प्री-डायबिटीज से जुड़े हैं ये शारीरिक संकेत, जानिए इससे बचाव के तरीके
ब्लड शुगर शरीर के सभी कार्यों के लिए आवश्यक है और इसका सामान्य स्तर 99 मिलीग्राम/dl या इससे कम होता है, जबकि 100 से 125 मिलीग्राम/dl दर्शाता है कि आपको प्री-डायबिटीज है। प्री-डायबिटीज तब होती है जब ब्लड शुगर का स्तर थोड़ा बढ़ जाता है। यह आपको भविष्य में मधुमेह होने के अधिक खतरे में डालता है। आइए आज हम आपको प्री-डायबिटीज से जुड़े शारीरिक संकेत और इससे बचाव के तरीके बताते हैं।
प्री-डायबिटीज से जुड़े शारीरिक संकेत
अधिक थकान: जब इंसुलिन प्रतिरोध के कारण ग्लूकोज कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता है तो कोशिकाओं को काम करने के लिए आवश्यक ईंधन नहीं मिलता है। ऐसे में आप थका हुआ और चिड़चिड़ा महसूस करते हैं। कमजोर आंखें: खून में अधिक शुगर आंखों और उनके आस-पास के ऊतकों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। लगातार पेशाब आना: जब ब्लड शुगर बढ़ती है तो इसे नियंत्रित करने के लिए किडनी अतिरिक्त ग्लूकोज को मूत्र के साथ बाहर निकाल देती है।
प्री-डायबिटीज से जुड़े अन्य शारीरिक संकेत
प्यास का बढ़ना: जब आप बार-बार पेशाब करते हैं तो शरीर का जल स्तर तेजी से कम होने लगता है, फिर आप अपनी प्यास बुझाने के लिए अधिक पानी पीते हैं, जिससे बार-बार पेशाब आता है और यह चक्र चलता रहता है। अधिक भूख लगना: प्री-डायबिटीज के मामले में कोशिकाओं में ग्लूकोज का प्रवाह नहीं होता है और ऊर्जा नहीं मिल पाती है। इसके कारण कोशिकाएं आपके मस्तिष्क को और अधिक भोजन की लालसा के लिए संकेत देती रहती हैं।
प्री-डायबिटीज के जोखिम कारक
ऐसे कई जोखिम कारक हैं, जो प्री-डायबिटीज के विकास में योगदान कर सकते हैं। इनमें मधुमेह का पारिवारिक इतिहास, मोटापा, कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन, गतिहीन जीवनशैली जीना, लंबे समय तक तनाव का अनुभव करना, फैटी लीवर और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) से ग्रस्त होना शामिल है। इस बात का ध्यान रखें कि सही जांच के बाद प्री-डायबिटीज के असल कारण का पता चल सकता है, इसलिए डॉक्टरी जांच को प्राथमिकता दें।
प्री-डायबिटीज की जांच कैसे कराई जा सकती है?
प्री-डायबिटीज की जांच में आमतौर पर फास्टिंग ब्लड शुगर और 2 घंटे का पोस्ट-ग्लूकोज ब्लड शुगर जैसे टेस्ट शामिल होते हैं। जोखिम कारकों वाले व्यक्तियों और 30 साल से अधिक उम्र के लोगों को नियमित रूप से इन जांचों से गुजरने की सलाह दी जाती है। बता दें कि प्री-डायबिटीज एक विकार है, जिसे अमूमन लोग नजरअंदाज कर देते हैं। अगर इसका इलाज नहीं करवाया जाए तो यह टाइप 2 मधुमेह का कारण बन सकता है।
क्या प्री-डायबिटीज को ठीक किया जा सकता है?
विशेषज्ञों का कहना है कि जीवनशैली में बदलाव की मदद से प्री-डायबिटीज को ठीक किया जा सकता है। 1) धीरे-धीरे और स्वस्थ तरीके से अपना वजन कम करने की कोशिश करें। 2) रोजाना 45 मिनट की ब्रिस्क वॉक करें। इसके अलावा एरोबिक्स और कार्डियो एक्सरसाइज का अभ्यास करना भी फायदेमंद है। 3) अधिक चीनी और रिफाइंड कार्ब्स से परहेज करें। 4) धूम्रपान और शराब के सेवन से दूरी बनाएं। यहां जानिए प्री-डायबिटीज से बचाव के तरीके।