#NewsBytesExclusive: संघर्ष के बाद IFS अधिकारी बने हर्ष वर्मा, छात्रों के लिए बताई कई महत्वपूर्ण बातें
इरादे अगर मजबूत हों तो एक न एक दिन मंजिल मिल ही जाती है। ऐसी ही कहानी है मध्य प्रदेश के गांव महू के निवासी हर्ष वर्मा की, जिन्हें कई सालों के संघर्ष के बाद सफलता मिली और उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की वन सेवा परीक्षा (IFS) में 128वीं रैंक हासिल की। हर्ष UPSC की तैयारी कर रहे छात्रों की प्रेरणा बन सकते हैं, इसलिए न्यूजबाइट्स हिंदी ने उनसे कुछ सवाल किए और उन्होंने कई महत्वपूर्ण बातें बताई।
हर्ष ने UPSC को क्यों चुना?
हर्ष ने बताया, "UPSC समाजसेवा के अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने का मौका देती है। हर कदम पर नई चुनौतियां मिलती हैं, जिससे आप नई चीजें सीखते हैं।" जब उन्होंने पोस्ट-ग्रेजुएशन के लिए प्रबंधन अध्ययन संकाय (FMS) दिल्ली में दाखिला लिया था, इस दौरान उन्हें महसूस हुआ कि कार्पोरेट क्षेत्र उनके लिए नहीं है और वे कॉलेज छोड़कर UPSC की तैयारी में जुट गए। हर्ष की मेहनत रंग लाई और पहले ही प्रयास में परीक्षा पास कर ली।
क्या कभी अपने लक्ष्य से ध्यान नहीं भटका?
हर्ष ने कहा, "मुझे विश्वास था कि एक दिन संघर्ष का सुखद अंत जरूर होगा। अगर आप लक्ष्य के प्रति ईमानदार हैं तो आपको हमेशा प्रेरणा मिलती है। मजबूत इच्छाशक्ति आपको कभी हारने नहीं देती।" यह बात भी हर्ष ने बताई थी कि उन्होंने साल 2017 से UPSC की तैयारी शुरू की थी और अब तक 5 बार UPSC CSE मुख्य परीक्षा दी है। जब लगातार 5 प्रयासों के बाद उन्हें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने IFS परीक्षा दी।
दूसरी सरकारी नौकरी में चयन होने के बाद भी ज्वाइन क्यों नहीं किया?
हर्ष ने बताया कि वह पहले पटवारी, UPSC EPFO/APFC, UGC NET जैसी परीक्षाओं को पास कर चुके हैं। उन्होंने कहा, "जब मैं दूसरी नौकरियों के लिए चयनित हुआ तो मेरे परिवार ने कभी नौकरी ज्वाइन करने के लिए दबाव नहीं बनाया। मां हमेशा कहती थी कि तुम किसी बड़े पद के लिए बने हो। उनकी इस बात ने हमेशा मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया और मैं लक्ष्य के लिए प्रयास करता रहा।"
तैयारी के दौरान सबसे बड़ी प्रेरणा कौन रहा?
हर्ष का कहना है कि उनकी मां उनके लिए सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। उन्होंने आगे बताया कि वह जब 10वीं कक्षा में थे, तब उनके पिता का निधन हो गया था। मां ने अकेले संघर्षों का सामना करते हुए उन्हें पढ़ाया। मां ने कभी हार नहीं मानी, न ही उन्हें हारने दिया। हर्ष ने यह भी कहा कि वह भीमराव अंबेडकर को भी प्रेरणास्त्रोत मानते हैं क्योंकि उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं से हमेशा आगे बढ़ने की सीख मिली।
उम्मीदों के बोझ और असफलता के बीच कैसे संतुलन कैसे बनाया?
हर्ष ने बताया, "मुझे परिवार का बहुत साथ मिला और कभी दबाव महसूस नहीं हुआ। जब मैं कई बार UPSC परीक्षा में असफल रहा तो मां और दीदी ने मेरा हौंसला बढ़ाया। मैंने तनाव से बचने के लिए मेडिटेशन का सहारा लिया।" उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि आत्मविश्वास विकसित करें, इसके लिए वो काम करें, जिससे आपको डर लगता है और उसे किसी भी तरह सफल बनाएं। ऐसे फेल होने के डर भी दूर होगा।
UPSC में सफलता अनिश्चित है तो ऐसे में क्या कोई बैकअप प्लान था?
हर्ष ने बताया कि जब कई प्रयासों के बाद UPSC CSE में सफलता नहीं मिली तो उन्होंने छोटे से लेकर बड़े स्तर की सरकारी परीक्षाएं देना शुरू की क्योंकि बैकअप रखना बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने सलाह दी है कि लगातार 3 प्रयासों के बाद सफलता नहीं मिलने पर छात्रों को बैकअप प्लान तैयार करना चाहिए। शुरुआती सालों में पूरी तरह तैयारी पर फोकस करें। पाठ्यक्रम पर पकड़ मजबूत होने के बाद नौकरी के साथ तैयारी कर सकते हैं।
क्या सिलेक्शन के लिए सब कुछ छोड़कर पढ़ाई करना जरूरी है?
हर्ष ने बताया, "UPSC का स्तर कठिन होता जा रहा है, ऐसे में बुनियादी सिद्धांतों पर मजबूत पकड़ होना जरूरी है। मैंने शुरुआती सालों में सब कुछ छोड़कर पूरे ध्यान के साथ तैयारी करना शुरू किया था।" उन्होंने आगे कहा कि प्रतिदिन नियम के साथ 8 से 10 घंटे पढ़ाई करना जरूरी है। ऐसे में छात्र हर दिन का लक्ष्य बनाएं और उसे किसी भी हाल में पूरा करने की कोशिश करें।
कोचिंग या बिना कोचिंग के, UPSC की तैयारी करने में कितना खर्च आ जाता है?
हर्ष ने बताया कि UPSC पास करने के लिए कोचिंग की जरूरत नहीं है। ऐसे में बहुत कम खर्च के साथ परीक्षा की तैयारी की जा सकती है। आपको केवल एक लैपटॉप और इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि UPSC के लिए दिल्ली जाना भी जरूरी नहीं है। इंटरनेट पर उपयोगी अध्ययन सामग्री मौजूद है, छात्र ऑनलाइन माध्यम से शिक्षकों से मार्गदर्शन ले सकते हैं और घर बैठे ही तैयारी कर सकते हैं।
वो क्या गलतियां हैं, जिनसे तैयारी कर रहे छात्रों को बचना चाहिए?
हर्ष ने कहा कि हर दिन नई स्ट्रेटजी तैयार करने और रोजाना पढ़ाई न करने जैसी गलतियों से छात्रों को बचना चाहिए। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि बार-बार अध्ययन सामग्री में बदलाव न करें और पहली रीडिंग में नोट्स बनाने की गलती न करें। इसके अतिरिक्त रिवीजन को बिल्कुल अनदेखा न करें। साथ ही किसी भी तरह के भटकाव से बचें और प्रारंभिक परीक्षा से पहले मॉक टेस्ट हल करके उसका आंकलन करना भी जरूरी है।