लालू का जेल से बिहारवासियों के नाम पत्र, लिखा- मैं कैद में हूं, मेरे विचार नहीं
क्या है खबर?
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद जेल से ही बिहारवासियों के नाम पत्र लिखा है।
उन्होंने पिछले 44 साल में पहली बार चुनावी मौसम में लोगों के बीच न होने को लेकर अफसोस जताया है।
बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट ने लालू की जमानत की अर्जी को खारिज करते हुए कहा था कि हम आपको रिहा नहीं कर सकते।
संदेश
लालू की लोकतंत्र और संविधान को बचाने की अपील
चारा घोटाले में 14 साल जेल की सजा काट रहे लालू ने ट्वीट कर बिहार के नाम अपना संबोधन जारी किया।
उन्होंने लिखा है, "44 वर्षों में पहला चुनाव है जिसमें आपके बीच नहीं हूं। चुनावी उत्सव में आप सबों के दर्शन नहीं होने का अफ़सोस है। आपकी कमी खली रही है इसलिए जेल से ही आप सबों के नाम पत्र लिखा है। आशा है आप इसे पढ़ियेगा एवं लोकतंत्र और संविधान को बचाइयेगा। जय हिंद, जय भारत।"
जाति कार्ड
लालू की पत्र में दलितों को रिझाने की कोशिश
लालू ने अपने पत्र में जाति कार्ड खेला है और दलित और पिछड़ों को साधने की कोशिश की है।
पत्र की शुरुआत में उन्होंने लिखा है, "मेरे रहते मेरे बिहारवासियों के साथ मैं फिर से धोखा नहीं होने दूंगा। मैं कैद में हूं, मेरे विचार नहीं।"
उन्होंने कहा कि इस बार के चुनाव में देश, समाज, इज्जत और गरिमा सब दांव पर है और इसलिए हर आम आदमी को लालू यादव बन के डट कर मुकाबला करने की जरूरत है।
हमला
'मुंह में राम, बगल में छुरी वाली सरकार'
लालू ने आरोप लगाया है कि मोदी राज में दलितों का उत्पीड़न बढ़ा है और आरक्षण को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने SC/ST कानून को कमजोर करने की मोदी सरकार की कोशिशों का भी जिक्र किया है।
उन्होंने सरकार को नौटंकी सरकार करार दिया जो कभी हिंदू तो कभी अर्थव्यवस्था के खतरे में होने का डर दिखाकर लोगों को गुलाम बनाना चाहती है।
उन्होंने कहा कि यह 'मुंह में राम बगल में छुरी' वाली सरकार है।
नफरत का माहौल
'मायावी राक्षस की तरह लोगों को आपस में लड़ाती है सरकार'
लालू ने देश में बढ़ते नफरत के माहौल पर भी अपने पत्र में जमकर हमला बोला।
उन्होंने कहा कि यह मायावी राक्षस की तरह आपस में लड़ाई कराने वाली सरकार है और भाईयों की तरह रहने वाले लोगों को एक-दूसरे के खून का प्यासा बना देती है।
उन्होंने कहा कि अगर यह दलित-बहुजन विरोधी सरकार सत्ता में वापस आ गई तो वो फिर से 30-35 साल पुरानी स्थिति में पहुंच जाएंगे और इसलिए इसे उखाड़ फेंकने की जरूरत है।
RJD में फूट
नाराज नेताओं से पार्टी के साथ खड़े होने की अपील
लालू ने अपने पत्र के अंत में टिकट न मिलने से नाराज नेताओं और बागियों से भी मुश्किल समय में पार्टी के साथ खड़े होने की अपील की है।
उन्होंने लिखा है, "गठबंधन में कई दल है, इसलिए सीट बंटवारे में सबका ध्यान रखना पड़ा है। जिन नेताओं को टिकट नहीं मिली है, मैं उनसे अपील करता हूं कि सब कुछ भुलाकर दलित बहुजन समाज का आरक्षण और संविधान बचा लीजिए। "
ट्विटर पोस्ट
चुनाव में लोगों के बीच न होने का दुख- लालू यादव
44 वर्षों में पहला चुनाव है जिसमें आपके बीच नहीं हूँ। चुनावी उत्सव में आप सबों के दर्शन नहीं होने का अफ़सोस है। आपकी कमी खली रही है इसलिए जेल से ही आप सबों के नाम पत्र लिखा है। आशा है आप इसे पढ़ियेगा एवं लोकतंत्र और संविधान को बचाइयेगा। जय हिंद, जय भारत। pic.twitter.com/QDAR03adSf
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) April 10, 2019
जानकारी
लालू के खुद के घर में फूट
रोचक है कि लालू के खुद के घर में फूट पड़ी हुई है। उनके बड़े बेटे तेज प्रताप ने पार्टी से बगावत करके एक अलग मोर्चा बना लिया है और छोटे भाई तेजस्वी यादव पर कुछ उम्मीदवार बदलने का दवाब बना रहे हैं।