
#NewsBytesExclusive: क्या एंटीबायोटिक्स का अधिक सेवन गठिया होने का कारण है? विशेषज्ञ ने बताई सच्चाई
क्या है खबर?
गठिया की बीमारी तब होती है जब हड्डियों के जोड़ों में यूरिक एसिड जमा होने लगता है या जोड़ों में मौजूद टिश्यू टूटकर खत्म होने लगते हैं।
हालांकि, क्या आपको इस बीमारी के होने के कारण पता हैं? क्या इसके पीछे एंटीबायोटिक्स का अधिक सेवन जिम्मेदार है?
ऐसे कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब जानने के लिए न्यूजबाइट्स हिंदी ने ऑर्थो डॉक्टर अबुजर कमाल से बात की ताकि लोग बीमारी से जुड़ी भ्रांतियों की बजाय सही जानकारी प्राप्त कर सकें।
एंटीबायोटिक्स
क्या एंटीबायोटिक्स के अधिक सेवन से गठिया हो सकता है?
डॉ अबुजर ने कहा, "यह क्लिनिकली साबित है कि एंटीबायोटिक्स के अधिक सेवन से गठिया होने की संभावना बढ़ सकती है, खासतौर से इसके कारण रूमेटाइड गठिया होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।"
उन्होंने आगे कहा कि जो लोग खुद से किसी न किसी समस्या के लिए एंटीबायोटिक्स ले लेते हैं, वे इस बात को समझें कि हर एंटीबायोटिक आपके लिए सही हो ये जरूरी नहीं है। हमेशा डॉक्टर की सलाह अनुसार ही एंटीबायोटिक्स या अन्य दवाइयां लेनी चाहिए।
जानकारी
गठिया होने के अन्य कारण
डॉ अबुजर ने बताया कि एंटीबायोटिक्स के अलावा गठिया होने के पीछे कुछ अन्य कारक भी जिम्मेदार हो सकते हैं, जिसमें अधिक वजन, शारीरिक सक्रियता न होना, आनुवंशिक कारक, ऑटोइम्यून रोग, धूम्रपान करना, जोड़ों में चोट लगना आदि भी शामिल हैं।
प्रभाव
एंटीबायोटिक्स का गठिया रोगियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
डॉ अबुजर ने बताया कि गठिया रोगी अगर एंटीबायोटिक्स का अधिक सेवन करते हैं तो इससे बीमारी के लक्षण ट्रिगर हो सकते हैं, फिर चाहें दर्द, सूजन, सुन्नपन हो या फिर अकड़न।
उन्होंने आगे ये भी बताया कि गठिया से शरीर का लगभग हर जोड़ प्रभावित होता है और इसका सबसे ज्यादा असर घुटनों समेत कूल्हों पर दिखाई देता है और इसमें मरीज का चलना-फिरना, उठना-बैठना तक मुश्किल हो जाता है।
प्रकार
गठिया के प्रकार
डॉ अबुजर ने बताया कि गठिया के प्रकार में सबसे आम ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड है। इसके अतिरिक्त गाउट, सेप्टिक और एंकीलोजिंग स्पोंडिलाइटिस है।
उन्होंने आगे बताया, "ऑस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों के कार्टिलेज के घिसने से होता है, जबकि रूमेटाइड में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों पर हमला करती है।"
डॉ अबुजर ने गाउट का कारण हड्डियों में यूरिक एसिड के क्रिस्टल जमा होने का बताया और सेप्टिक जोड़ों का एक संक्रमण है, वहीं एंकीलोजिंग स्पोंडिलाइटिस रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है।
टेस्ट
गठिया का पता लगाने के लिए कौन-कौन से टेस्ट करवाने चाहिए?
