भारत ने यूक्रेन में फंसे नागरिकों को हंगरी और पोलैंड के रास्ते निकालने की योजना बनाई
क्या है खबर?
पिछले कई दिनों के तनाव के बाद रूस और यूक्रेन के बीच गुरुवार को जंग शुरू हो गई।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश के बाद रूसी सेना ने गुरुवार सुबह यूक्रेन के कई शहरों पर मिसाइल से हमला बोल दिया। इसके बाद यूक्रेन ने अपना एयरस्पेस बंद कर दिया।
ऐसे में हजारों भारतीय वहां फंसे रह गए। इसको देखते हुए अब सरकार ने अपने नागरिकों को हंगरी और पोलैंड के रास्ते वापस लाने की नई योजना बनाई है।
हालात
रूस ने पहले दिन यूक्रेन पर किए 203 हमले
राष्ट्रपति पुतिन ने सुबह यूक्रेन का विसैन्यीकरण और नागरिकों की सुरक्षा करने के लिए सैन्य अभियान चलाने का ऐलान किया था।
उसके बाद रूसी सेना के विमान बेलारूस और क्रीमिया के रास्ते यूक्रेन में घुसे गए और कई शहरों में मिसाइल से हमला कर दिया। दिनभर में रूस ने कुल 203 हमले किए हैं।
इसमें यूक्रेन के 60 से अधिक सैनिक और नागरिक मारे गए। इधर, यूक्रेन ने भी 100 रूसी सैनिकों को मारने का दावा किया है।
एयरस्पेस
यूक्रेन के एयरस्पेस बंद करने से वापस लौटी एयर इंडिया की उड़ान
रूसी सेना के हमला करने के बाद यूक्रेन सरकार ने उड़ानों को निशाना बनाए जाने की आशंका के चलते सभी वाणिज्यिक उड़ानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया।
इसके कारण वहां फंसे भारतीयों को लेने गई एयर इंडिया की उड़ान को बीच रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा।
बता दें कि एयर इंडिया ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों को लाने के लिए 22, 24 और 26 फरवरी को तीन विशेष उड़ान संचालित करने का ऐलान किया था।
जानकारी
मंगलवार को 240 भारतीयों की हुई थी वापसी
बता दें कि एयर इंडिया ने गत मंगलवार को भारतीय नागरिकों को लेने के लिए अपनी पहली उड़ान को यूक्रेन भेजा था। उसके बाद यह उड़ान 240 नागरिकों को लेकर उसी दिन रात को दिल्ली वापस लौट आई थी, लेकिन अब यह अभियान थम गया।
योजना
सरकार ने भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए बनाई नई योजना
यूक्रेन के एयरस्पेस बंद करने के बाद भारत सरकार ने अपने नागरिकों को सड़क मार्ग के जरिए यूक्रेन से निकालने की योजना तैयार की है।
इसके तहत हंगरी में भारतीय दूतावास से एक टीम को यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने में मदद करने के लिए जोहायी सीमा चौकी भेजा है।
हंगरी में भारतीय दूतावास ने कहा कि वह यूक्रेन से भारतीयों के सड़क मार्ग के जरिए हंगरी में प्रवेश को आसान बनाने में हर संभव प्रयास कर रहा है।
वापसी
कैसे होगी भारतीय नागरिकों की हंगरी के रास्ते वापसी?
बता दें कि हंगरी की सीमा यूक्रेन से लगी हुई है। ऐसे में हंगरी में स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी वहां की सरकार से समन्वय कर यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सड़क मार्ग के जरिए हंगरी में लाने का प्रयास करेंगे।
यदि इसमें सफलता मिलती है तो हंगरी पहुंचने वाले नागरिकों को हंगरी से भारत के बीच चलने वाली उड़ानों के जरिए वापस भेजा जाएगा।
दूतावास के अधिकारियों ने कहा वह यूक्रेन की हर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
अन्य
पोलैंड और रोमानिया के रास्ते निकालने की भी है योजना
इसी तरह सरकार ने पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया के रास्ते भी भारतीय नागरिकों को निकालने की योजना बनाई है।
इसके लिए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर इन देशों के विदेश मंत्रियों से वार्ता करेंगे।
इसके अलावा सरकार ने कहा है कि यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिक कतर के रास्ते भी वापस लौट सकते हैं।
इसके लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यात्रियों को यूक्रेन से ट्रांजिट के जरिये भारत-कतर द्विपक्षीय विशेष उड़ान समझौता के तहत यात्रा की अनुमति दी है।
डाटा
यूक्रेन में फंसे हैं करीब 20,000 भारतीय
यूक्रेन में रह रहे भारतीयों की संख्या की पुख्ता जानकारी तो नहीं है, लेकिन 2020 के एक आधिकारिक दस्तावेज के मुताबिक, यूक्रेन में करीब 20,000 भारतीय रह रहे हैं। इनमें से करीब 18,000 छात्र हैं, जो विभिन्न पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहे हैं।
मदद
यूक्रेन में भारतीय दूतावास के बाहर जमा हुए नागरिक
रूस के हमला करने और यूक्रेन के एयरस्पेस बंद करने के बाद वहां फंसे सैकड़ों भारतीय नागरिक मदद की उम्मीद लिए भारतीय दूतावास के बाहर जमा हो गए।
इस दौरान कई नागरिकों को तो दूतावास में प्रवेश दे दिया गया, जबकि अन्य को आसपास की सुरक्षित जगहों पर भेज दिया गया।
दूतावास अधिकारियों ने कहा कि कोई भी भारतीय बाहर नहीं फंसा है। जैसे ही नए छात्र आ रहे हैं, उन्हें भी सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा रहा है।
निशाना
कांग्रेस ने साधा सरकार पर निशाना
इससे पहले सुबह यूक्रेन में फंसे भारतीयों की वापसी का इंतजाम नहीं होने को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा था।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "हर मुश्किल वक्त में मुंह फेर लेना और चुप्पी साधना मोदी सरकार की आदत बन गयी है। हमारे 20,000 भारतीय यूक्रेन में भय, आशंका की स्थिति से जूझ रहे हैं। समय रहते उन्हें लाने का इंतजाम क्यों नहीं किया? क्या यही 'आत्मनिर्भर' मिशन है?"