NewsBytes Hindi
    English Tamil Telugu
    अन्य
    चर्चित विषय
    क्रिकेट समाचार
    नरेंद्र मोदी
    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
    राहुल गांधी
    भारत-पाकिस्तान तनाव
    #NewsBytesExplainer
    IPL 2025
    English Tamil Telugu
    NewsBytes Hindi
    User Placeholder

    Hi,

    Logout

    देश
    राजनीति
    दुनिया
    बिज़नेस
    खेलकूद
    मनोरंजन
    टेक्नोलॉजी
    करियर
    अजब-गजब
    लाइफस्टाइल
    ऑटो
    एक्सक्लूसिव
    विज़ुअल खबरें

    एंड्राइड ऐप डाउनलोड

    हमें फॉलो करें
    • Facebook
    • Twitter
    • Linkedin
    होम / खबरें / दुनिया की खबरें / जासूसी गुब्बारे क्या होते हैं, इनका इस्तेमाल कब से और क्यों किया जा रहा है? 
    अगली खबर
    जासूसी गुब्बारे क्या होते हैं, इनका इस्तेमाल कब से और क्यों किया जा रहा है? 
    जासूसी गुब्बारे क्या होते हैं, इनका इस्तेमाल कब से और क्यों किया जा रहा है?

    जासूसी गुब्बारे क्या होते हैं, इनका इस्तेमाल कब से और क्यों किया जा रहा है? 

    लेखन प्रमोद कुमार
    Feb 04, 2023
    07:36 pm

    क्या है खबर?

    अमेरिका में चीन का जासूसी गुब्बारा देखे जाने के बाद दुनियाभर में इसकी चर्चा है।

    शुक्रवार को अमेरिका के सैन्य अधिकारियों ने बताया कि चीन का एक जासूसी गुब्बारा संवेदनशील स्थानों के ऊपर से उड़ान भर रहा है। इसके कुछ ही घंटों बाद लैटिन अमेरिका के ऊपर एक और चीनी जासूसी गुब्बारा देखा गया।

    आइये जानते हैं कि जासूसी गुब्बारा क्या होता है, इनका इस्तेमाल क्यों और कब से किया जा रहा है।

    घटना

    पहले घटना जानिये 

    अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार को मोंटाना में एक जासूसी गुब्बारा उड़ता देखा गया। यह जिस रास्ते पर उड़ रहा था, उसके नीचे अमेरिका के कई संवेदनशील स्थान पड़ते हैं।

    इसे देखते हुए अमेरिका ने लड़ाकू विमान तैनात कर दिए थे और इसकी जानकारी राष्ट्रपति जो बाइडन को भी दी गई।

    इसके बाद अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि लैटिन अमेरिका पर भी एक और जासूसी गुब्बारा उड़ता देखा गया है।

    प्रतिक्रिया

    चीन ने इसे लेकर क्या कहा? 

    चीन ने इस गुब्बारा को 'सिविलिएन एयरशिप' बताते हुए कहा कि इसका इस्तेमाल मौसम संबंधी जानकारियां जुटाने के लिए होता है और यह अपने तय रास्ते से भटक गया।

    चीनी विदेश मंत्रालय ने इसे लेकर खेद जताया है और बातचीत के जरिये इस स्थिति का समाधान निकालने की बात कही है।

    पहले भी कई बार ऐसे चीनी जासूसी गुब्बारे देखे जा चुके हैं, लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि इस बार यह गुब्बारा कई दिनों से एयरस्पेस में मौजूद है।

    अमेरिका

    अमेरिका ने इस गुब्बारे को मार क्यों नहीं गिराया? 

    मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि अगर इस गुब्बारे को मार गिराया जाता तो इसका मलबा नीचे गिरने से ज्यादा नुकसान होता। इस गुब्बारे का आकार तीन बसों के बराबर बताया जा रहा है।

    जानकारों का अनुमान है कि इस गुब्बारे के जरिये अमेरिका के सेलफोन ट्रैफिक और राडार की जानकारी जुटाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने जासूसी रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठा लिए हैं।

    जासूसी गुब्बारे

    क्या होते हैं जासूसी गुब्बारे? 

