चीन की सीमा के पास भारत की जलविद्युत परियोजना जल्द होगी शुरू, जानें अहम बातें
क्या है खबर?
भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में से एक सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना के जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
बतौर रिपोर्ट्स, नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (NHPC) अगले महीने जुलाई में चीन की सीमा के पास स्थित इस महत्वाकांक्षी परियोजना का ट्रायल रन शुरू करेगी।
असम और अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक सुबनसिरी नदी पर स्थित इस परियोजना का काम 2003 में शुरू हुआ था।
निर्माण
8 वर्षों तक रुका रहा परियोजना का निर्माण
पर्यावरण को लेकर विरोध के चलते इस परियोजना का निर्माण 2011 से 2019 के बीच करीब 8 वर्षों तक रुका रहा। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की अनुमति के बाद 2019 में दोबारा निर्माण कार्य शुरू हुआ था।
इस परियोजना की शुरुआती अनुमानित लागत करीब 6,300 करोड़ रुपये थी। हालांकि, निर्माण में हुई लगातार देरी के कारण यह बढ़कर 2.6 अरब डॉलर (करीब 21,200 करोड़ रुपये) हो गई है, जो मूल लागत से 3 गुना से अधिक है।
बयान
दिसंबर में चालू हो सकती है परियोजना की पहली इकाई
परियोजना के वित्त निदेशक राजेंद्र प्रसाद गोयल ने बताया कि पहली इकाई के इस साल दिसंबर में चालू होने की उम्मीद है और 2024 के अंत तक सभी 8 इकाइयां चालू हो जाएंगी।
उन्होंने कहा, "किसी भी जलविद्युत परियोजना का निर्माण शुरू करने से पहले हमें विभिन्न विभागों से कई अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। हर स्तर पर इसकी जांच होती है। एक बार निर्माण शुरू होने के बाद किसी भी रुकावट से काफी समस्या होती है।"
समीक्षा
केंद्रीय विद्युत मंत्री ने पिछले महीने की थी समीक्षा
केंद्रीय विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने 31 मई को दिल्ली में एक बैठक में सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना की समीक्षा की थी।
उन्होंने अधिकारियों के साथ परियोजना के निर्माण से जुड़े सुरक्षा पहलुओं और मानसून को देखते हुए की जाने वाली तैयारियों के बारे में चर्चा भी की थी।
NHPC के अधिकारियों ने कहा था कि दिसंबर या जनवरी, 2024 में 250 मेगावाट क्षमता की पहली इकाई को चालू करने के लिए प्रयास किया जा रहा है।
परियोजना
परियोजना से बनाई जा सकती है 2,000 मेगावाट बिजली
सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना में 2,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने की क्षमता है और यह एक रन-ऑफ-रिवर (ROR) योजना है।
इस तरह की परियोजनाओं में बांध के नीचे की ओर नदी का जल प्रवाह बांध के ऊपरी भाग में नदी के जल प्रवाह के समान होता है। आसान भाषा में समझें तो जल को बांध में रोका या संग्रहित नहीं किया जाता है और यह नदी के साथ प्रवाहित होता है।
जानकारी
क्या है इस परियोजना की अहमियत?
भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद के बीच सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना काफी अहम है। यह पूर्वोतर भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में कारगर है। भारत दिबांग नदी पर भी जलविद्युत परियोजना बना रहा है।