आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं बिहार सरकार के आठ मंत्री, छह के खिलाफ गंभीर मामले दर्ज
बिहार चुनाव के बाद राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार बन गई है और नीतीश कुमार ने सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। इसके अलावा 14 मंत्रियों के साथ मंत्रिमंडल का भी गठन हो चुका है। इसमें शिक्षा मंत्री बनाए गए डॉ मेवालाल चौधरी भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण निशाने पर हैं, लेकिन चौधरी ही नहीं सरकार के आठ मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।
चौधरी को मंत्रिमंडल में शामिल करते ही शुरु हुआ हंगामा
मंत्रिमंडल के गठन के दौरान मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री का पद दिया गया था। इसके बाद से ही उनके खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामले को लेकर हंगामा शुरू हो गया था। दरअसल, बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) के कुलपति रहते समय चौधरी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और उनके खिलाफ FIR भी दर्ज हुई थी। इसके बाद JDU से उन्हें निलंबित कर दिया गया था और नीतीश कुमार ने तो उनके मिलने से भी इनकार कर दिया था।
राजभवन के आदेश पर चौधरी के खिलाफ दर्ज किया गया था मामला
बता दें कि BAU के कुलपति रहते समय मेवालाल चौधरी का नाम भ्रष्टाचार के मामले में सामने आया था। उसके बाद राजभवन के आदेश पर उनके खिलाफ 161 सहायक प्रोफेसर और कनिष्ठ वैज्ञानिकों की नियुक्ति के मामले में एक मामला दर्ज किया गया था।
नीतीश सरकार के 57 प्रतिशत मंत्री हैं दागी
ADR की रिपोर्ट के अनुसार नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल 14 मंत्रियों में से 57 प्रतिशत यानी आठ मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 43 प्रतिशत यानी छह मंत्रियों के खिलाफ तो गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मंत्रियों में भाजपा के सबसे ज्यादा चार, जनता दल यूनाइटेड (JDU) के दो और HAM-S और VIP पार्टी के एक-एक मंत्री हैं। ऐसे में कहा जा सकता है बिहार की बागडोर दागियों के हाथ में है।
किस मंत्री के खिलाफ कितने मामले दर्ज?
मेवालाल चौधरी ने अपने शपथ पत्र में भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत एक आपराधिक मामला और चार गंभीर मामले घोषित किए हैं। पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री मुकेश सहनी ने पांच आपराधिक मामले और गंभीर प्रकृति के तीन मामलों की घोषणा की है। भाजपा के जिबेश कुमार ने भी पांच आपराधिक मामलों और गंभीर प्रकृति के चार मामलों की घोषणा की है। वहीं पांच अन्य मंत्रियों के खिलाफ भी अलग-अलग प्रकृति के आपराधिक मामले दर्ज हैं।
मंत्रिमंडल में शामिल 13 मंत्री हैं करोड़पति
ADR की रिपोर्ट के अनुसार नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल 14 मंत्रियों में से 93 प्रतिशत यानी 13 मंत्री करोड़पति हैं। इनकी औसत संपत्ति 3.93 करोड़ रुपये है। इनमें भाजपा के सबसे ज्यादा छह, JDU के पांच और HAM-S और VIP पार्टी के एक-एक मंत्री करोड़पति हैं। मंत्रियों में सबसे अधिक संपत्ति मेवालाल चौधरी के पास 12.31 करोड़ रुपये हैं। वह मंत्रिमंडल के सबसे अमीर मंत्री है। इसी अशोक चौधरी के पास सबसे कम 72.89 लाख की संपत्ति है।
कमजोर हो चुकी है मुख्यमंत्री की स्थिति- झा
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सांसद मनोज झा ने कहा कि मेवालाल चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाना यह साबित करता है कि मुख्यमंत्री की स्थिति कमजोर हो चुकी है और बिहार चुनाव नतीजों के बाद हार गया है। यह सरकार के लिए बड़ी शर्मिंदगी का विषय है। RJD नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, 'भ्रष्टाचार के मामले में एक फरार आरोपी को शिक्षा मंत्री बनाया गया है। हालांकि अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता पर नीतीश कुमार का प्रवचन आगे भी जारी रहेगा।'
पिछले चुनाव की तुलना में अधिक जीते आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेता
ADR की रिपोर्ट के अनुसार इस बार विधानसभा चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 168 नेताओं ने जीत हासिल की है। यह संख्या साल 2015 के चुनाव में जीत हासिल करने वाले आपराधिक पृष्ठभूमि के 142 नेताओं से अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार इस बार जीत हासिल करने वालों में से 123 विधायकों के खिलाफ गंभीर प्रवृति के आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि 2015 चुनाव में 98 विधायकों के खिलाफ ही गंभीर मामले दर्ज थे।
19 विधायकों के खिलाफ दर्ज है हत्या के मामले
ADR की रिपोर्ट के अनुसार इस बार चुनाव जीतने वालो में से 19 के खिलाफ हत्या और 31 के खिलाफ हत्या के प्रयास के गंभीर मामले दर्ज हैं। इसी तरह आठ विधायकों के खिलाफ महिलाओं के खिलाफ किए अपराधों के संबंध में मामले दर्ज हैं।
चौधरी को शिक्षा मंत्री बनाना जनादेश का अपमान- चौधरी
सामाजिक विश्लेषक और पटना यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख एनके चौधरी ने कहा, "यह खतरनाक है। यह जनादेश का अपमान है। ऐसे गंभीर आरोपों का सामना करने वाले व्यक्ति को मंत्री नहीं बनाना चाहिए। सबसे बुरी बात यह है कि उन्हें शिक्षा मंत्री बनाया गया है।" उन्होंने कहा, "इस चयन के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं। इस पद के लिए एक ईमानदार और जिम्मेदार व्यक्ति का चयन किया जाना चाहिए था।"