डॉ अबुजर के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को गठिया के लक्षण दिखें तो वह डॉक्टर से संपर्क करे ताकि वह कुछ मेडिकल जांच करके बता सकें कि उसे यह बीमारी है या नहीं।
उन्होंने कहा कि इसके लिए डॉक्टर एक्स-रे और MRI स्कैन कराने को कह सकता है। इसके अतिरिक्त डॉक्टर यूरिक एसिड टेस्ट, RA टेस्ट, CRP टेस्ट और एंटी-CCP टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकते हैं। इनसे पता चल सकता है कि व्यक्ति को कौन-सा गठिया हुआ है।
घरेलू नुस्खे
क्या गठिया रोगियों के लिए घरेलू नुस्खे अपनाना सही है?
डॉ अबुजर का कहना है, "गठिया के लिए घरेलू नुस्खे अपनाने का कोई फायदा नहीं है। अगर आप किसी तेल या क्रीम आदि से प्रभावित हिस्से की मालिश करते हैं तो कुछ मिनट के लिए ही दर्द से आराम मिल सकता है, लेकिन स्थिति वैसी की वैसी ही रहती है।"
उन्होंने सलाह दी कि गठिया रोगियों को किसी घरेलू नुस्खे की बजाय डॉक्टर की सलाह अनुसार इलाज करवाना चाहिए ताकि उनकी स्थिति गंभीर न हो।
इलाज
गठिया का इलाज क्या सिर्फ ऑपरेशन है और इसका सफलता प्रतिशत कितना है?
डॉ अबुजर ने कहा, "गठिया का इलाज सिर्फ ऑपरेशन नहीं है, बल्कि दवा, सही डाइट, एक्सरसाइज और थेरेपी भी इसके जोखिम कम कर सकती है।"
उन्होंने आगे कहा कि अगर समस्या गंभीर और व्यक्ति को मोटापा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियां नहीं हो तो डॉक्टर सर्जरी कराने की सलाह दे सकते हैं, जिसमें नी रिप्लेसमेंट आदि प्रक्रिया को अपनाया जा सकता है।
उनका ये भी कहा है कि उम्रदराज की तुलना में युवाओं का ऑपरेशन ज्यादा कामयाब रहता है।
सावधानी
गठिया के रोगियों को किन-किन बातों का ध्यान रखें?
डॉ अबुजर का कहना है कि गठिया रोगियों के लिए अपनी डाइट को बेहतर रखना बहुत जरूरी है। इसके अतिरिक्त शारीरिक सक्रियता बहुत महत्वपूर्ण है और एक ही जगह पर बहुत देर तक बैठने से बचें।
उन्होनें आगे कहा कि अगर शरीर के किसी हिस्से में सूजन दिखे या वजन एकदम से बढ़े तो डॉक्टर से संपर्क करें।
उनका ये भी कहना है कि अपनी हाइट के अनुसार अपने वजन को नियंत्रित रखें।
खतरा
गठिया कितनी डराने वाली बीमारी है, क्या इससे बहुत डरने की जरुरत है?
डॉ अबुजर ने बताया कि गठिया को हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि समय रहते इसका इलाज न करवाने पर व्यक्ति के लिए उठना-बैठना और चलना-फिरना तक मुश्किल हो सकता है।
उन्होंने कहा कि इससे बचाव बहुत जरूरी है, जिसके लिए हर किसी को कैल्शियम व अन्य पोषक तत्वों से युक्त खाद्य पदार्थ समेत पर्याप्त पानी का सेवन करना चाहिए, अल्कोहल और धूम्रपान से दूरी बनानी चाहिए। इसके अलावा रोजाना कुछ मिनट एक्सरसाइज करनी चाहिए।
परिचय
डॉ अबुजर कमाल को 7 साल से अधिक का है अनुभव
डॉ अबुजर कमाल की दिल्ली में अपनी 2 क्लिनिक हैं, जिसका नाम कमाल क्लिनिक एंड पेन मैनेजमेंट सेंटर है और वे दिव्य प्रस्थ अस्पताल में भी कार्यरत रह चुके हैं।
उन्हें ऑर्थो के क्षेत्र में 7 साल से अधिक का अनुभव है और वह हड्डियों और गठिया से जुड़े कई विषयों के विशेषज्ञ हैं।
उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में बेहतर योगदान के लिए अब तक कई प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स मिल चुके हैं।