रूस से रिकॉर्ड मात्रा में तेल खरीद रहा भारत, रिफाइंड उत्पादों का अमेरिका सबसे बड़ा खरीदार
यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से कई पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए थे और उससे तेल खरीदना बंद कर दिया था। इसके बाद रूस ने भारत को कम दामों पर तेल बेचने की पेशकश की और अब भारत रूस से रिकॉर्ड मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है। भारत रूस से कच्चा तेल खरीदकर उसे रिफाइन करता है और रिफाइंड उत्पाद विदेशों को बेचता है। इन उत्पादों को सबसे बड़ा खरीदार अमेरिका है।
जनवरी में और बढ़ी खरीद
भारत दिसंबर में रिकॉर्ड मात्रा में रूस से कच्चा तेल खरीद रहा था और जनवरी में इसमें और बढ़ोतरी हुई है। कच्चे तेल के व्यापार पर नजर रखने वाले विक्टर कटोना ने कहा, "लोग कह रहे थे कि अगर यूरोप नहीं खरीदेगा तो रूस का तेल कहां जाएगा। दिसंबर में जब भारत ने 12 लाख bpd (बैरल प्रतिदिन) तेल खरीदा तो कहा गया वह और नहीं खरीद सकता। जनवरी में यह खरीद बढ़कर 17 लाख bpd हो गई।"
इसलिए चौंका रही अमेरिका की खरीद
अमेरिका की भारत से रिफाइंड उत्पादों की खरीद इसलिए चौंका रही है क्योंकि वह दूसरों को रूस से तेल न खरीदने की बात कहता है, जबकि वह भारत से रूस से ही आया तेल खरीद रहा है। अमेरिका लंबे समय से ही रूस के वर्जिन गैस ऑयल (VGO) नामक रिफाइंड उत्पादों का खरीदार रहा है। अब चूंकि यह रूस से VGO नहीं खरीद सकता, इसलिए भारत की रिलायंस एनर्जी और नायरा एनर्जी से इसकी खरीदारी कर रहा है।
रिलायंस और नायरा एनर्जी से खरीद कर रहा है अमेरिका
द टेलीग्राफ के अनुसार, कटोना ने कहा कि अमेरिका रिलायंस से दो लाख bpd रिफाइंड उत्पाद, मुख्यतौर पर VGO खरीद रहा है। आश्चर्यजनक तौर पर भारतीय उत्पादों का सबसे बड़ा खरीदार अमेरिका है और अमेरिका के सबसे बड़े निर्यातकों में रिलायंस और नायरा का नाम है। उन्होंने कहा कि नायरा और रिलायंस रूस से सबसे ज्यादा कच्चा तेल खरीद रही हैं। इनके अलावा इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम भी बड़ी मात्रा में कच्चा तेल आयात कर रही है।
भारत को कम दामों पर मिल रहा तेल- कटोना
कटोना ने कहा कि ऐसा माना जा रहा है कि भारत को बाजार से 10 डॉलर (लगभग 800 रुपये) का डिस्काउंट दिया जा रहा है। अगर ऐसा है तो हर रिफाइनरी एक टैंकर पर लगभग 80 करोड़ रुपये की बचत कर रही है।
भारत ने अनसुनी की पश्चिमी देशों की अपील
यूक्रेन युद्ध को एक साल होने वाला है और इस दौरान कई बार अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने भारत से रूस से तेल न खरीदने की अपील की है। वहीं भारत का कहना है कि वह अपने फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है और करीब 140 करोड़ लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए उसे रूस के कच्चे तेल की जरूरत है। भारत अब चीन के बाद रूस से कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है।
यूक्रेन ने भी उठाया था भारत पर सवाल
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्री कलेवा ने पिछले महीने भारत के रूस से सस्ता तेल खरीदने पर सवाल उठाए थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि भारत रूस से सस्ती कीमत पर तेल इसलिए खरीद पा रहा है क्योंकि यूक्रेन युद्ध का दंश झेल रहा है। भारतीय विदेश मंत्री के एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, "यदि आपको हमारी पीड़ा के कारण फायदा मिल रहा है तो यह अच्छा होगा कि आप भी हमें और सहायता प्रदान करें।"
कच्चे तेल के बड़े उत्पादकों में आता है रूस का नाम
दरअसल, रूस की गिनती बड़े तेल उत्पादक देशों में होती है और यहां हो रही घटनाओं को तेल की अर्थव्यवस्था पर काफी असर होता है। 2019 में वह सऊदी अरब के बाद कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था और उसने 123 बिलियन डॉलर की कीमत का तेल बेचा था। सऊदी अरब 145 बिलियन डॉलर के साथ पहले स्थान पर था। रूस ने अपने निर्यात में से करीब 27 फीसदी तेल 34 बिलियन डॉलर में अकेले चीन को बेचा था।