कोरोना के इलाज के लिए मलेरिया, कैंसर और अर्थराइटिस की दवाओं का ट्रायल करेगा WHO
क्या है खबर?
कोरोना के गंभीर मरीजों के संभावित इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) तीन नई दवाओं का ट्रायल करेगा।
एक विशेषज्ञ समूह ने कोरोना मरीजों में मौत का जोखिम कम करने की क्षमता रखने वाली तीन दवाओं को चुना है।
इस ट्रायल का फैसला ऐसे समय लिया गया है, जब संगठन ने कोरोना का इलाज ढूंढने के लिए चल रहे वैश्विक सॉलि़डेरिटी ट्रायल का दायरा बढ़ाकर 52 देशों को इसमें शामिल कर लिया है।
कोरोना का इलाज
इन दवाओं का होगा ट्रायल
कोरोना के संभावित इलाज के लिए जिन तीन दवाओं को चुना गया है, उनके नाम- आर्टिसुनेट, इमैटिनिब और इन्फ्लिक्सिमैब है।
आर्टिसुनेट को गंभीर मलेरिया, इमैटिनिब को कैंसर और इन्फ्लिक्सिमैब को अर्थराइटिस और इम्युन सिस्टम की बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
WHO के प्रमुख डॉ टेड्रोस अधेनोम गेब्रिएसेस ने कहा कि कोरोना के इलाज के लिए प्रभावी और किफायतों दवाओं की गंभीर जरूरत है और इस खोज का अगुवा बनकर संगठन बेहद खुश है।
जानकारी
इन दवाओं का उत्पादन कहा होता है?
आर्टिसुनेट का उत्पादन मुंबई स्थित इपका लैबोरेट्री करती है। इस दवा को पिछले 30 सालों से मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है और यह बहुत सुरक्षित मानी गई है।
इमैटिनिब का उत्पादन स्विस कंपनी नोवार्तिस करती है और यह कई प्रकार के कैंसर के इलाज में उपयोग होती है। शुरुआती अध्ययनों में यह कोरोना मरीजों पर फायदमेंद साबित हुई है।
वहीं इन्फ्लिक्सिमैब इम्युन सिस्टम की बीमारियों का इलाज करती है। इसका उत्पादन जॉनसन एंड जॉनसन करती है।
जानकारी
पूरा हो चुका है सॉलिडेरिटी ट्रायल का पहला चरण
कोरोना के इलाज की खोज के लिए WHO के सॉलिडेरिटी ट्रायल का पहला चरण पिछले साल खत्म हो गया था। नए चरण के दायरे को बढ़ाकर 52 देशों के 600 अस्पतालों को इसमें शामिल किया गया है। पहले चरण में 36 देश शामिल थे।
कोरोना वायरस
WHO ने सुझाए हैं ये दो इलाज
इस ट्रायल के तहत रेमडेसिवीर, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन, लोपिनेविर और इंटरफेरोन की समीक्षा हो चुकी है और कोरोना के इलाज में इनमें से कोई भी दवा प्रभावी नहीं पाई गई है।
WHO ने अभी तक कोरोना के दो इलाज सुझाए हैं। संगठन ने पिछले महीने इंटरलियुकिन-6 रिसेप्टर ब्लॉकर और उससे पहले कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स का सुझाव दिया था। डेक्सामेथासोन एक कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स है, जो वेंटिलेटर पर रखे गए कोरोना संक्रमितों की मौत के जोखिम को एक तिहाई तक कम कर देती है।
कोरोना संकट
फिर से रफ्तार पकड़ रही है महामारी
WHO ने सॉलिडेरिटी ट्रायल के नए चरण का फैसला ऐसे समय लिया है, जब वैश्विक स्तर पर महामारी रफ्तार पकड़ रही है। अधिक खतरनाक और संक्रामक डेल्टा वेरिएंट ने कई देशों में तबाही मचा रखी है।
अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में भी डेल्टा वेरिएंट के कारण मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जबकि यहां की करीब आधी आबादी पूरी तरह वैक्सीनेट हो चुकी है।
वैक्सीनेशन की कवरेज से बाहर लोगों के लिए डेल्टा बडा खतरा बनकर उभरा है।
कोरोना वायरस
दुनियाभर में संक्रमण की क्या स्थिति?
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक लगभग 20.47 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 43.24 लाख लोगों की मौत हुई है।
सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 3.62 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 6.18 लाख लोगों की मौत हुई है। अमेरिका के बाद भारत दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश है।
भारत में अब तक लगभग 3.21 करोड़ लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है और 4.29 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।