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    #NewsBytesExclusive: महिलाओं में बांझपन के क्या हैं कारण? गायनेकोलॉजिस्ट से जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें  

    #NewsBytesExclusive: महिलाओं में बांझपन के क्या हैं कारण? गायनेकोलॉजिस्ट से जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें  
    लेखन अंजली
    Feb 21, 2023, 10:43 am 1 मिनट में पढ़ें
    #NewsBytesExclusive: महिलाओं में बांझपन के क्या हैं कारण? गायनेकोलॉजिस्ट से जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें  
    गायनेकोलॉजिस्ट डॉ सुरभि रुस्तगी ने बताए महिलाओं में बांझपन के कारण, लक्ष्ण और इलाज (दिव्य प्रस्थ अस्पताल, दिल्ली)

    महिलाओं में बांझपन यानी इनफर्टिलिटी एक बड़ी समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में लगभग 10 प्रतिशत महिलाएं इससे प्रभावित हैं और विकासशील देशों में औसतन 4 में से 1 दंपति इससे जूझ रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि महिलाओं को इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए? न्यूजबाइट्स हिंदी ने जब गायनेकोलॉजिस्ट डॉ सुरभि रुस्तगी से इस पर बात की तो उन्होंने इसके कारण, लक्षण और बचावों के बारे में हमें विस्तार से बताया।

    महिला बांझपन क्या है?

    डॉ सुरभि ने बताया कि अगर कम से कम 12 माह या उससे अधिक समय से असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बावजूद महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है तो इस स्थिति को बांझपन कहा जाता है। हालांकि, सिर्फ महिला इसके लिए जिम्मेदार नहीं है।

    बांझपन के प्रकार

    डॉ सुरभि के मुताबिक, बांझपन दो प्रकार (प्राइमरी और सेकेंडरी) का होता है। प्राइमरी स्थिति तब होती है जब कोई महिला कभी भी गर्भवती नहीं हो सकती है। इसी तरह सेकेंडरी स्थिति एक बार सफल गर्भवती होने या गर्भपात के बाद उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने बताया कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) भी बांझपन की सेकेंडरी स्थिति का कारण हो सकता है। ये दोनों ही स्थितियां महिलाओं के लिए काफी परेशानीदायक होती है।

    महिलाओं में बांझपन के क्या हैं कारण?  

    डॉ सुरभि ने का कहना है कि महिला की फैलोपियन ट्यूब (प्रजनन प्रणाली का अंग) का बंद होना बांझपन का मुख्य कारण है। इसके अतिरिक्त, एंडोमेट्रियोसिस, ओवुलेशन डिसऑर्डर, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज, एंडोक्राइन डिसऑर्डर और गर्भाशय का असामान्य आकार भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। डॉ सुरभि ने यह भी बताया कि अधिक उम्र, तनाव, हार्मोनल असंतुलन और गलत खान-पान का भी महिला की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो बांझपन का कारण बन सकती है।

    बांझपन की ओर इशारा करने वाले शारीरिक संकेत कौनसे हैं?

    डॉ सुरभि के अनुसार, पीरियड्स के दौरान अहसहनीय दर्द, अनियमित पीरियड चक्र, हार्मोनल समस्याएं, चेहरे पर मुंहासें और तेजी से बढ़ता वजन भी महिलाओं में बांझपन की ओर इशारा करने वाले लक्षण हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यौन संबंध बनाते समय दर्द होना और समय से पहले मेनोपॉज आना भी प्रजनन क्षमता की कमजोरी का संकेत है। अगर कोई महिला इन लक्षणों का अनुभव करती है तो तुरंत ही स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।

    बांझपन का पता कब चलता है?

