मॉडर्ना ने अपनी बूस्टर खुराक को बताया ओमिक्रॉन के खिलाफ प्रभावी, 37-80 गुना अधिक एंटीबॉडीज बनाईं
अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना ने सोमवार को दावा किया कि उसकी mRNA कोविड वैक्सीन की बूस्टर खुराक कोरोना वायरस के नए ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी है। लैब में किए गए टेस्ट के आधार पर कंपनी ने ये बात कही है। कंपनी ने ओमिक्रॉन के खिलाफ मौजूदा वैक्सीन का ही इस्तेमाल करने की बात भी कही, हालांकि वह भविष्य में उपयोग के लिए इस वेरिएंट के खिलाफ एक अलग वैक्सीन भी बना रही है।
बूस्टर खुराक से 37 से 80 गुना बढ़ी न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज की संख्या
कंपनी ने अपने बयान में कहा कि उसकी वैक्सीन की दो खुराकों ने ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ कम संख्या में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज पैदा कीं, लेकिन 50 माइक्रोग्राम की बूस्टर खुराक ने वेरिएंट के खिलाफ 37 गुना अधिक न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज पैदा कीं। 100 माइक्रोग्राम की बूस्टर खुराक देने पर एंटीबॉडीज का स्तर और भी बढ़ गया और 80 गुणा अधिक न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज पैदा हुईं। वैक्सीन लगवाने वाले लोगों के खून की टेस्टिंग करके ये नतीजे निकाले गए हैं।
100 माइक्रोग्राम की बूस्टर खुराक का चयन सरकारों के ऊपर- कंपनी
मॉडर्ना ने कहा कि 100 माइक्रोग्राम की बूस्टर खुराक को आमतौर पर सुरक्षित पाया गया, लेकिन इसके कारण साइड इफेक्ट्स में भी थोड़ी वृद्धि देखी गई। कंपनी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ पॉल बर्टन ने कहा कि ये सरकारों और रेगुलेटर्स के ऊपर होगा कि वे 100 माइक्रोग्राम की बूस्टर खुराक का चयन करते हैं या 50 माइक्रोग्राम की बूस्टर खुराक का। अमेरिका में अभी 50 माइक्रोग्राम वाली बूस्टर खुराक को मंजूरी मिली हुई है।
ओमिक्रॉन के तेज प्रसार के कारण मौजूदा वैक्सीन पर ही ध्यान दे रही मॉडर्ना
अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मॉडर्ना ने ये भी कहा कि ओमिक्रॉन के बेहद तेजी से फैलने के कारण वह अभी मौजूदा वैक्सीन mRNA-1273 पर ही ध्यान दे रही है। डॉ पॉल ने कहा, "ये बेहद प्रभावी और सुरक्षित है। मुझे लगता है कि ये आने वाली छुट्टियों और सर्दियों के मौसम में लोगों की सुरक्षा करेगी।" हालांकि कंपनी ओमिक्रॉन के खिलाफ एक अलग वैक्सीन बनाने की तैयारी भी कर रही है जिसका ट्रायल अगले साल शुरू होगा।
ओमिक्रॉन के कारण फिर से केंद्र में आई बूस्टर खुराक
बता दें कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के उभार ने बूस्टर खुराक को एक बार फिर से केंद्र में ला दिया है। मौजूदा वैक्सीनों की दो खुराकें इस वेरिएंट के खिलाफ ज्यादा प्रभावी नहीं हैं और बूस्टर खुराक की मदद से ही इसे कुछ हद तक काबू में किया जा सकता है। इसी कारण अमीर देशों ने अपने नागरिकों को बूस्टर खुराक लगाना शुरू कर दिया है। इस बीच गरीब देश प्राथमिक खुराकों के लिए ही संघर्ष कर रहे हैं।