डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 61 प्रतिशत प्रभावी है कोविशील्ड की एक खुराक- कोविड पैनल प्रमुख
'कोविशील्ड' वैक्सीन की दो खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने पर विवाद के बीच कोविड वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ एनके अरोड़ा ने कहा कि कोविशील्ड की एक खुराक डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 61 प्रतिशत प्रभावी है। यूनाइटेड किंगडम (UK) की एक स्टडी, जिसमें दो खुराकों के बीच 12 हफ्ते का अंतराल रखने पर कोविशील्ड की एक खुराक को 33 प्रतिशत प्रभावी बताया गया था, को कम प्रांसगिक बताते हुए उन्होंने कहा कि ये स्टडी बहुत कम लोगों पर हुई थी।
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के विश्लेषण में 65 प्रतिशत प्रभावी पाई गईं दोनों खुराकें
डॉ अरोड़ा ने NDTV को बताया कि तमिलनाडु के वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज द्वारा हजारों सैंपलों पर किए गए विश्लेषण में डेल्टा वेरिएंट की लहर के चरम के समय कोविशील्ड की एक खुराक को 61 प्रतिशत प्रभावी पाया गया। दो खुराकों के बाद वैक्सीन की प्रभावशीलता बढ़कर 65 प्रतिशत हो गई। उन्होंने कहा कि अल्पावधि में एक और दो खुराकों ने गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने के खतरे और मौत से बराबर सुरक्षा प्रदान की।
डॉ अरोड़ा ने किया अंतराल बढ़ाने के फैसले का बचाव
कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच 12-16 हफ्ते का अंतर करने के सरकार के फैसले का बचाव करते हुए डॉ अरोड़ा ने कहा कि राष्ट्रीय कोविड वैक्सीनेशन अभियान की शुरूआत चार हफ्ते के अंतराल से ही शुरू हुई थी और UK तभी अंतराल को बढ़ाकर 12 हफ्ते कर चुका था। उन्होंने कहा, "WHO ने भी 6-8 हफ्ते के अंतराल को अच्छा बताया। हालांकि वर्किंग ग्रुप ने UK से आ रहे वास्तविक दुनिया के डाटा को देखने का फैसला लिया।"
"UK ने 12 हफ्ते के अंतराल पर 65-80 प्रतिशत प्रभावी बताई थी वैक्सीन"
डॉ अरोड़ा ने आगे कहा, "अप्रैल में पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने कहा कि 12 हफ्ते के अंतराल पर कोविशील्ड 65-80 प्रतिशत प्रभावी है। कुछ दिन बाद ही उसने कहा कि एक खुराक 33 प्रतिशत प्रभावी है। लेकिन इस ट्रायल में बहुत कम लोग शामिल थे।"
विवादों में है अंतराल बढ़ाने का केंद्र सरकार का फैसला
कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच 12-16 हफ्ते का अंतराल करने का केंद्र सरकार का फैसला कल तब एक बार फिर विवादों में आ गया जब एक वैज्ञानिक समूह ने कहा कि सरकार ने ये फैसला उससे पूछ कर नहीं लिया। दरअसल, पिछले महीने इसका ऐलान करते हुए सरकार ने कहा था कि उनसे यह फैसला नेशनल टेक्निकल एडवायजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (NTAGI) की सिफारिश पर लिया है, लेकिन इस समूह ने ऐसी कोई सिफारिश करने से इनकार किया है।
"NTAGI ने कही थी 8-12 सप्ताह के अंतराल की बात"
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी के पूर्व निदेशक एमडी गुप्ते ने कहा कि NTAGI ने अंतराल को बढ़ाकर 8-12 सप्ताह करने को कहा था, लेकिन इसके पास 12 सप्ताह के बाद दूसरी खुराक देने से होने वाले असर का कोई डाटा नहीं था। उन्होंने कहा, "8-12 सप्ताह सभी मानते हैं। 12-16 सप्ताह की वजह सरकार ही बता पाएगी। यह ठीक हो भी सकता है और नहीं भी। इस पर हमारे पास कोई सूचना नहीं है।"
क्या है अंतराल बढ़ाने के पीछे सरकार की दलील?
सरकार का कहना है कि कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच अंतराल बढ़ाने से इसकी प्रभावशीलता बढ़ती है और इसी कारण पिछले तीन महीने में इस अंतराल को दो बार बढ़ाया गया है। पहले मार्च में इसे बढ़ाकर 6-8 सप्ताह किया गया और फिर बाद में मई में फिर इसे बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया गया। हालांकि कई विशेषज्ञों ने डेल्टा जैसे नए वेरिएंट्स को देखते हुए खुराकों के बीच के अंतराल को कम करने को कहा है।