ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ किन वैक्सीनों के बूस्टर शॉट असरदार साबित हुए हैं?
क्या है खबर?
कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट ने दुनिया के सामने नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। यह तेजी से अपने पैर पसार रहा है और एक बार पाबंदियां का दौर लौटता नजर आ रहा है।
शुरुआती संकेत दिखाते हैं कि वैक्सीन की दो खुराकें इसके खिलाफ प्रभावी नहीं हैं, लेकिन फाइजर और मॉडर्ना के बाद अब एस्ट्राजेनेका ने भी बताया है कि उसकी वैक्सीन के बूस्टर शॉट ओमिक्रॉन के खिलाफ सुरक्षा दे सकते हैं।
ओमिक्रॉन वेरिएंट
कोविशील्ड का बूस्टर शॉट प्रभावी साबित हुआ
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नए अध्ययन में पता चला है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (कोविशील्ड) का बूस्टर शॉट इंसानी शरीर में ओमिक्रॉन वेरिएंट को निष्क्रिय करने वाली एंटीबॉडीज का स्तर बढ़ा देता है। इससे यह उम्मीद जगी है कि यह वैक्सीन ओमिक्रॉन का प्रसार रोकने में मदद कर सकती है।
एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर यह वैक्सीन विकसित की थी, जिसे भारत में कोविशील्ड नाम से जाना जाता है और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) इसका उत्पादन कर रही है।
कोविशील्ड
अध्ययन में क्या सामने आया?
अध्ययन में पता चला कि कोविशील्ड का बूस्टर शॉट लेने के एक महीने बाद व्यक्ति में ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ उसी स्तर की एंटीबॉडीज देखी गई, जो डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ दूसरी खुराक लेने के एक महीने बाद थी।
साथ ही बूस्टर शॉट के बाद इंसानी शरीर में बनने वाली एंटीबॉडीज का स्तर डेल्टा या किसी दूसरे वेरिएंट से संक्रमण से ठीक होने के बाद पाए जाने वाले स्तर से अधिक था।
ओमिक्रॉन वेरिएंट
मॉडर्ना ने भी अपने बूस्टर शॉट को बताया प्रभावी
अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना ने सोमवार को दावा किया कि उसकी mRNA कोविड वैक्सीन का बूस्टर शॉट कोरोना वायरस के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी है। लैब में किए गए टेस्ट के आधार पर कंपनी ने ये बात कही है।
कंपनी ने ओमिक्रॉन के खिलाफ मौजूदा वैक्सीन का ही इस्तेमाल करने की बात भी कही, हालांकि वह भविष्य में उपयोग के लिए इस वेरिएंट के खिलाफ एक अलग वैक्सीन भी बना रही है।
मॉडर्ना वैक्सीन
बूस्टर खुराक से 37-80 गुना बढ़ी न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज की संख्या
मॉडर्ना ने अपने बयान में कहा कि उसकी वैक्सीन की दो खुराकों ने ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ कम संख्या में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज पैदा कीं, लेकिन 50 माइक्रोग्राम के बूस्टर शॉट ने वेरिएंट के खिलाफ 37 गुना अधिक न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज पैदा कीं। वहीं 100 माइक्रोग्राम की बूस्टर खुराक देने पर एंटीबॉडीज का स्तर और भी बढ़ गया और 80 गुणा अधिक न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज पैदा हुईं।
वैक्सीन लगवाने वाले लोगों के खून की टेस्टिंग करके ये नतीजे निकाले गए हैं।
बूस्टर शॉट
फाइजर भी कर चुकी ऐसा दावा
ओमिक्रॉन के सामने आने के शुरुआती दिनों में फाइजर कोरोना वैक्सीन को लेकर एक अध्ययन किया गया था। इसमें पता चला कि फाइजर वैक्सीन की दो खुराकें ओमिक्रॉन के खिलाफ शुरुआती वेरिएंट की तुलना में 20 गुना कम एंटीबॉडीज बनाती हैं।
कंपनी ने भी इस बात को माना, लेकिन कहा कि बूस्टर शॉट ओमिक्रॉन के खिलाफ प्रभावी है और यह सुरक्षा को ठीक उस स्तर पर ले जाता है, जो दो खुराकें शुरुआती वेरिएंट के खिलाफ देती थीं।
राहत
फाइजर की गोली भी ओमिक्रॉन के खिलाफ असरदार
अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर इंक की कोरोना के खिलाफ तैयारी की गई एंटी वारयल गोली पैक्सलोविड (Paxlovid) अंतिम विश्लेषण में भी उच्च जोखिम वाले मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने और मौतों को रोकने में 90 प्रतिशत तक कम करने वाली पाई गई है।
इसी तरह यह गोली हाल में लैब में किए गए परीक्षणों में 32 म्यूटेशन वाले ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ भी असरकारक मिली है। कंपनी को जल्द इसके आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
जानकारी
भारत में नहीं दिए जा रहे बूस्टर शॉट
भारत में लंबे समय से बूस्टर शॉट की मांग हो रही है, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने इस दिशा में कोई फैसला नहीं लिया है।
कर्नाटक, दिल्ली, केरल और राजस्थान समेत कई राज्यों की सरकारों ने केंद्र से बूस्टर शॉट लगाने की इजाजत मांगी है, लेकिन केंद्र सरकार ने कहा है कि पहले उसका ध्यान पात्र आबादी का पूर्ण वैक्सीनेशन करने पर है।
अब सरकार ने बूस्टर शॉट की जरूरत समझने के लिए अध्ययन शुरू किया है।
न्यूजबाइट्स प्लस
क्यों खतरनाक माना जा रहा ओमिक्रॉन?
पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पकड़ में आए ओमिक्रॉन वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम B.1.1.529 है और इसकी स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन हैं।
विशेषज्ञों का कहना है यह वेरिएंट वायरस के अन्य वेरिएंट्स की तुलना में अधिक संक्रामक और खतरनाक हो सकता है। दुनियाभर में इसके मामले बेहद तेजी से बढ़ रहे हैं।
WHO ने इसे 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' करार दिया है और इस ऐलान के बाद कई देश यात्रा प्रतिबंध लागू कर चुके है।