लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने बनाई अपनी अलग पार्टी 'लालू-राबड़ी मोर्चा'
क्या है खबर?
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में किनारे किए जाने से नाराज चल रहे लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने सोमवार को अपनी नई पार्टी बना ली।
उन्होंने पार्टी का नाम अपने माता-पिता के नाम पर 'लालू-राबड़ी मोर्चा' रखा है।
बता दें कि यादव परिवार में पिछले काफी महीनों से झगड़ा चल रहा था।
लालू के जेल में होने की सूरत में राबड़ी देवी ने झगड़े को संभालने की कोशिश भी की, लेकिन वह सफल नहीं रहीं।
कारण
RJD में किनारे किए जाने से नाराज थे तेज प्रताप
तेज प्रताप ने 3 दिन पहले ही RJD के छात्र संगठन के एक पद से इस्तीफा दिया था।
तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि वह अपनी नई पार्टी बनाने की घोषणा कर सकते हैं।
वह RJD के टिकट वितरण में महत्व न दिए जाने से नाराज थे और इसी के विरोध में अपनी नई पार्टी बनाई है।
उन्होंने अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव पर जहानाबाद और शिवहर सीट पर उनकी बात न सुनने का आरोप लगाया।
मुख्य वजह
ससुर को टिकट दिया जाना नाराजगी की मुख्य वजह
तेज प्रताप की मुख्य आपत्ति सारण सीट से उनके ससुर चंद्रिका राय को टिकट दिए जाने पर है।
इस सीट पर लालू पहले 4 बार जीत चुके हैं।
उन्होंने कहा कि सारण लालूजी की पुश्तैनी सीट है और वह चाहते हैं कि वहां से उनकी माताजी राबड़ी देवी चुनाव लड़ें।
उन्होंने ऐलान किया कि अगर उनकी माताजी चुनाव नहीं लड़ते तो इस सीट से वह खुद चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे भी, क्योंकि जनता का आशीर्वाद उनके साथ है।
जानकारी
तेज प्रताप का अपने ससुराल वालों से छत्तीस का आंकड़ा
तेज प्रताप की पिछले साल मई में चंद्रिका की बेटी एश्वर्या राय से शादी हुई थी। लेकिन उन्होंने जल्द ही दोनों के बीच सबकुछ ठीक न होने की बात कहते हुए तलाक लेने का ऐलान किया। दोनों के बीच तलाक का केस चल रहा है।
बयान
'चाटुकारों से घिरे हुए हैं तेजस्वी'
जहानाबाद और शिवहर सीट पर तेज प्रताप ने चंद्रप्रकाश और अंगेष कुमार का समर्थन करने का ऐलान किया।
उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह यहां से स्वतंत्र उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे।
उन्होंने कहा कि उन्होंने जहानाबाद में जिसे टिकट दी है, वह 3 बार से चुनाव हार रहा है।
तेज प्रताप ने इस बीच कहा कि तेजस्वी यादव पूरी तरह से चाटुकारों से घिरे हुए हैं और वो भाई-भाई को लड़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रभाव
क्या नई पार्टी से चुनाव में RJD पर पड़ेगा असर?
तेज प्रताप के इस कदम को अलग राजनीतिक सफर पर निकलने की बजाय अपने कुछ उम्मीदवारों को टिकट दिलाए जाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
इससे चुनाव में RJD को कोई खास नुकसान होगा इसकी संभावना कम है।
बता दें कि बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके तेज प्रताप अपनी तीखी भाषण शैली के लिए जाने जाते हैं और लोग उनमें उनके पिता लालू की झलक देखते हैं।