    जासूसी गुब्बारे बेहद ऊंचाई पर उड़ने वाले मौसम का अनुमान लगाने वाले गुब्बारे जैसे ही होते हैं, लेकिन इनमें उपकरणों का फर्क होता है। इनमें कैमरा और राडार जैसे उपकरण लगे होते हैं।

    इन्हें सामान्य राडार से पकड़ पाना मुश्किल होता है और ये आमतौर पर 80,000-1,20,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं। इतनी ऊंचाई पर कोई विमान नहीं जाता।

    अमेरिका ने भी अपने दुश्मनों पर नजर रखने के लिए ऐसे गुब्बारों की मदद ली है।

    वजह

    जासूसी के लिए गुब्बारों का इस्तेमाल क्यों? 

    आज के युग में कई देश सैटेलाइट के जरिये जासूसी करते हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि गुब्बारों के सहारे जासूसी क्यों की जा रही है?

    इसके जवाब में ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस स्टडीज के प्रोफेसर जॉन ब्लैक्सलैंड ने बताया कि अब सैटेलाइट को निशाना बनाने के लिए काइनेटिक और लेजर हथियार आ गए हैं, इसलिए गुब्बारों में दिलचस्पी बढ़ रही है। इनके जरिये जासूसी करना भी आसान है।

    फायदा

    क्या है गुब्बारों का फायदा? 

    ब्लैक्सलैंड ने कहा कि गुब्बारों से सैटेलाइट जितनी सटीक जानकारियां नहीं जुटाई जा सकतीं, लेकिन इनका इस्तेमाल आसान है।

    सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए स्पेस लॉन्चर की जरूरत पड़ती है, जिसका खर्च करोड़ों रुपये होता है।

    कुछ जानकारों का कहना है कि गुब्बारे का पता लगा पाना मुश्किल होता है। इनसे कार्बन उत्सर्जन नहीं होता। इसके अलावा इन्हें इनमें लगे उपकरणों के सहारे सैटेलाइट की तुलना में बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।

    फायदे

    ज्यादा इलाके पर नजर रख सकते हैं गुब्बारे 

    जासूसी करने वाले गुब्बारे सैटेलाइट के मुकाबले इस लिहाज में भी बेहतर है कि वो कम ऊंचाई से ज्यादा इलाके पर नजर रख सकते हैं। ये कम गति से आगे बढ़ते हैं, इसलिए ज्यादा जानकारी जुटा पाते हैं।

    विशेषज्ञों का कहना है कि सैटेलाइट का रास्ता पहले से पता किया जा सकता है। ऐसे में वो दुश्मन को चौंका नहीं सकते, लेकिन गुब्बारे का रास्ता पता करना आसान काम नहीं है।

    इतिहास

    सबसे पहले इनका कब इस्तेमाल हुआ? 

    द गार्डियन के अनुसार, फ्रांस को सबसे पहले जासूसी के लिए गुब्बारों का इस्तेमाल करने का श्रेय जाता है। सबसे पहले इसका इस्तेमाल 1794 में ऑस्ट्रियन और डच सेना के खिलाफ युद्ध में इसका इस्तेमाल किया गया था।

    इसके बाद 1860 के दशक में अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान यूनियनों ने जानकारी जुटाने के लिए इनका सहारा लिया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी इनका इस्तेमाल बढ़ा था।

    वजह

    चीन ऐसा क्यों कर रहा है? 

