32 म्यूटेंट के साथ सामने आया कोरोना वायरस का नया वेरिएंट, वैज्ञानिकों ने जारी की चेतावनी
कोरोना वायरस महामारी के खत्म होने की सोच रहे लोगों के लिए चिंता की खबर है। दक्षिण अफ्रीका में 32 स्पाइक म्यूटेशन के साथ कोरोना वायरस का नया वेरिएंट सामने आया है। इसे वायरस के अन्य सभी वेरिएंटों से भी खतरनाक बताया जा रहा है। इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के प्रमुख वायरोलॉजिस्ट डॉ टॉम पीकॉक ने इस वेरिएंट के बारे में जानकारी देते हुए चिंता का कारण बताया है। वैज्ञानिक अब इस वेरिएंट के प्रभावों को समझने में जुटे हैं।
तीन देशों में सामने आ चुके हैं नए वेरिएंट के 10 मामले
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, वायरस के इस वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम B.1.1.529 है और अब इसे ANU नाम दिया गया है। इस वेरिएंट के संक्रमण का पहला मामला बोत्सवाना में सामने आया था। उसके बाद हांगकांग और दक्षिण अफ्रीका में इसके मामलों की पुष्टि हो चुकी है। दक्षिण अफ्रीका में इसके सबसे अधिक छह, बोत्सवाना में तीन और हांगकांग में एक मामला सामने आ चुका है। इस वेरिएंट को सबसे अधिक व्यापक और संक्रामक बताया जा रहा है।
नए वेरिएंट में है अन्य से खतरनाक बनने की क्षमता- पीकॉक
वायरोलॉजिस्ट पीकॉक ने नए वेरिएंट के म्यूटेशन को भयानक बताते हुए कहा, "यह B.1.1.529 वेरिएंट की गंभीर प्रोफाइल के कारण इसकी निगरानी बहुत अधिक आवश्यक है।" उन्होंने कहा, "विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वर्तमान में ब्रिटेन के अल्फा, दक्षिण अफ्रीका के बीटा, बा्रजील के गामा और भारत के डेल्टा वेरिएंट को ही चिंता का प्रकार बताया है, लेकिन नया वेरिएंट डेल्टा सहित अन्य किसी भी वेरिएंट से खतरनाक होने की क्षमता रखता है।"
पहली बार एक ही वेरिएंट में दिखे हैं दो म्यूटेंट- पीकॉक
वायरोलॉजिस्ट पीकॉक ने कहा, "नए वेरिएंट में मिले P681H म्यूटेशन को अल्फा, Mu, गामा और B.1.1.318 वेरिएंट में भी देखा है। नए वेरिएंट में N679K म्यूटेशन भी है जो कई अन्य वेरिएंट में पाया गया है। यह पहली बार है जब मैंने इनमें से दो म्यूटेशन एक ही वेरिएंट में देखे हैं।" उन्होंने कहा, "नए वेरिएंट में N501Y नामक म्यूटेशन भी होता है, जिसे चिंता के अन्य रूपों में सूचित किया गया है। यह वेरिएंट को अधिक संक्रामक बनाता है।"
ये म्यूटेशन भी वेरिएंट को बनाते हैं खतरनाक
पीकॉक ने कहा कि नए वेरिएंट में P681H म्यूटेशन भी मिला है जो SARS CoV-2 में पहचाने गए स्पाइक म्यूटेशन में से एक है। यह वायरस की पहुंच को बढ़ाता है। इसी तरह D614G म्यूटेशन के कारण वायरस की संक्रामकता में तेजी आती है।
नए वेरिएंट को लेकर किया जा रहा है अध्ययन- सौपति
CSIR-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी की डॉ दिव्या तेज सौपति ने कहा कि नए वेरिएंट के बहुत कम जीनोमिक सीक्वेंस उपलब्ध हैं। ऐसे में इसके और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है। वर्तमान में वेरिएंट की निगरानी की जा रही है।" अन्य वैज्ञानिकों के अनुसार, वेरिएंट में अधिक संख्या में म्यूटेंट इसके खिलाफ काम कर सकते हैं और इसे 'अस्थिर' बना सकते हैं। जिससे इसे फैलने से रोका जा सकता है।