
लोकसभा में पारित हुआ नया आयकर विधेयक 2025, जानिए क्या-क्या हुए बदलाव
क्या है खबर?
नया आयकर विधेयक 2025 सोमवार को लोकसभा में ध्वनिमत के साथ पारित हो गया है। यह विधेयक आयकर अधिनियम, 1961 की जगह लेगा। इससे पहले बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और कथित 'वोट चोरी' के मुद्दे पर विपक्ष के सदस्यों की नारेबाजी के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर (संख्यांक 2) विधेयक, 2025 लोकसभा में पेश किया था। बता दें कि सरकार ने फरवरी में पेश विधेयक को 8 अगस्त को वापस ले लिया था।
बयान
विधेयक पेश करते समय क्या बोलीं सीतारमण?
लोकसभा में नया आयकर विधेयक पेश करने के दौरान वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, "प्रवर समिति की सिफारिशों को शामिल करने, मसौदा तैयार करने में आने वाली समस्याओं को ठीक करने, वाक्यांशों को एक समान बनाने और परस्पर संदर्भों को अद्यतन करने के लिए फरवरी में पेश किए गए विधेयक को वापस लेना आवश्यक था। उन्होंने आगे कहा कि नया मसौदा 1961 के अधिनियम को बदलने के लिए आधार का काम करेगा और भ्रम से बचने में मदद करेगा।
सुझाव
प्रवर समिति ने क्या-क्या सुझाव दिए?
प्रवर समिति ने परिभाषाओं को सख्त बनाने, अस्पष्टताओं को दूर करने और कानून को मौजूदा ढांचे के साथ संरेखित करने सहित 285 सुझाव दिए थे। समिति द्वारा सुझाया गया सबसे अहम बदलाव आयकर रिफंड से जुड़ा हुआ है। समिति ने उस प्रावधान को हटाने की सिफारिश की है, जो तारीख निकलने के बाद ITR दाखिल करने पर रिफंड देने से इनकार करता है। पुराने विधेयक में रिफंड तभी मिलता था, जब नियत तारीख से पहले ITR दाखिल होता था।
टैक्स
नए विधेयक में ये सुझाव भी किए शामिल
नए विधेयक में समिति द्वारा की गई धार्मिक ट्रस्टों द्वारा प्राप्त गुमनाम दान पर टैक्स न लागू करने और आयकर अधिकारियों को आय निर्धारण मामलों में भी ज्यादा स्पष्टता देते हुए पहले नोटिस देने और उनके जवाब के बाद ही कार्रवाई करने का अधिकार देने की सिफारिशों को शामिल किया गया है। इसी तरह पुराने 1961 के अधिनियम की तकनीकी और अंग्रेजी कानूनी शब्दावली को आसान और सरल भाषा में बदलने का भी सुझाव माना गया है।
तकनीक
टैक्स भुगतान प्रक्रिया को बनाया जाएगा डिजिटल
नए विधेयक में टैक्स भुगतान प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल बनाने और सभी प्रक्रियाओं को ऑनलाइन पूरा करने की सिफारिश भी जोड़ी गई है। इसी तरह टैक्स स्लैब और दरों को अधिक सरल और स्पष्ट बनाने, अंतर-कॉर्पोरेट लाभांश पर कटौती से संबंधित खंड 148 (धारा 80M) में बदलाव करने और करदाताओं को शून्य स्रोत पर कर कटौती (TDS) प्रमाणपत्र प्राप्त करने की अनुमति देने जैसी सिफारिश को भी शामिल किया गया है।
कारण
सरकार ने क्यों वापस लिया था विधेयक?
13 फरवरी में सीतारमण के विधेयक पेश करते समय विपक्ष के कुछ सदस्यों ने सदन का बहिष्कार कर दिया था, जबकि अन्य ने तीखे सवाल दागे थे। विपक्ष ने कहा था कि नया आयकर विधेयक पुराने से ज्यादा जटिल है। उसके बाद विधेयक को भाजपा नेता बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति के पास भेजने का निर्णय किया था। समिति ने इस पर 285 सुझाव दिए थे। उन्हें शामिल करने के लिए सरकार ने विधेयक वापस लिया था।