क्या होता है 'वैक्यूम बम' जिसके रूस द्वारा इस्तेमाल करने का यूक्रेन ने किया है दावा?
रूस और यूक्रेन बीच चल रहा युद्ध अब गंभीर रूप धारण करता जा रहा है। रूस की सेना राजधानी कीव के बेहद करीब पहुंच गई और लगातार रॉकेट, मिसाइल और टैंकरों से हमले कर रही है। इस बीच यूक्रेन और अमनेस्टी इंटरनेशनल एवं मानवाधिकार संगठनों ने रूस पर प्रतिबंधित 'वैक्यूम बम' और खतरनाक 'कलस्टर बम' के इस्तेमाल का आरोप लगाया है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या होते हैं वैक्यूम और कलस्टर बम तथा ये क्यों हैं खतरनाक।
यूक्रेन के राजदूत ने लगाया रूस पर बम के इस्तेमाल का आरोप
यूक्रेन की राजदूत ओकसाना मार्कारोवा और ओखतिर्का के मेयर ने दावा किया है कि रूस ने सोमवार को सभी नियमों को ताक में रखते हुए वैक्यूम बम और कलस्टर बमों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा कि इस बम के प्रभाव के कारण दर्जनों लोगों की मौत हो गई। यूक्रेन के राजदूत के दावे के बाद अब अमनेस्टी इंटरनेशनल एवं मानवाधिकार संगठनों ने इसकी निंदा की है और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में इसकी कानूनी जांच की मांग की है।
क्या होता है 'वैक्यूम बम'?
बता दें कि 'वैक्यूम बम' एक तरह का थर्मोबैरिक हथियार है। इसे बनाने में बारूद का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, बल्कि इसमें उच्च दबाव वाले विस्फोटकों को भरा जाता है। यह परमाणु बम के बाद दूसरा सबसे खतरनाक बम होता है। यही कारण है कि रूस ने इसे 'फादर ऑफ ऑल बम' यानी सभी बमों का पिता नाम दिया है। रूस ने साल 2007 में इसका निर्माण किया था और 11 सितंबर, 2007 को पहली बार परीक्षण किया था।
शक्तिशाली विस्फोट के लिए ऑक्सीजन सोखता है 'वैक्यूम बम'
वैक्यूम बम शक्तिशाली विस्फोट करने के लिए वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन को सोखते हैं। धामके के बाद से इनमें से सुपरसोनिक तरंगें निकलती है, जो तबाही का स्तर बढ़ा देती हैं। यह बम 44 टन TNT की ताकत से धमाका करने में सक्षम हैं। यह धमाके के बाद 300 मीटर के दायरे में तबाही मचा सकता है। यह सबसे शक्तिशाली गैर-परमाणु बम है, लेकिन इसका प्रभाव परमाणु बम के बराबर होता है। हालांकि, इसमें रेडिएशन का खतरा नहीं होता है।
हवा में किया जाता है 'वैक्यूम बम' का धमाका
रूस द्वारा विकसित वैक्यूम बम का वजन 7,100 किलो है और इसे जेट के जरिए ही गिराया जाता है। इसके बाद यह जमीन से कुछ ऊंचाई पर फटता है और फिस ऑक्सीजन को सोखते हुए अपना खतरनाक असर दिखाता है। इसके विस्फोट से इतनी अधिक मात्रा में ऊर्जा और ताप निकलता है कि इसके संपर्क में आने पर शरीर भी भाप बन जाता है। कहा जाता है रूस ने 2016 में सीरिया पर इस खतरनाक बम का इस्तेमाल किया था।
जिनेवा सम्मेलन में लगाई गई थी 'वैक्यूम बम' के इस्तेमाल पर रोक
युद्धों में आम नागरिकों के जीवन और अधिकारों की रक्षा के लिए 1949 में हुए जिनेवा सम्मेलन के चौथे चरण में इस तरह के विनाशकारी हथियारों के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई थी। उस दौरान कहा गया था कि किसी भी देश द्वारा नागरिकों को मारने या घायल करने के लिए इस तरह के हथियारों का इस्तेमाल करना युद्ध अपराध की श्रेणी में माना जाएगा। यही कारण है कि अब विभिन्न संगठन रूस पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
सबसे पहले अमेरिका ने बनाया था 'वैक्यूम बम'
बता दें कि 'वैक्यूम बम' को सबसे पहले अमेरिका ने 2003 में तैयार किया था। उसने इसे 'मदर ऑफ ऑल बम' और GBU-43/B नाम दिया है। यह 11 टन TNT की ताकत से धमाका कर सकता है और इसका वजन 9,797 किलोग्राम है।
क्या होता है 'क्लस्टर बम'?
दरअसल, क्लस्टर बम कई बमों का एक गुच्छा होता है। इन बमों को फाइटर जेट्स की मदद से गिराया जाता है। एक क्लस्टर बम में कई बम गुच्छे के रूप में होते हैं। इनकी खास बात है कि इन्हें गिराए जाने के बाद इनके भीतर के बमों को गिराने से पहले हवा में मीलों तक उड़ाया जा सकता है। ये विनाशकारी बम जिस जगह पर गिरते हैं, वहां 25 से 30 मीटर के दायरे में भयानक तबाही मचा सकते हैं।
वर्तमान में क्या है यूक्रेन में हालात?
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। रूसी सेना का 64 किलोमीटर लंबा काफिला राजधानी कीव की ओर बढ़ रहा है और सेना लगातार हमले बोल रही है। खारकीव समेत कई शहरों में रूसी तोपों ने आवासीय क्षेत्रों को निशाना बनाया है। इसके कारण अब तक 16 बच्चों सहित 352 आम नागरिकों की मौत हो चुकी है। कीव पास एक सैन्य ठिकाने पर किए गए हमले में यूक्रेन के 70 सैनिकों की मौत हो गई।