हाइपरसोमनिया: जानिए नींद से जुड़े इस डिसऑर्डर के कारण, लक्षण और इलाज
स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त नींद बहुत जरूरी है, लेकिन जरूरत से ज्यादा नींद हाइपरसोमनिया का कारण बन सकती है। हाइपरसोमनिया एक डिसऑर्डर है और इससे ग्रस्त व्यक्ति को हर समय नींद आती है। दिन में नींद आना इसका खास लक्षण है। नेशनल स्लीप फाउंडेशन के अनुसार, यह डिसऑर्डर दिन की कार्यप्रणाली को प्रभावित करने के साथ-साथ स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। आइए आज हाइपरसोमनिया के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में जानते हैं।
दो प्रकार का होता है हाइपरसोमनिया
चिकित्सा के क्षेत्र में हाइपरसोमनिया डिसऑर्डर को दो प्रकारों में बांटा गया है। वो इस प्रकार हैं:- प्राइमरी हाइपरसोमनिया: इसके पीछे कोई अन्य चिकित्सा स्थिति मौजूद नहीं होती है और इसका एकमात्र लक्षण अत्यधिक थकान है। सेकेंडरी हाइपरसोमनिया: यह स्लीप एपनिया, पार्किंसंस, किडनी फेलियर, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और क्रोनिक थकान सिंड्रोम जैसी स्वास्थ्य स्थितियों की कारण हो सकता है। इन स्थितियों के कारण रात में नींद खराब होती है और दिन के समय आपको अधिक नींद महसूस होती है।
हाइपरसोमनिया के कारण
प्राइमरी हाइपरसोमनिया मस्तिष्क प्रणालियों में समस्याओं के कारण होता है। वहीं सेकेंडरी हाइपरसोमनिया थकान या अपर्याप्त नींद का कारण बनने वाली स्थितियों का परिणाम है। स्लीप एपनिया हाइपरसोमनिया का कारण बन सकता है, क्योंकि यह रात में सांस लेने में परेशानी पैदा कर सकता है। इससे लोगों को पूरी रात में कई बार जागना पड़ता है। कुछ दवाएं भी हाइपरसोमनिया का कारण बन सकती हैं। बार-बार नशीली दवाओं और शराब के सेवन से भी दिन में नींद आ सकती है।
हाइपरसोमनिया से जुड़े लक्षण
हाइपरसोमनिया का मुख्य लक्षण अधिक थकान रहना है। इससे पीड़ित लोग दिन भर झपकी ले सकते हैं और उन्हें लंबी अवधि की नींद से जागने में भी कठिनाई होती है। इसके अतिरिक्त, कम ऊर्जा, चिड़चिड़ापन, चिंता, भूख में कमी, याद रखने में कठिनाई और बेचैनी होना भी इसके लक्षणों में शामिल है। सोचने और निर्णय लेने में परेशानी होना और एकाग्रता में कठिनाई होना भी हाइपरसोमनिया के लक्षण हैं।
हाइपरसोमनिया का इलाज
हाइपरसोमनिया की स्थिति के आधार पर इसके अलग-अलग इलाज हो सकते हैं। नार्कोलेप्सी के लिए बनाई गई एम्फैटेमिन, मेथिलफेनिडेट और मोडाफिनिल जैसी दवाएं हाइपरसोमनिया का इलाज कर सकती हैं। कुछ गतिविधियों से भी इसके लक्षणों में सुधार हो सकता है, विशेष रूप से सोने-उठने का एक समय बनाना, नशीले पदार्थों से दूरी बनाना और स्वस्थ आहार का पालन करना आदि।