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    वैक्सीनेशन कवरेज में अंतर के बीच बूस्टर शॉट पर उठ रहे सवाल, जानिये अहम बातें
    वैक्सीनेशन कवरेज में अंतर के बीच बूस्टर शॉट पर उठ रहे सवाल

    वैक्सीनेशन कवरेज में अंतर के बीच बूस्टर शॉट पर उठ रहे सवाल, जानिये अहम बातें

    लेखन प्रमोद कुमार
    Sep 18, 2021
    04:35 pm

    क्या है खबर?

    कोरोना महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई में कई देश अपनी आबादी को वैक्सीन का बूस्टर शॉट देने की तैयारी कर रहे हैं।

    इजरायल, जर्मनी और फ्रांस जैसे कई देश इसकी शुरुआत कर चुके हैं तो कई आने वाले दिनों में शुरू कर सकते हैं।

    दूसरी तरफ WHO समेत कई संगठनों का कहना है कि अभी बूस्टर शॉट की जरूरत नहीं है और खुराकों की सीमित आपूर्ति को गरीब देशों में भेजा जाना चाहिए ताकि लोगों की जानें बचाई जा सके।

    जानकारी

    बूस्टर शॉट क्या होता है?

    अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार, वैक्सीन की दोनों खुराकें लेने के बाद कई लोगों में संक्रमण से बचने के लिए पर्याप्त इम्युनिटी बन जाती है, लेकिन कुछ समय बाद यह कम होने लगती है।

    ऐसे लोगों में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए उन्हें जो अतिरिक्त खुराक दी जाती है उसे बूस्टर शॉट कहा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य इम्युनिटी के समय को बढ़ाना होता है।

    तकनीकी तौर पर यह तीसरी खुराक से अलग होता है।

    जानकारी

    तीसरी खुराक किसे कहेंगे?

    कुछ लोगों में वैक्सीन की दो खुराकें लेने के बाद पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज नहीं बन पातीं। ऐसे लोगों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दी जाने वाली खुराक को तीसरी खुराक कहा जाता है।

    वैक्सीनेशन अभियान

    क्या वैक्सीन से मिली सुरक्षा कम हो रही है?

    सभी वैक्सीनों से मिली सुरक्षा समय के साथ कम होती जाती है और इसे बढ़ाने के लिए बूस्टर शॉट का सहारा लिया जाता है।

    कई अध्ययनों में सामने आया है कि ब्रेकथ्रू इंफेक्शन का बड़ी वजह वैक्सीन से मिली सुरक्षा में आई कमी रही है।

    हाल ही में फार्मा कंपनी मॉडर्ना ने आंकड़े जारी कर बताया था कि एक साल पहले वैक्सीनेट हो चुके लोगों के संक्रमित होने की संभावना आठ महीने पहले वैक्सीनेट हुए लोगों से ज्यादा है।

    जानकारी

    फाइजर ने कहा- सुरक्षित है बूस्टर शॉट

    फाइजर ने भी क्लिनिकल ट्रायल के आंकड़ों के आधार पर बताया था कि समय के साथ वैक्सीन से मिली सुरक्षा कम हो जाती है और बूस्टर शॉट पूरी तरह सुरक्षित है और इसे बढ़ाने में मददगार साबित होता है।

    विरोध

    क्या बूस्टर शॉट की जरूरत है?

    यूरोपीय मेडिसिन्स एजेंसी और यूरोपीय सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल ने कहा था कि मौजूदा सबूतों के आधार पर आम लोगों को बूस्टर शॉट देने की जरूरत नहीं है।

    इसके अलावा कई अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने लान्सेट मेडिकल जर्नल में लिखा था कि महामारी के इस मोड़ पर युवा और स्वस्थ लोगों को बूस्टर शॉट देना उचित नहीं है।

    उनका तर्क था कि इस बात के सबूत नहीं है कि युवाओं में वैक्सीन से मिली सुरक्षा कम हो रही है।

    जानकारी

    WHO ने कही गरीब देशों को खुराकें भेजने की बात

    विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी पिछले महीने देशों से तीसरी खुराक देना शुरू न करने की अपील की थी। संगठन ने भी इस दिशा में पर्याप्त सबूत नहीं होने का हवाला देते हुए कहा कि अमीर देशों के अतिरिक्त खुराकें गरीब देशों को भेजनी चाहिए।

    सवाल

    क्या सीमित आपूर्ति का अच्छा इस्तेमाल है बूस्टर शॉट?

    कई वैज्ञानिकों और WHO समेत दूसरे संगठनों का कहना है कि बूस्टर शॉट के लिए इस्तेमाल होने वाली खुराकें अगर गरीब देशों को दी जाती है तो कई जानें बचाई जा सकती हैं।

    WHO प्रमुख ने पिछले महीने कहा था, "मैं डेल्टा वेरिएंट से लोगों को बचाने की चिंताओं को समझता हूं, लेकिन हम ये नहीं मान सकते कि जो देश पहले ही वैक्सीन की वैश्विक सप्लाई का ज्यादातर हिस्सा इस्तेमाल कर चुके हैं, वे इसका और ज्यादा इस्तेमाल करें।"

    वैक्सीनेशन कवरेज

    वैक्सीनेशन में इतना अंतर क्यों है?

    WHO ने इस महीने के अंत तक दुनिया की करीब 10 प्रतिशत और साल के अंत तक 40 प्रतिशत आबादी के फुल वैक्सीनेशन का लक्ष्य रखा है, लेकिन सितंबर की शुरुआत तक दुनियाभर में दी गई 5.5 अरब खुराकों में 80 प्रतिशत अमीर और मध्यम आय वाले देशों में लगाई गई थी।

    जानकारों का कहना है कि वैक्सीन के सीमित उत्पादन और अनुचित वितरण के कारण यह अंतर बढ़ रहा है। अमीर देश वैक्सीन का स्टॉक कर रहे हैं।

    वैक्सीनेशन

    क्या वैक्सीन आपूर्ति में सुधार होगा?

    इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मास्यूटिकल मैन्चुफैक्चरर्स एंड एसोसिएशन (IFPMA) के महानिदेशक थॉमस क्यूनी ने कहा कि अब हर महीने दुनियाभर में 1.5 अरब खुराकों का उत्पादन हो रहा है और अब तक वैक्सीन का स्टॉक कर रहे देशों को इसकी और जरूरत नहीं है।

    IFPMA का अनुमान है कि इस साल के अंत तक 12 अरब और अगले साल जून तक 24 अरब खुराकें उपलब्ध होंगी। इसके अलावा अमीर देश भी खुराकें दान करने की बात कर चुके हैं।

    जानकारी

    क्या भारत में दी जाएगी तीसरी खुराक?

    भारत में अभी तक तीसरी खुराक को मंजूरी नहीं दी है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि आगे चलकर ऐसा किया जा सकता है।

    AIIMS निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि अगले साल की शुरुआत में इससे जुड़े आंकड़े सामने होंगे, जिस आधार पर फैसला लिया जा सकता है।

    वहीं NIV की निदेशक प्रिया अब्राहम ने कहा था कि आने वाले समय में भारत में भी लोगों को वैक्सीन की तीसरी खुराक दी जाएगी।

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