कोरोना वैक्सीनेशन: देश में बूस्टर शॉट की जरूरत समझने के लिए सरकार ने शुरू किया अध्ययन
ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते खतरे के बीच सरकार ने कोरोना वैक्सीन के बूस्टर शॉट की जरूरत का पता लगाने के लिए एक अध्ययन शुरू किया है। इस अध्ययन की कमान बायोटेक्नोलॉजी विभाग के तहत आने वाले ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (THSTI) को सौंपी गई है। अध्ययन में उन 3,000 लोगों को शामिल किया जाएगा, जिन्होंने छह महीने पहले कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतनिक-V की खुराक ली थी। भारत में फिलहाल यही तीनों वैक्सीनें इस्तेमाल हो रही हैं।
तीसरी खुराक से कैसे अलग होता है बूस्टर शॉट?
पूर्ण वैक्सीनेशन के बाद कई लोगों में पर्याप्त इम्युनिटी बन जाती है, लेकिन कुछ समय बाद यह कम होने लगती है। ऐसे लोगों को इम्युनिटी बढ़ाने के लिए जो अतिरिक्त खुराक दी जाती है उसे बूस्टर शॉट कहा जाता है। इसका मकसद इम्युनिटी की अवधि को बढ़ाना होता है। वहीं जब कुछ लोगों में पूर्ण वैक्सीनेशन के बाद पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज नहीं बन पातीं तो उन्हें इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दी गई खुराक को तीसरी खुराक कहा जाता है।
क्या है अध्ययन का मकसद?
न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह एक अकादमिक अध्ययन है और इसका मकसद असल दुनिया की परिस्थितियों में वैक्सीन से मिलने वाली प्रतिरक्षा की अवधि समझना है। उन्होंने कहा, "हम T और B सेल रिस्पॉन्स और एंटीबॉडीज की समीक्षा करेंगे और देखेंगे कि दूसरी खुराक के छह महीने बाद सुरक्षा का स्तर कितना रहता है। इससे भारत में बूस्टर शॉट की जरूरत को लेकर हमारी समझ बढ़ेगी।"
अध्ययन में शामिल किए गए ये चार वर्ग
इस अध्ययन में 40 साल से अधिक उम्र, 40 साल से कम उम्र, वैक्सीनेशन से पहले कोरोना संक्रमित हो चुके और दूसरी बीमारियों से पीड़ित लोगों के चार वर्गों को शामिल किया गया है। सूत्रों ने बताया कि जिन अस्पतालों में यह अध्ययन होगा, वो दिल्ली और आसपास के इलाकों से लोगों के खून के सैंपल ले रहे हैं। अध्ययन में शामिल लोगों से उनकी मेडिकल हिस्ट्री, वैक्सीनेशन की स्थित और दूसरी सामान्य जानकारियां मांगी जाएगी।
भारत में बूस्टर शॉट की हो रही मांग
ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते प्रसार के बीच भारत में भी बूस्टर शॉट देने की मांग जोर पकड़ रही है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी पूछा था कि सरकार कोरोना वैक्सीन का बूस्टर शॉट देना कब शुरू करेगी। उनके अलावा कई राज्य सरकारों ने भी केंद्र से मांग की है कि बूस्टर शॉट लगाने की इजाजत दी जाए ताकि स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन कर्मियों और अधिक जोखिम का सामना कर रहे लोगों को संक्रमण से बचाया जा सके।
अभी तक बूस्टर शॉट पर फैसला नहीं
भारत सरकार ने अभी तक बूस्टर शॉट की मांग पर कोई फैसला नहीं लिया है। हाल ही में कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख और नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा था कि कोरोना वैक्सीन की बूस्टर खुराक की जरूरत, देने का समय और प्रकृति, वैज्ञानिक नतीजों के आधार पर तय होगी और सरकार इस पर काम कर रही है। सरकार फिलहाल पात्र आबादी के पूर्ण वैक्सीनेशन पर ध्यान केंद्रित कर आगे बढ़ रही है।
देश में वैक्सीनेशन की क्या स्थिति?
देश में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो अब तक वैक्सीन की 1,40,31,63,063 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, बीते दिन 57,44,652 खुराकें लगाई गईं। 60 प्रतिशत आबादी को दोनों खुराकें लग चुकी हैं।