अगले महीने क्वाड सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी से मिलेंगे राष्ट्रपति बाइडन- व्हाइट हाउस
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अगले महीने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। व्हाइट हाउस की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, 20 से 24 मई के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति दक्षिण कोरिया और जापान का दौरा करेंगे। जापान की राजधानी टोक्यो में आयोजित होने वाले क्वाड सम्मेलन के दौरान वो मोदी से मुलाकात करेंगे। पिछले साल सितंबर में अमेरिका दौरे पर गए प्रधानमंत्री मोदी ने बाइडन के साथ बैठक की थी।
इंडो-पैसिफिक पर रहेगा बाइडन की यात्रा का फोकस
व्हाइट हाउस प्रवक्ता जेस साकी ने कहा कि राष्ट्रपति की यह यात्रा बाइडन प्रशासन की स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के प्रति प्रतिबद्धता को और मजबूत करेगी। अपनी यात्रा के दौरान बाइडन दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति और जापान के प्रधानमंत्री से द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे। बता दें, चीन के उभार और उसकी बढ़ती आक्रामकता के कारण इंडो-पैसिफिक इलाका इस समय दुनिया का सबसे अहम भू-राजनैतिक इलाका बना हुआ है। इस इलाके की सामरिक से लेकर संसाधनों तक कई नजरियों से बहुत अहमियत है।
बेहद अहम है मुलाकात का समय
मोदी और बाइडन के बीच यह मुलाकात ऐसे समय होने जा रही है, जब यूक्रेन और रूस के बीच दो महीनों से अधिक समय से चल रहा युद्ध जारी है। अमेरिका ने खुले तौर पर इस युद्ध के लिए रूस की निंदा की है और उसके खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। दूसरी तरफ भारत ने रूस की निंदा नहीं की और उससे तेल खरीद रहा है। भारत के इस रूख से अमेरिका संतुष्ट नहीं है।
पिछले साल सितंबर में अमेरिका गए थे मोदी
प्रधानमंत्री मोदी पिछले साल सितंबर में अमेरिका गए थे, जहां उन्होंने बाइडन से मुलाकात की और पहले इन-पर्सन क्वाड सम्मेलन को संबोधित किया था। बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली मुलाकात थी। बैठक के दौरान बाइडन ने कोरोना महामारी, जलवायु परिवर्तन, क्वाड और अफगानिस्तान में आतंकवाद के सामने के मुद्दे पर तो मोदी ने प्रतिभा, तकनीक और व्यापार आदि पर बातचीत की। मोदी ने बाइडन को भारत आने का न्योता भी दिया था।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
क्वाड लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक समूह है जिसका मुख्य मकसद इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करना और उसकी दादागीरी को चुनौती देना है। इस समूह की परिकल्पना काफी पुरानी है, लेकिन यह सक्रिय कोरोना महामारी के दौरान चीन की बढ़ती आक्रामकता के बाद हुआ है। पिछले साल मार्च के बाद से इस समूह की कई बैठकें हो चुकी हैं और इस बार जापान इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।