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    #NewsBytesExclusive: असफलता का बोझ अपने कंधे पर नहीं रखतीं बेबाक और बिंदास जया भट्टाचार्य
    असफलता का बोझ अपने कंधे पर नहीं रखतीं जया भट्टाचार्य

    #NewsBytesExclusive: असफलता का बोझ अपने कंधे पर नहीं रखतीं बेबाक और बिंदास जया भट्टाचार्य

    लेखन नेहा शर्मा
    Sep 18, 2022
    10:15 am

    क्या है खबर?

    टेलीविजन जगत के प्रभावशाली कलाकारों का जिक्र होता है तो जया भट्टाचार्य का नाम इस फेहरिस्त में चमकता हुआ दिखाई देता है।

    जया का एक उसूल है कि वो ना तो सफलता को अपने सिर चढ़ने देती हैं और ना ही असफलता से हताश होकर हाथ पर हाथ धरकर बैठ जाती हैं।

    न्यूजबाइट्स से खास बातचीत में जया ने बताया कि वह कैसे असफलता या परेशानियों को अपनी हिम्मत मानती हैं।

    यहां पढ़िए उनसे हुई पूरी बातचीत।

    करियर

    क्या आप संगीत की दुनिया में अपना करियर बनाना चाहती थीं?

    मेरी मां एक ट्रेंड क्लासिकल सिंगर थीं तो पिता तबला बजाने में माहिर थे। संगीत का माहौल घर में शुरू से रहा। मैं बचपन में गाना गाने के साथ डांस भी करती थी। पड़ोस में लोग मुझे बुलबुल बुलाते थे। मैंने पांच साल की उम्र से ही प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। मेरे पिता ने भातखंडे संगीत कॉलेज में मेरा दाखिला कराया। उन्होंने मुझे कथक की ट्रेनिंग भी दिलाई। हालांकि, मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं क्लासिकल सिंगर बनूं।

    अभिनय

    संगीत और डांस की ट्रेनिंग लेने के बावजूद अभिनय जगत में आना कैसे हुआ?

    मेरी दिलचस्पी सुर लगाने से कहीं ज्यादा डांस में थी, लेकिन मेरे पिता मुझे सिंगर बनाना चाहते थे। इसी बात पर हमारी अनबन हुई और आखिरकार मैंने गाना और डांस दोनों को ही अलविदा कह दिया। कुछेक साल बाद मुझे एक टेलीफिल्म में डांस करने का मौका मिला। मुझसे एक रोमांटिक गाने में लड़की और लड़के दोनों का किरदार करवाया गया। फिर अगले ही दिन मुझसे एक्टिंग कराई गई। अभिनय करने का ख्याल तो दूर-दूर तक नहीं था।

    सफरनामा

    अपने अभिनय के सफर को आप किस तरह देखती हैं?

    1991 में अपना सफर शुरू करने के बाद से अब तक मैंने बहुत कुछ हासिल किया है। शायद यह मेरा नसीब ही था, जो मैं लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गईं। मेरा ना तो कोई गॉडफादर था और ना ही आंखों में एक्टर बनने का सपना था। मायानगरी में टिकने का भी कोई इरादा नहीं था। खुद-ब-खुद रास्ते बनते चले गए। छोटे पर्दे पर मेरे काम से प्रभावित होकर ही मुझे 'देवदास' से लेकर 'लज्जा' जैसी कई फिल्में मिलीं।

    बेरोजगारी

    क्या कभी काम की किल्लत से जूझना पड़ा?

    मैंने जिंदगी में सिर्फ एक दफा 2006-2007 में काम मांगा, वो भी बिल्कुल बेबाकी से। वो नौबत कभी नहीं आई कि किसी के आगे गिड़गिड़ाना पड़ा। बीच में मैंने अपनी मर्जी से काम नहीं किया। मैं अपने राखी भाई के साथ प्रोडक्शन का काम संभालने लगी थी। हालांकि, जिस पर भरोसा किया, उसी से लात खाई और अपना चलता हुआ शो बंद करा दिया। दरअसल, मैं अपना नाम नहीं खराब करना चाहती थी। मेरा मकसद सिर्फ पैसे कमाना नहीं है।

    किरदार

    आपको मिले किरदारों से आप कितनी संतुष्ट रहीं?

    मैंने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखे। कई बार मुझे यह अहसास हुआ कि मैं जो करना चाहती थी, वो मुझे नहीं मिला। हालांकि, मैंने अपना दिल छोटा नहीं किया। इस बात के लिए मैं खुद को शाबाशी देती हूं कि मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी। मेरा जज्बा ही था, जो आज मैं अपने करियर के इस मुकाम पर हूं। जीवन में हारना और अपनी हार पर गर्व करना भी बेहद जरूरी है, क्योंकि यह सचमुच हमें काफी कुछ सिखाती है।

    टाइपकास्ट

    क्या आपको एक ही जैसे किरदार के लिए टाइपकास्ट किया गया?

    मैंने 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' में पायल का किरदार निभाया, जिसके कई सालों बाद तक पायल जैसे किरदारों ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा। उस वक्त मेरे अंदर वो हीन भावना आ गई थी कि शायद मैं दूसरी कोई भूमिका निभाने के काबिल ही नहीं हूं। मैं चाहती थी कि दर्शक मुझे किसी और नजरिए से भी देखें। खुद पर टाइपकास्ट का ठप्पा लगते देख मैं सोचने लगी थी कि मुझे इंडस्ट्री में रहना चाहिए या निकल जाना चाहिए।

    कास्टिंग काउच

    क्या कभी इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच का सामना किया?

