#NewsBytesExplainer: मध्य-पूर्व में तनाव के बीच क्यों चर्चा में है अब्राहम गठबंधन और एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस?
हमास नेता इस्माइल हानिया की हत्या के बाद मध्य-पूर्व में तनाव बढ़ता जा रहा है। ईरान ने हत्या का आरोप इजरायल पर लगाया है और बदला लेने की कसम खाई है। आशंका जताई जा रही है कि किसी भी वक्त इजरायल पर ईरान या तो सीधा या अपने छद्म समूहों के जरिए हमला कर सकता है। इस बीच अब्राहम गठबंधन और एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस की चर्चा हो रही है। आइए जानते हैं ये दोनों क्या हैं।
कैसे पड़ी अब्राहम गठबंधन की नींव?
दरअसल, जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति थे, तब इजरायल ने अरब देशों के साथ अब्राहम समझौता किया था। इन समझौतों के तहत इजरायल ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE), बहरीन, सूडान और मोरक्को के साथ औपचारिक संबंध स्थापित किए थे। इन देशों ने इजरायल की संप्रभुता को मान्यता दी थी, ताकि पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित हो सके। समझौते के बदले में अरब देशों को अमेरिका की ओर से कई छूट मिली थी।
क्या है अब्राहम गठबंधन?
अब्राहम गठबंधन अब्राहम समझौतों का ही विस्तारित रूप है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जुलाई में अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए इसका प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा था कि ईरान के प्रभाव का मुकाबला करने के उद्देश्य से एक क्षेत्रीय गठबंधन का गठन किया जाना चाहिए और वे सभी देश जिनके इजरायल के साथ संबंध हैं और जो इजरायल के साथ शांति बनाना चाहते हैं, वे इसका हिस्सा हो सकते हैं।
फिलहाल क्यों चर्चा में अब्राहम गठबंधन?
दरअसल, 14 अप्रैल को ईरान ने इजरायल पर कई मिसाइल और ड्रोन दागे थे। इस हमले को रोकने के लिए अमेरिका और इजरायल के दूसरे सहयोगी देशों ने एक-दूसरे की मदद की थी। ईरान ने ये हमला दमिश्क में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर इजरायली हमले के जवाब में किया था, जिसमें वरिष्ठ ईरानी सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई थी। इजरायल चाहता है कि फिलहाल किसी संभावित हमले के दौरान भी उसे पहले की तरह मदद मिले।
क्या है एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस?
एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस ईरान के छद्म समूहों का एक नेटवर्क है। इस नेटवर्क में लेबनान में हिज्बुल्लाह, यमन में हूती, इराक के शिया उग्रवादी, सीरिया के कुछ समूह, गाजा का हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद जैसे संगठन शामिल है। ये समूह ईरान के रणनीतिक हितों की सेवा करते हैं, जिससे उसे पूरे क्षेत्र में प्रभाव डालने और विरोधियों को चुनौती देने की ताकत मिलती है। कथित तौर पर ईरान इन्हें सैन्य और दूसरी मदद मुहैया कराता है।
ईरान ने क्यों बनाया एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस?
दरअसल, ईरान में 1979 में हुई क्रांति के बाद सत्ता शिया मुस्लिमों के हाथ में आई। हालांकि, ईरान के सभी पड़ोसी देश सुन्नी बहुल थे, ऐसे में ईरान ने अपना राजनीतिक और सैन्य प्रभाव बढ़ाने के लिए दूसरे देशों में सैन्य संगठन स्थापित किए या उनकी मदद करना शुरू किया। इसकी एक और वजह इजरायल और अमेरिका के खतरों से निपटना भी था। धीरे-धीरे इन संगठनों का नेटवर्क एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस कहलाने लगा।
कितना शक्तिशाली है एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस?
हिजबुल्लाह एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस का सबसे शक्तिशाली संगठन माना जाता है, जिसमें करीब 45,000 लड़ाके हैं। इलाके में इसका खासा राजनीतिक प्रभाव भी है। इजरायल-हमास युद्ध में हिज्बुल्लाह ने लगभग हर दिन इजरायल पर लेबनान सीमा से हमले किए हैं। इसी तरह हूती विद्रोहियों ने यमन के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर रखा है। फिलहाल वे लाल सागर में जहाजों पर हमले कर अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित कर रहे हैं।