कोरोना वायरस: दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट के खिलाफ दो-तिहाई कम एंटीबॉडीज पैदा करती है फाइजर की वैक्सीन
फाइजर और बायोएनटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट के खिलाफ दो-तिहाई कम एंटीबॉडीज पैदा करती है और इससे वेरिएंट के खिलाफ मिलने वाली सुरक्षा में कमी आ सकती है। लैब में की गई एक स्टडी में यह बात सामने आई है। हालांकि कम एंटीबॉडीज के बावजूद वैक्सीन इस वेरिएंट को निष्क्रिय करने में कामयाब रही और अभी तक ट्रायल में इसके वेरिएंट के खिलाफ कम प्रभावी साबित होने के सबूत नहीं मिले हैं।
स्टडी में क्या किया गया?
दोनों कंपनियों और टेक्सास यूनिवर्सिटी के मेडिकल ब्रांच (UTMB) द्वारा की गई इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने सबसे पहले दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट की स्पाइक प्रोटीन पर जो म्यूटेशन हैं, वैसे ही म्यूटेशन के साथ एक वायरस लैब में बनाया। इसके बाद उन्होंने जिन लोगों को फाइजर की वैक्सीन लगाई जा चुकी थी, उनसे खून का सैंपल लिया और इसमें लैब में बनाए गए वायरस का टेस्ट किया। टेस्ट करने पर उन्होंने न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज के स्तर में दो-तिहाई कमी पाई।
अभी स्पष्ट नहीं, वेरिएंट के खिलाफ कितना प्रभावी होगी वैक्सीन
चूंकि अभी तक इसका कोई बेंचमार्क नहीं है कि वायरस से सुरक्षा प्रदान करने के लिए कितनी एंटीबॉडीज चाहिए, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि क्या एंटीबॉडीज के स्तर में दो-तिहाई कमी फाइजर की वैक्सीन को दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट के खिलाफ अप्रभावी कर देगी। हालांकि UTMB के प्रोफेसर और स्टडी के सह-लेखक पीई-योंग शी ने उम्मीद जताई है कि फाइजर की वैक्सीन इस वेरिएंट के खिलाफ भी सुरक्षा प्रदान करेगी।
शी ने इस आधार पर जताई वैक्सीन के प्रभावी होने की उम्मीद
शी ने कहा, "हमें नहीं पता कि न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज की न्यूनतम संख्या कितनी है... हालांकि मुझे लगता है कि वेरिएंट के खिलाफ देखा गया इम्युन रिस्पांस सुरक्षा प्रदान करने के लिए जितना स्तर जरूरी है, उससे अधिक है।" उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि इस स्टडी में पाए गए एंटीबॉडीज के स्तर से भी कम एंटीबॉडीज होने पर भी फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीनें पहली खुराक के बाद कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान करने में कामयाब रही थीं।
गंभीर बीमारी और मौतों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है वैक्सीन- शी
शी ने कहा कि अगर वैक्सीन दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट के खिलाफ कम प्रभावी साबित होती है तो भी यह गंभीर बीमारी और मौतों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्वास्थ्य व्यवस्था को लड़खड़ाने से बचाने के लिए यह सबसे अहम है। शी ने कहा कि वैक्सीन दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट के खिलाफ कितनी प्रभावी है, यह समझने के लिए अभी और शोध करने की जरूरत है।
कई अहम म्यूटेशन के खिलाफ प्रभावी पाई जा चुकी है वैक्सीन
गौरतलब है कि फाइजर वैक्सीन को इससे पहले हुई कुछ स्टडीज में कई अहम म्यूटेशन के खिलाफ प्रभावी पाया गया था जो दक्षिण अफ्रीका के अलावा यूनाइटेड किंगडम (UK) और ब्राजील में पाए गए वेरिएंट्स में भी मौजूद हैं। वैज्ञानिक इसके UK वेरिएंट के खिलाफ काम करने की उम्मीद जता चुके हैं, हालांकि दक्षिण अफ्रीकी और ब्राजीली वेरिएंट्स को लेकर वे इतने आश्वस्त नहीं हैं। इन वेरिएंट्स के हिसाब से वैक्सीन में बदलाव करने पर भी विचार हो रहा है।