बांग्लादेश में फिर भड़की हिंसा; 32 की मौत, पूरे देश में लगाया गया कर्फ्यू
भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। आरक्षण विरोधी हिंसा में आज कम से कम 32 लोगों की मौत हो गई है और दर्जनों लोग घायल हुए हैं। ताजा झड़प की शुरुआत तब हुई, जब प्रदर्शनकारी भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के बैनर तले प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर जुटे थे। इसी दौरान उनकी सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों से झड़प हो गई।
पूरे देश में कर्फ्यू लगाया गया
बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने आज (4 अगस्त) शाम 6 बजे से अनिश्चितकालीन देशव्यापी कर्फ्यू लगाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री हसीना ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के नाम पर बांग्लादेश में तोड़फोड़ करने वाले छात्र नहीं, बल्कि आतंकवादी हैं। उन्होंने कहा, "मैं देशवासियों से इन आतंकवादियों का सख्ती से दमन करने की अपील करती हूं।" प्रधानमंत्री हसीना ने आज सुरक्षा मामलों की राष्ट्रीय समिति की बैठक भी बुलाई, जिसमें सेना, नौसेना, वायु सेना और पुलिस के अधिकारी शामिल हुए।
कई जगहों पर हिंसा की खबरें
ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने ढाका के शाहबाग क्षेत्र में स्थित अस्पताल बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी पर हमला किया तथा कई वाहनों में आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों ने घरों पर हमला किया और इलाके में एक सामुदायिक कल्याण कार्यालय में तोड़फोड़ की, जहां सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ता मौजूद थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इस दौरान कुछ देसी बम भी फटे और गोलियों की आवाजें भी सुनी गईं।
कहां-कहां हुईं मौतें?
अखबार ने बताया कि रंगपुर में 4 अवामी लीग समर्थक मारे गए और करीब 100 लोग घायल हुए हैं। बोगरा और मगुरा में 2-2 लोग मारे गए। यहां मृतकों में एक छात्र नेता भी शामिल है। सिराजगंज में प्रदर्शनकारियों, अवामी लीग कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच हुई झड़पों में कम से कम 4 लोग मारे गए और कई घायल हुए हैं। कोमिला में अवामी लीग और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में एक जुबो दल कार्यकर्ता मारा गया है।
भारतीय दूतावास ने जारी की एडवाइजरी
बांग्लादेश में भारतीय दूतावास ने देश में रहने वाले भारतीय नागरिकों से सतर्क रहने का आग्रह किया है। भारतीय सहायक उच्चायोग (AHCI) ने सोशल मीडिया साइट 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "सिलहट में भारतीय सहायक उच्चायोग के अधिकार क्षेत्र में रहने वाले छात्रों सहित सभी भारतीय नागरिकों से अनुरोध है कि वे इस कार्यालय के संपर्क में रहें और उन्हें सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। आपात स्थिति में कृपया +88-01313076402 पर संपर्क करें।'
प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनकारियों को बातचीत के लिए बुलाया
3 अगस्त को प्रधानमंत्री हसीना ने भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के समन्वयकों के साथ बातचीत करने की पेशकश की। उन्होंने कहा, "गणभवन (प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास) के दरवाजे खुले हैं। मैं कोटा प्रदर्शनकारियों के साथ बैठना चाहती हूं। मैं सुनना चाहती हूं कि उन्हें क्या कहना है। मैं झड़प नहीं चाहती।" हालांकि, आंदोलन के समन्वयकों ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद हसीना ने विश्वविद्यालय के कुलपतियों और कॉलेज के प्राचार्यों के साथ एक आपातकालीन बैठक की।
बांग्लादेश में क्यों हो रही हैं हिंसा?
बांग्लादेश में 1971 में पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई में लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं। प्रदर्शनकारी छात्र इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, आंदोलन में कई मौतों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब प्रदर्शकारी हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर दोबारा सड़कों पर उतर आए हैं।