कोरोना वायरस: फाइजर ने भारत से वापस लिया वैक्सीन की आपात मंजूरी का आवेदन
कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन तैयार करने वाली अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर की वैक्सीन का वर्तमान में कई देशों में आपातकालीन उपयोग चल रहा है। इसी बीच बड़ी खबर आई है कि कंपनी ने भारत में आपात मंजूरी के लिए किए गए अपने आवेदन को वापस ले लिया है। हालांकि, कंपनी का कहना है कि फाइजर का प्राधिकरण के साथ संवाद जारी रहेगा और भविष्य में वैक्सीन उपलब्ध कराने को लेकर अनुमोदन अनुरोध को फिर से किया जाएगा।
फाइजर ने किया था वैक्सीन के 95 प्रतिशत प्रभावी होने का दावा
बता दें कि वैक्सीन विकसित करने वाली कंपनी फाइजर-बायोएनटेक ने गत 18 नवंबर को दावा किया था कि तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल का अंतिम विश्लेषण में सामने आया है कि उनकी वैक्सीन 95 प्रतिशत तक असरकारकर है। इसके साथ ही कंपनी ने यह भी दावा किया था कि वैक्सीन सुरक्षा मानकों पर खरी उतरी है। विश्लेषण में बड़े वयस्कों में भी ये कारगर रही है और किसी भी वॉलेंटियर में कोई गंभीर सुरक्षा चिंता देखने को नहीं मिली।
फाइजर ने दिसंबर में किया था आपात मंजूरी के लिए आवेदन
बता दें कि फाइजर ने भारत में वैक्सीन की आपात मंजूरी के लिए आवेदन करने वाली पहली कंपनी थी। उसने गत 6 दिसंबर को भारत में वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (EUA) के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के यहां आवेदन किया था। हालांकि, DCGI ने मंजूरी के लिए उसे और अधिक डेटा उपलब्ध कराने तथा कोल्ड स्टोरेज स्थिति की समीक्षा करने के बाद मंजूरी देने की बात कही थी, लेकिन कंपनी को अभी तक मंजूरी नहीं दी।
कंपनी ने बुधवार को किया था आवेदन वापस लेने का निर्णय
NDTV के अनुसार, फाइजर के प्रवक्ता ने कहा, "अपनी कोरोना वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मांग के अनुसरण में फाइजर ने 3 फरवरी को ड्रग नियामक प्राधिकरण की विषय विशेषज्ञ समिति की बैठक में हिस्सा लिया था। बैठक में विचार-विमर्श और अतिरिक्त जानकारी जुटाने के बाद कंपनी ने फिलहाल आवेदन वापस लेने का फैसला किया है।" उन्होंने कहा कि फाइजर का प्राधिकरण के साथ संवाद जारी रहेगा और भविष्य में अनुरोध को फिर से जारी किया जाएगा।
अपेक्षित मार्ग का अनुसरण करने के लिए प्रतिबद्ध है कंपनी
फाइजर के प्रवक्ता ने कहा, "हमारी कंपनी भारत में सरकार द्वारा उपयोग के लिए अपनी वैक्सीन को उपलब्ध कराने और आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के लिए अपेक्षित मार्ग का अनुसरण करने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे भविष्य के लिए भी संभावनाएं बनी रहेगी।
mRNA तकनीक से तैयार की गई है वैक्सीन
जानकारी के लिए बता दें कि फाइजर और बायोएनटेक की वैक्सीन एक नई तकनीक पर आधारित है। इस वैक्सीन को mRNA तकनीक के जरिए बनाया गया है। इस तकनीक में वायरस के जिनोम का प्रयोग कर कृत्रिम RNA बनाया जाता है जो सेल्स में जाकर उन्हें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है। इन स्पाइक प्रोटीन की पहचान कर सेल्स कोरोना की एंटीबॉडीज बनाने लग जाती हैं। मॉडर्ना की संभावित वैक्सीन भी इसी तकनीक पर बनी है।
स्टोरेज के लिए चाहिए -70 डिग्री तापमान
फाइजर की वैक्सीन को -70 डिग्री तापमान पर स्टोर करने की जरूरत होगी। वैक्सीन को ड्राई आइस में पैक करने के बाद खास तौर पर बनाए गए डिब्बों में रखकर डिलीवर किया जाएगा। इसे पांच दिनों तक फ्रीज में रखा जा सकता है। इसी तरह वैक्सीन दुनिया की सबसे तेज गति से विकसित होने वाली वैक्सीन है। इसे बनाने में लगभग 10 महीने का समय लगा है। आमतौर पर किसी वैक्सीन को तैयार करने में कई साल लग जाते हैं।
ब्रिटेन समेत कई देश दे चुके मंजूरी
यूनाइटेड किंगडम (UK) ने सबसे पहले दिसंबर वैक्सीन को इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। उसके बाद अमेरिका, बहरीन, कनाडा, सऊदी अरब, मैक्सिको, सिंगापुर समेत कई देशों में इस वैक्सीन की वितरण शुरू हो चुका है और लाखों लोगों को इसकी खुराक दी जा चुकी है।
भारत में इन वैक्सीन को मिल चुकी है मंजूरी
बता दें कि भारत में वर्तमान में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही भारत ने गत 16 जनवरी से दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया था। इसके तहत अब तक 50 लाख से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इसी तरह वैक्सीन की पहली खुराक हासिल करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को 13 फरवरी से दूसरी खुराक लगाई जाएगी।