    मेरा सिर्फ तीन विचित्र लोगों से पाला पड़ा, जिन्होंने मेरे साथ बदसलूकी करना चाहीं, लेकिन खुशकिस्मती से मैं बच गई। ये लोग टीवी और फिल्मी दुनिया से ही ताल्लुक रखते थे। जब मैंने काम शुरू किया था। मैं लखनऊ में थी। एक शख्स मुझे मिले। उन्होंने मुझसे अकेले में कहा कि मैं तुझे मुंबई लेकर चलता हूं। तुझे माधुरी दीक्षित बनाऊंगा। उन महानुभाव को मैंने जवाब दिया, मैं जया भट्टाचार्य हूं। मैं जया ही बनूंगी। माधुरी तो बनी हुई हैं।

    बयान

    "ख्वाहिशें और जल्दबाजी ले डूबती है"

    जया के मुताबिक, अगर खुद को जरूरतमंद दिखाएंगे तो दूसरा आपका इस्तेमाल करेगा। जल्दबाजी की प्यास आपको गर्त में ले जाती है। जो भी आपकी जिंदगी में होता है, उसके लिए आप खुद जिम्मेदार होते हैं, इसलिए अपनी जरूरतें या ख्वाहिशें कभी बयां ना करें।

    परामर्श

    इंडस्ट्री में आने वाले कलाकारों को क्या सुझाव देना चाहेंगी?

    फिल्म या टीवी की दुनिया में बाहर से जितनी चकाचौंध दिखती है, अंदर जाकर उतना ही संघर्ष करना पड़ता है। जो भी इस फील्ड में आना चाहता है, वो सबसे पहले खुद की काबिलियत को आंके और सब्र रखे। अपनी कमियों को पहचाने। यह जानना जरूरी है कि वो इस इंडस्ट्री के लायक है भी या नहीं। एक शो मिलने के बाद दूसरा शो मिलने में बहुत वक्त लग जाता है। शायद दोबारा हीरो-हीरोइन बनने का मौका भी ना मिले।

    बेबाकी

    आप इतनी बेबाक और बिंदास कैसे हैं?

    दरअसल, मैं डरती नहीं हूं, क्योंकि डरता वो है, जो गलत करता है। मेरा आप कुछ भी खंगाल लो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मेरा जीवन एक खुली किताब की तरह है। मैं डंके की चोट पर कहती हूं कि मैंने कभी किसी से कुछ नहीं छिपाया। मैं नाप-तौल के शब्दों का इस्तेमाल नहीं करती। अपना तो सिंपल सा फंडा है गलती की है तो उसे सुधारो और आगे बढ़ो। मैं असफलता का रोना रोने वालों में से नहीं हूं।

    प्रेम

    जानवरों के प्रति अपने प्रेम के बारे में आप क्या कहेंगी?

    मैं पिछले 22 सालों से जानवरों के लिए काम कर रही हूं। लॉकडाउन में मैंने लगभग 400 जानवरों को खाना खिलाया। पहली बार मीडिया में यह बात कह रही हूं कि उस वक्त मेरा अपना अकाउंट जीरो हो गया था। जिस अकाउंट में मेरे पिताजी की पेंशन आती है, मुझे उसका इस्तेमाल करना पड़ा था, जो मैंने पहले कभी नहीं छुआ था। उनकी पेंशन के पैसों से मैंने जरूरतमंदों को अनाज बांटा। जो सस्ता चावल बांटा, खुद भी वही खाया।

    फैसला

    लॉकडाउन के दौरान आपके सिर मुंडवाने की वजह क्या थी?

    मेरी एक बहुत ही अजीज दोस्त कैंसर से पीड़ित थी। उसके बाल पूरी तरह से चले गए थे और इस वजह से वह बहुत दुखी थी। जब वह बाहर निकलती थी तो उसे बहुत अजीब लगता था कि वह कैसी दिखेगी। उसे बुरा ना लगे, इसलिए मैंने भी अपना सिर मुंडवा लिया। मुझे बहुत खुशी हुई कि मैंने कैंसर मरीजों के विग बनाने के लिए अपने बाल दान किए। अब फिर बाल बढ़ा रही हूं ताकि दोबारा दान कर सकूं।

    पहल

    आपको नहीं लगता कि बतौर अभिनेत्री आपने जो पहल की, उसके लिए हिम्मत चाहिए?

    लुक बेशक मायने रखता है, लेकिन मैं इस मामले में खुद को बेवकूफ मानती हूं। थ्रेडिंग भी तब कराती हूं, जब शूटिंग करनी होती है। मैं हमेशा बन-ठन कर नहीं रह सकती। मैं ऐसी ही हूं। मेरे लुक को लेकर कौन क्या कहेगा, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं बस जानवरों या जरूरतमंदों की सेवा करने को लेकर फिक्रमंद रहती हूं। अगर लोगों की मदद से पहले मैं अपनी खूबसूरती को तरजीह दूंगी तो मुझे खुद पर धिक्कार होगा।

    जानकारी

    जल्द ही पर्दे पर फिर जादू बिखेरेंगी जया

    जया ने बताया कि वह एक वेब सीरीज और एक फिल्म में नजर आएंगी, जिसका नाम अभी फाइनल नहीं हुआ है। इसके अलावा वह जल्द ही एक और वेब सीरीज करने वाली हैं। पिछली बार उन्हें कृति सैनन अभिनीत फिल्म 'मिमी' में देखा गया था।

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