कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए फेबिफ्लू के बाद कोविफोर को भी मिली मंजूरी
भारत की प्रमुख जेनरिक दवा कंपनी हेटेरो (Hetero) को कोरोना वायरस (COVID-19) मरीजों के इलाज के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) से एंटी वायरल दवा रेमडेसिवीर के उत्पादन और मार्केंटिंग की मंजूरी मिल गई है। कंपनी ने रविवार को इस संबंध में बयान जारी कर जानकारी दी। कंपनी का रेमेडेसिवीर का जेनरिक वर्जन कोविफोर (COVIFOR) के नाम से बाजार में उपलब्ध होगा। बता दें, 126 देशों में मौजूद हेटेरो सस्ती दवाइंया बनाने का काम करती है।
कल मिली थी फेबिफ्लू को मंजूरी
कोविफोर से एक दिन पहले ग्लेनमार्क ने भी एंटीवायरल दवा फेविपिरेवीर को भारत में लॉन्च किया था। इसे भारत में फेबिफ्लू के नाम से बेचा जाएगा। यह कोरोना वायरस के हल्के लक्षणों वाले मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाएगी।
"गेम चेंजर साबित हो सकती है कोविफोर"
कोविफोर को DGCI से मिली मंजूरी पर प्रतिक्रिया देते हुए हेटेरो ग्रुप के प्रमुख डॉक्टर बी पार्थ सारथी रेड्डी ने कहा, "देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच कोविफोर (रेमडेसिवीर) को मंजूरी मिलने गेम चेंजर साबित हो सकता है। क्लिनिकल ट्रायल में इसके सकारात्मक नतीजे सामने आए थे। हम भरोसा दिलाते हैं कि दवा देशभर में कोरोना वायरस के मरीजों के लिए तुरंत उपलब्ध करा दी जाएगी। हम पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित करने को तैयार हैं।"
गंभीर लक्षण वाले मरीजों पर होगी इस्तेमाल
DGCI ने कोरोना संक्रमितों और संदिग्ध मरीजों के इलाज के लिए रेमडेसिवीर की मंजूरी दी है। इसे बीमारी के गंभीर लक्षणों वाले बच्चों और व्यस्कों पर इस्तेमाल किया जा सकता है। कोविफोर 100mg की छोटी शीशी में उपलब्ध होगी, जिसे इंजेक्शन के जरिये मरीज को दिया जाएगा। रेमडेसिवीर बनाने वाली कंपनी गिलियाड से लाइसेंस समझौते के बाद यह दवा तैयार की गई है। इसके तहत निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इस दवा की पहुंच बढ़ाई जाएगी।
इबोला के लिए विकसित की गई थी रेमडेसिवीर
इसी महीने की शुरुआत में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना मरीजों के लिए आपात स्थिति में रेमडेसिवीर के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। जानकारी के लिए बता दें कि रेमडेसिवीर एक न्यूक्लियोसाइड राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) पोलीमरेज इनहिबिटर इंजेक्शन है। इसे सबसे पहले इबोला के इलाज के लिए विकसित किया गया था। यह दवा मरीजों को जल्दी ठीक होने में मदद करती है। यह वायरस के जीनोम में शामिल होकर उसे आगे बढ़ने से रोकने का काम करती है।
दवा के ट्रायल सफल होने की उम्मीद में दुनिया
गिलियाड साइंसेस द्वारा बनाई गई रेमडेसिवीर का सबसे पहले इबोला वायरस के दौरान इंसानों पर ट्रायल किया गया था। इसके अलावा इसने कोरोना वायरस से ही होने वाली मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) और सीवेर एक्युट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) जैसी खतरनाक बीमारियों के खिलाफ लड़ाई में शानदार नतीजे दिखाए थे। इस दवा पर दुनियाभर में छह अलग-अलग ट्रायल और स्टडी चल रही हैं और जानकार कोरोना के खिलाफ इलाज में भी इसके कामयाब होने की उम्मीद कर रहे हैं।