    डॉ सुरभि ने बताया कि आमतौर बांझपन का पता शादी के बाद ही चलता है, लेकिन कुछ स्थितियों में इसका पता शादी से पहले भी लगाया जा सकता है। जैसे कि महिलाओं के पीरियड्स के दौरान खून के रंग में बदलाव होना, पीरियड्स की अनियमितता में सुधार न होना आदि लक्षण इसकी ओर इशारा करते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में महिलाओं को स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए ताकि ये कारण बांझपन के जिम्मेदार न बन सके।

    बांझपन का पता लगाने के लिए कराई जाने वाली जांच

    डॉ सुरभि ने बताया कि बताए गए लक्षणों में से कोई भी नजर आने पर महिलाओं को आवश्यक जांच करानी चाहिए। इसके लिए डॉक्टर आपको ओवुलेशन टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। इसी तरह हार्मोनल टेस्ट, हिस्टेरोसलपिंगोग्राफी, ओवेरियन रिजर्व टेस्ट, इमेजिंग टेस्ट और पिट्यूटरी हार्मोन टेस्ट भी कराए जा सकते हैैं। उन्होंने बताया कि इन सभी टेस्ट से महिलाओं में बांझपन के सटीक कारण का पता लगाकर उसका इलाज किया जा सकता है।

    क्या महिलाओं के बांझपन का उपचार है?

    इस बारे में डॉ सुरभि ने कहा, "महिला बांझपन का इलाज इसके कारण, अवधि और महिला की उम्र पर निर्भर करता है।" डॉ सुरभि के मुताबिक, कुछ दवाओं से इलाज की शुरूआत की जा सकती है। इसके अतिरिक्त स्त्री रोग विशेषज्ञ आपको विट्रो फर्टिलाइजेशन ट्रीटमेंट (IVF) और सरोगेसी जैसे इलाज के विकल्प भी दे सकता है। हालांकि, इलाज के लिए हमेशा अनुभवी डॉक्टर से ही संपर्क करें।

    बांझपन के इलाज में कितना खर्च आता है?

    डॉ सुरभि ने कहा, "अगर महिला की स्थिति ज्यादा खराब नहीं है यानी सिर्फ अंडा नहीं बनता है तो कम कीमत पर इलाज हो जाता है। इसके लिए एक महीने का खर्च 10,000 से 15,000 रुपये तक आ सकता है।" उन्होंने आगे बताया कि बांझपन का इलाज इस पर निर्भर करता है कि आप किस तरह के सेंटर का चयन और डॉक्टर से संपर्क करते हैं।

    इलाज के कितने समय बाद महिलाओं के गर्भवती होने की संभावना रहती है?

    डॉ सुरभि का कहना है कि इलाज के बाद महिलाओं के छह महीनों के अंदर गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है और बांझपन के लिए महिलाएं डॉक्टरी सलाह लेकर घरेलू नुस्खे भी आजमा सकती हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे कई घरेलू नुस्खे हैं, जो महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इनमें योग और संतुलित आहार भी अहम भूमिका निभा सकते हैं।

    महिलाओं को बांझपन से बचाव के लिए क्या करना चाहिए?

    डॉ सुरभि ने बताया कि बांझपन से बचने के लिए महिलाओं का खान-पान संतुलित होना चाहिए। उदाहरण के लिए, महिलाएं अधिक नमक युक्त भोजन का सेवन न करें, वसा युक्त दुग्ध उत्पादों से दूरी बनाएं, अधिक तला और मसालेदार चीजों का अधिक सेवन न करें। इसी के साथ अल्कोहल के सेवन से दूर रहें। डॉ सुरभि के मुताबिक, महिलाओं को बढ़ते वजन को नियंत्रित करने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करनी चाहिए और तनाव से बचने का प्रयास करना चाहिए।

    डॉ सुरभि को है 20 साल से अधिक का अनुभव

    डॉ सुरभि वर्तमान में दिल्ली के दिव्य प्रस्थ अस्पताल में कार्यरत है। उन्हें गाइनेकोलॉजी क्षेत्र में 20 साल से अधिक का अनुभव है। वह इनफर्टिलिटी और उच्च जोखिम गर्भावस्था प्रबंधन से जुड़े विषयों की विशेषज्ञ हैं और इस क्षेत्र में कई गंभीर मामलों का समाधान कर चुकी हैं। उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए गोल्ड मेडल के साथ-साथ कई अवॉर्ड्स भी मिल चुके हैं।

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