
भारत के राजनीतिक इतिहास के सबसे लोकप्रिय नारे, जिन्होंने तय किया चुनावी हवा का रुख
क्या है खबर?
राजनीति में नारों का एक बेहद अहम स्थान होता है और वह जनता से सीधे जुड़ने का सबसे बेहतरीन जरिया साबित होते हैं।
एक प्रभावी नारा जो काम कर सकता है, वह लाखों-करोड़ों रुपये का चुनावी मैनेजमेंट भी नहीं कर सकता।
यही कारण है कि पार्टियों का जोर ऐसे नारे गढ़ने पर होता है जो जनता की जुबान पर चढ़ सकें।
आइए आजादी के बाद से अब तक के भारतीय राजनीति के सबसे प्रभावशाली नारों पर एक नजर डालते हैं।
नंबर 1
लाल बहादुर शास्त्री का 'जय जवान, जय किसान' का नारा
जनता की जुबान पर चढ़ने वाला सबसे पहला नारा दिया था देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने।
पाकिस्तान के साथ 1965 युद्ध के समय शास्त्री ने देश में जोश भरने के लिए 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया था। यह नारा पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने में कामयाब रहा।
स्वर्गीय शास्त्री भले ही देश को असमय छोड़ कर चले गए हो, लेकिन उनका नारा आज भी देश के जेहन में ताजा है।
नंबर 2 और नंबर 3
'गरीबी हटाओ' से 'इंदिरा हटाओ' तक
1971 लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के 'गरीबी हटाओ' के नारे को कौन भूल सकता है।
'गरीबी हटाओ, इंदिरा लाओ, देश बचाओ' के इस नारे की मदद से उन्होंने चुनाव में बहुत बड़ी जीत हासिल की थी।
हालांकि, जब वह अपने रास्ते से भटक गई और आपातकाल लगाया तो 1977 चुनाव में जयप्रकाश नारायण की जनता पार्टी ने 'इंदिरा हटाओ, देश बचाओ' का नारा दिया और कांग्रेस को सत्ता से हटाने में कामयाब रही।
नंबर 4 और नंबर 5
इंदिरा की मौत के बाद कांग्रेस को ऐतिहासिक जीत दिलाने वाला नारा
जब इंदिरा ने कर्नाटक के चिकमगलूर से 1978 में उपचुनाव लड़ा तो कांग्रेस ने 'एक शेरनी सौ लंगूर, चिकमगलूर भाई चिकमगलूर' का नारा दिया, जो बेहद लोकप्रिय हुआ।
इसके बाद जब 1984 में इंदिरा की हत्या हो गई तो कांग्रेस ने चुनाव में 'जब तक सूरज चांद रहेगा, इंदिरा तेरा नाम रहेगा' का नारा दिया।
नारे और लोगों की सहानभूति की बदौलत राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने इतिहास की सबसे बड़ी चुनावी जीतों में से एक हासिल की।
नंबर 6 और नंबर 7
लालू ने दिया राजनीति का सबसे मनोरंजक नारा
मंडल-कमंडल के दौर में लालू प्रसाद यादव ने ऐसा नारा दिया, जिसे भारतीय राजनीति का सबसे मनोरंजक नारा माना जाता है।
लालू ने खुद को बिहार के स्वभाविक नेता के तौर पर पेश करते हुए 'जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू' का नारा दिया।
इसी दौर में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद मुलायम सिंह यादव और कांशीराम ने 'मिले मुलायम-कांशीराम, हवा हो गए जय श्रीराम' का नारा देकर यूपी में जीत दर्ज की।
नंबर 8, नंबर 9 और नंबर 10
इन नारों ने दिलाई 2004 और 2009 में कांग्रेस को सफलता
1996 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 'बारी बारी सबकी बारी, अबकी बारी अटल बिहारी' का नारा दिया और सरकार बनाने में कामयाब रही। हालांकि, यह सरकार केवल 13 दिन चली।
इसके बाद 2004 चुनाव में भाजपा के 'इंडिया शाइनिंग' के जवाब में कांग्रेस ने 'कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ' का नारा दिया और जीत हासिल की।
अगले चुनाव में कांग्रेस ने 'सोनिया नहीं ये आंधी है, दूसरी इंदिरा गांधी है' का नारा देकर सत्ता में वापसी की।
नंबर 13
2014 में 'अबकी बार मोदी सरकार' का जलवा
2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 'अबकी बार मोदी सरकार' का नारा देकर अच्छे दिन का वादा किया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
इस बार मुकाबला कांग्रेस के 'चौकीदार चोर है' और भाजपा के 'मैं भी चौकीदार' के बीच है।
दोनों ही नारे सरल है और जुबान पर चढ़ने लायक है, लेकिन इनमें से कौन सा नारा ज्यादा सफल रहता है, यह आने वाले लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद ही पता लगेगा।
इतिहास से
ये नारे भी हुए लोकप्रिय
'जन संघ को वोट दो, बीड़ी पीना छोड़ दो, बीड़ी में तंबाकू है, कांग्रेस वाला डाकू है', 'ये देखो इंदिरा का खेल, खा गई शक्कर, पी गई तेल' और 'बच्चा बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का' नारे लोकप्रिय तो हुए, लेकिन सफल नहीं।