
#NewsBytesExclusive: क्या गर्मी की लहर ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकती है? विशेषज्ञ से जानिए
क्या है खबर?
ब्लड शुगर शरीर के सभी कार्यों के लिए आवश्यक है, लेकिन जब ब्लड शुगर का स्तर 200 से ऊपर चला जाता है तो समस्या उत्पन्न होती है।
हालांकि, क्या ब्लड शुगर पर मौसम का कोई असर पड़ता है? मधुमेह रोगियों के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है?
इस बारे में विस्तार से जानने के लिए न्यूजबाइट्स हिंदी ने डॉक्टर प्रद्युम्न सिंह से बात की ताकि लोग बीमारी से जुड़ी गलत धारणाओं की बजाय सही जानकारी प्राप्त कर सकें।
प्रभाव
क्या गर्मी से ब्लड शुगर का स्तर बिगड़ सकता है?
डॉक्टर प्रद्युम्न का कहना है कि हां, गर्मी का मौसम ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकता है। गर्मी के दौरान शरीर का तापमान बढ़ने के कारण पसीना अधिक आता है, जिससे पानी की कमी हो सकती है। पानी की कमी से ब्लड शुगर का स्तर उच्च हो सकता है।
उन्होंने आगे कहा, "गर्मी में शरीर के इंसुलिन की कार्यक्षमता पर भी असर पड़ सकता है। इसलिए इस मौसम में शरीर का तापमान नियंत्रित रखना और हाइड्रेटेड रहना बेहद महत्वपूर्ण है।"
संकेत
ब्लड शुगर का स्तर बिगड़ने पर शरीर कौन-कौन से संकेत देता है?
डॉ प्रद्युम्न ने बताया, "जब ब्लड शुगर का स्तर बढ़ता है तो शरीर कुछ संकेत देने लगता है, जैसे अत्यधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, थकान महसूस होना, धुंधला दिखना, घबराहट या चिड़चिड़ापन, वजन में असामान्य बदलाव और जुकाम या संक्रमण का जल्दी होना आदि।"
उनका कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को खुद में ये संकेत महसूस होने लगे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ताकि समय रहते समस्या को काबू किया जा सके।
उम्र
किस उम्र में मधुमेह होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है?
डॉ प्रद्युम्न ने कहा, "मधुमेह का खतरा आमतौर पर 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में ज्यादा रहता है, खासकर जिनमें मोटापा, परिवार में मधुमेह का इतिहास या शारीरिक गतिविधि की कमी होती है। हालांकि, आजकल शहरी जीवनशैली और गलत खान-पान के कारण युवाओं में भी मधुमेह के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। इसलिए किसी भी उम्र में नियमित जांच करवाना आवश्यक हो गया है।"
उपकरण
ब्लड शुगर का स्तर कितना है, इसका पता लगाने के लिए क्या कोई उपकरण है?
डॉ प्रद्युम्न ने बताया कि ब्लड शुगर का स्तर जानने के लिए ग्लूकोमीटर का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह एक पोर्टेबल डिवाइस है, जिसमें एक स्ट्रिप डालकर खून की एक बूंद से ब्लड शुगर का स्तर मापा जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि ग्लूकोमीटर के अलावा HbA1c टेस्ट भी किया जा सकता है, जो पिछले 2-3 महीने में औसत ब्लड शुगर का स्तर बता सकता है।
बीमारियां
मधुमेह से कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?
डॉ प्रद्युम्न का कहना है, "अगर मधुमेह की बीमारी को हल्के में लिया जाए और इसे नियंत्रित करने की ओर कदम न उठाए जाएं तो इस बीमारी के कारण कई गंभीर बीमारियां हो सकती है, जैसे कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, किडनी की समस्याएं, नेत्र संबंधी समस्याएं, तंत्रिका तंत्र में समस्या, संक्रमण की उच्च संवेदनशीलता और घावों का देर से ठीक होना आदि।
डॉ प्रद्युम्न ने कहा कि इन समस्याओं से बचने के लिए मधुमेह का नियंत्रण महत्वपूर्ण है।
खान-पान
गर्मियों में आने वाली किन चीजों के सेवन से मधुमेह रोगी बचें और क्या खाना चाहिए?
डॉ प्रद्युम्न ने कहा, "शक्कर या मिठास वाले पेय (जैसे कोल्ड ड्रिंक्स), अत्यधिक तले या मसालेदार भोजन, बर्फीली चीजें और अधिक मीठे फल जैसे आम और फलों के जूस का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये सभी चीजें ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ा सकती हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि मधुमेह रोगियों के लिए हरी सब्जियां, नारियल पानी, उच्च फाइबर वाली चीजें, कम कैलोरी वाले प्रोटीन स्रोत, नींबू पानी और बिना चीनी वाली हर्बल चाय का सेवन करना लाभदायक है।
घरेलू नुस्खे
मधुमेह रोगियों का घरेलू नुस्खे अपनाना सही है?
डॉ प्रद्युम्न का कहना है, "घरेलू नुस्खे जैसे मेथी दाना या करेले का इस्तेमाल, कुछ मामलों में सहायक हो सकते हैं, लेकिन उन्हें बीमारी के इलाज का विकल्प नहीं मानना चाहिए।"
डॉ प्रद्युम्न ने यह भी कहा, "हर व्यक्ति की स्थिति अलग होती है इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी घरेलू नुस्खा नहीं अपनाना चाहिए क्योंकि कभी-कभी ये नुस्खे दवाओं के असर को बदल सकते हैं या नुकसान पहुंचा सकते हैं।"
इलाज
क्या मधुमेह का कोई इलाज है?
डॉ प्रद्युम्न ने बताया, "अभी तक मधुमेह का कोई पूर्ण इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए संतुलित और स्वस्थ आहार का पालन करें। इसके अतिरिक्त नियमित एक्सरसाइज करने और दवाओं और डॉक्टर की निगरानी से मधुमेह के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए इसे एक दीर्घकालिक बीमारी के रूप में समझकर जीवनशैली में बदलाव लाना सबसे बेहतर तरीका है।"
परिचय
डॉक्टर प्रद्युम्न सिंह को 8 साल से अधिक का है अनुभव
डॉ प्रद्युम्न सिंह गुरुग्राम में स्थित इंद्रशीला अस्पताल में मुख्य चिकित्सा निदेशक हैं और उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है।
उनका उद्देश्य आधुनिक चिकित्सा को हर व्यक्ति की पहुंच में लाना है।
साथ ही उनका मानना है कि इलाज सिर्फ दवाओं से नहीं, बल्कि संवेदना, सही मार्गदर्शन और समय पर हस्तक्षेप से होता है।