    बलैक्सलैंड का अनुमान है कि चीन ने दो कारणों से ऐसा किया है। पहला कारण यह हो सकता है कि वह अमेरिका को शर्मिंदा करना चाहता था और इसी बहाने अगर उसे कुछ जानकारी मिली है तो वह भी ठीक है।

    उन्होंने दूसरा कारण बताया कि चीन अमेरिका को चेताना चाहता है कि वह भी तकनीक के मामले में किसी से पीछे नहीं है। इससे जाहिर तौर पर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ेगा।

    Facebook
    Whatsapp
    Twitter
    Linkedin
    सम्बंधित खबरें
    ताज़ा खबरें
    अमेरिका
    चीन समाचार
    जो बाइडन
    फ्रांस

    ताज़ा खबरें

    विदेश सचिव ने संसदीय समिति से कहा- भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम में नहीं थी अमेरिका की भूमिका विदेश मंत्रालय
    आमिर खान और राजकुमार हिरानी की फिल्म साल 2027 में होगी रिलीज, जानिए क्या है योजना आमिर खान
    EPFO ने इस साल किए 5 बड़े बदलाव, जानिए क्या मिला फायदा  EPFO
    IPL के इन 5 संस्करणों में एक टीम के 2 बल्लेबाजों ने बनाए हैं 600+ रन इंडियन प्रीमियर लीग

    अमेरिका

    अमेरिका: लड़की की पहली बार में लगी 24 लाख रुपये की लॉटरी, गिफ्ट मिला था टिकट लॉटरी
    मेटा और माइक्रोसॉफ्ट खाली कर रहीं ऑफिस, जानिए क्या हैं कारण फेसबुक
    रूस से रिकॉर्ड मात्रा में तेल खरीद रहा भारत, रिफाइंड उत्पादों का अमेरिका सबसे बड़ा खरीदार रूस समाचार
    पेरू: पार्टी में डांस के समय अचानक "फटी जमीन" और अंदर समा गए लोग, देखें वीडियो पेरू

    चीन समाचार

    चीन और पाकिस्तान हुए एक, भारत कमजोर स्थिति में- राहुल गांधी राहुल गांधी
    चीन: झेजियांग में रोज मिल रहे कोरोना के 10 लाख नए मरीज, दोगुना होने की संभावना कोरोना वायरस
    कोरोना वायरस: देश में स्वास्थ्य तैयारियों को परखने के लिए मॉक ड्रिल जारी कोरोना वायरस
    कोरोना वायरस: WHO ने चीन की स्थिति पर जताई चिंता, कहा- मरीजों से भर रहे अस्पताल कोरोना वायरस

    जो बाइडन

    क्या होता है नरसंहार और इसे साबित करने की क्या है प्रक्रिया? रूस समाचार
    अगले महीने क्वाड सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी से मिलेंगे राष्ट्रपति बाइडन- व्हाइट हाउस अमेरिका
    क्वाड सम्मेलन में हिस्सा लेने जापान पहुंचे मोदी, बाइडन से भी करेंगे अहम मुलाकात जापान
    क्या है अमेरिका में बंदूक खरीदने का कानून और इस पर नियंत्रण का क्यों है विरोध? अमेरिका

    फ्रांस

    क्या कोरोना के ओमिक्रॉन से ज्यादा खतरनाक है फ्रांस में मिला 46 म्यूटेंट वाला IHU वेरिएंट? भारत की खबरें
    फ्रांस ने कुछ कोरोना संक्रमित स्वास्थ्यकर्मियों को काम करने की इजाजत दी वैक्सीन समाचार
    अमेरिका में रिकॉर्ड स्तर पर दैनिक मामले, जानिए दुनियाभर में कैसे कहर ढा रहा ओमिक्रॉन अमेरिका
    मशहूर फ्रांसीसी अभिनेता गैस्पर्ड उलील का 37 साल की उम्र में निधन हॉलीवुड समाचार
    पाकिस्तान समाचार क्रिकेट समाचार नरेंद्र मोदी आम आदमी पार्टी समाचार अरविंद केजरीवाल राहुल गांधी फुटबॉल समाचार कांग्रेस समाचार लेटेस्ट स्मार्टफोन्स दक्षिण भारतीय सिनेमा भाजपा समाचार बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कोरोना वायरस रेसिपी #NewsBytesExclusive ट्रैवल टिप्स IPL 2025
    हमारे बारे में प्राइवेसी पॉलिसी नियम हमसे संपर्क करें हमारे उसूल शिकायत खबरें समाचार संग्रह विषय संग्रह
    हमें फॉलो करें
    Facebook Twitter Linkedin
    All rights reserved © NewsBytes 2025