से मुलाकात के बाद से ही उनके इस्तीफे के कयास लगाए जाने लगे थे।
चौधरी पर क्या आरोप?
मेवालाल चौधरी पर असिस्टेंट प्रोफेसर और जूनियर वैज्ञानिकों की नियुक्ति में अनियमितता बरतने के आरोप हैं। चौधरी साल 2010-15 तक भागलपुर जिले के सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर (VC) रहे थे। 2010 में यहां पर कुछ भर्तियां निकली थीं। चौधरी पर इनमें अनियमितताओं के आरोप लगे थे। इसे लेकर उनके खिलाफ सबौर के थाने में FIR दर्ज है और वो फिलहाल जमानत पर हैं। हालांकि, मेवालाल चौधरी अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों का खंडन करते हैं।
इन भर्तियों को लेकर छिड़ा है विवाद
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जून 2011 में विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर और जूनियर वैज्ञानिकों के 281 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इसके बाद कुल 161 अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई, जो विवादों में घिर गईं। अभ्यर्थियों का कहना है कि इंटरव्यू और पावर प्वाइंट प्रेजेंटेंशन में गड़बड़ी हुई थी। जिन अभ्यर्थियों का अकादमिक स्कोर अच्छा था, उन्हें पावर प्वाइंट प्रेजेंटेंशन और इंटरव्यू में कम नंबर दिए गए, जिससे वो नियुक्त नहीं हो पाए।
RTI में सामने आई अनियमितता की जानकारी
अनियमितता के आरोपों के बीच एक अभ्यर्थी ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी। लगभग तीन साल की कोशिश के बाद विश्वविद्यालय ने 2015 में जो जवाब दिया उसमें पता चला कि इंटरव्यू और पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन में गड़बड़ी की गई थी।
सुशील मोदी और जीतन राम मांझी ने राज्यपाल से की थी शिकायत
इसके बाद जून 2016 में भाजपा नेता सुशील मोदी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा नेता जीतनराम मांझी आदि ने तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद से इसकी शिकायत की। उन्होंने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एक जांच कमेटी बनाई। इसके बाद नवंबर 2016 में पटना हाई कोर्ट के जज सैय्यद मोहम्मद महफूज आलम ने जांच रिपोर्ट सौंप दी। इसमें लिखा है कि मेवालाल चौधरी ने नियुक्तियों में भारी पैमाने पर अनियमितता की है। उन्होंने चौधरी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की अनुशंसा की थी।
चौधरी बोले- मेरे खिलाफ लगे आरोप निराधार
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए चौधरी ने कहा कि उन पर लगे आरोप निराधार है। उनके खिलाफ कोई चार्जशीट दायर नहीं हुई है। बाकी मामला कोर्ट में है तो फैसले का इंतजार करना चाहिए।
एक बार पार्टी से भी निलंबित हो चुके हैं चौधरी
2015 में सरकारी सेवा से रिटायर होने के बाद चौधरी राजनीति में आए और तारापुर से विधायक चुने गए। 2017 में FIR दर्ज होने के बाद जनता दल यूनाइटेड ने उन्हें निलंबित कर दिया था। चौधरी ने अपने चुनावी हलफनामे में उनके खिलाफ भवन निर्माण और अनियमितता को लेकर दर्ज FIR का जिक्र किया है। उनसे पहले उनकी पत्नी नीता चौधरी विधायक थी, जिनकी पिछले साल गैस रिसाव में मौत हो गई थी।