हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नरसल्लाह की मौत के इजरायल के लिए क्या है मायने?
इजरायल को हिजबुल्लाह के खिलाफ लंबे समय से चली आ रही अदावत के बीच शुक्रवार रात बड़ी सफलता मिली है। इजरायली रक्षा बल (IDF) ने हिजबुल्लाह के मुख्यालय पर हमला कर उसके प्रमुख हसन नरसल्लाह को मार गिराया। इजरायल पिछले 3 दशक से नसरल्लाह की तलाश में था। इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ कई बार उसकी गर्दन तक पहुंचा, लेकिन वह हर बार बचकर निकलता था। आइए जानते हैं नरसल्लाह की मौत के इजरायल के लिए क्या मायने हैं।
इजरायल की नरसल्लाह से अमेरिका जैसे थी दुश्मनी
नरसल्लाह की मौत इजरायल के लिए सबसे बड़ी जीतों में एक मानी जा रही है। इसका प्रमुख कारण यह है कि दोनों की बीच यह दुश्मनी ठीक उसी तरह की थी, जिस तरह अमेरिका की अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के साथ थी।
नरसल्लाह कैसे बना था इजरायल का प्रमुख दुश्मन?
नसरल्लाह साल 1992 में हिजबुल्लाह का प्रमुख बना था। वह लेबनान और अरब के तमाम देशों में खासा लोकप्रिय था। उसने अरब देशों को इजरायल के खिलाफ एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी। हिजबुल्लाह प्रमुख बनने के बाद नसरल्लाह ने लगातार अपने समूह को मजबूत किया। उसने लड़ाकों की भर्ती करने से लेकर नए-नए हथियार जुटाने और प्रशिक्षण पर ध्यान दिया। उसने साल 2000 में इजरायल को दक्षिणी लेबनान से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
नरसल्लाह ने किया था अपनी जीत का ऐलान
इजरायल को दक्षिण लेबनान से पीछे धकेलने के बाद नसरल्लाह ने ऐलान किया कि हिजबुल्लाह की जीत इजरायल के खिलाफ किसी अरब देश की पहली जीत है। इसके बाद एक तरीके से हिजबुल्लाह का दक्षिणी लेबनान पर नियंत्रण हो गया था। उसने दक्षिणी लेबनान को अपना गढ़ बनाया और वहीं से इजरायल को निशाना बनाने लगा। उसके बाद इजरायल ने उसे अपना सबसे बड़ा दुश्मन मान लिया और 2006 में दोनों फिर से आमने-सामने हो गए।
नरसल्लाह ने 3 दशक तक इजरायल को छकाया
हिजबुल्लाह ने 2006 में इजरायल के 2 सैनिकों को बंधक बनाकर हत्या कर दी। उसके बाद इजरायल ने लेबनान पर हमला किया और 34 दिनों के युद्ध में लेबनान और हिजबुल्लाह के 1200 से ज्यादा लोग मारे गए। उस समय भी नसरल्लाह बच निकला था। इसके बाद से इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद लगातार उसका पीछा किया। 2006 के बाद से नसरल्लाह ज्यादा सतर्क हो गया और ज्यादातर भूमिगत ही रहने लगा। वह सार्वजनिक रूप से कम ही नजर आता था।
इजरायल के लिए कैसे सबसे बड़ी जीत है नसरल्लाह की मौत?
हिज्बुल्लाह दुनिया के सबसे ताकतवर संगठनों में से एक है। उसके पास 1 लाख से अधिक लड़ाके, युद्धक टैंक से लेकर रॉकेट, गाइडेड मिसाइल और ड्रोन जैसे आधुनिक हथियार हैं। इजरायल हमेशा से उसके निशाने पर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, भले ही इजरायल का अक्सर हमास से टकराव हुआ है, लेकिन हिजबुल्लाह उसके लिए बड़ा खतरा था। हिजबुल्लाह की ताकत के आगे हमास कहीं नहीं ठहरता है। ऐसे में नरसल्लाह की मौत इजरायल के लिए बड़ी जीत है।
इजरायल ने किया सभी बड़े दुश्मनों का सफाया
हिजबुल्लाह के खुद के ताकतवर होने के साथ ईरान जैसे देश भी उसका समर्थन करते हैं। ऐसे में नरसल्लाह की मौत हिजबुल्लाह को कमजोर करने का काम करेगी। इसी तरह इजरायल ने समूह के अन्य प्रमुख कमांडर अली कराकी और नबील काऊक सहित 9 कमांडरों को भी मौत के घाट उतार दिया है। इस तरह इजरायल ने अब अपने सभी बड़े दुश्मनों का सफाया कर दिया है। उसने हमास को ठिकाने लगाने के बाद हिजबुल्लाह की भी कमर तोड़ दी।
अमेरिका की तुलना में इजरायल को बदला लेने में 22 साल ज्यादा लगे
जिस तरह नसरल्लाह इजरायल के लिए नासूर था, उसी तरह लादेन भी अमेरिका की गले की फांस था। 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में सबसे खतरनाक आतंकी हमला हुआ, जिसमें 3,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। इसके बाद अमेरिकी सेना ने लादेन को पकड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। आखिरकार 10 साल बाद साल 2011 में अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने लादेन को एबटाबाद में मार गिराया। हालांकि, इजरायल को अपने दुश्मन को मारने में 32 साल लग गए।
मध्य-पूर्व में युद्ध छिड़ने की बढ़ गई आशंका
नरसल्लाह की मौत के बाद अब मध्य-पूर्व में युद्ध की आशंका बढ़ गई है। ईरान ने इस्लामिक देशों के संगठन OIC की बैठक बुलाई है। यह 57 मुस्लिम देशों का संगठन है। विशेषज्ञों के अनुसार, नसरल्लाह की मौत से तय हो गया कि इस जंग में इस्लामिक देश शामिल होंगे। अगर OIC मिलकर इजरायल पर हमला करता है तो अमेरिका और यूरोपियन संघ भी इस लड़ाई में शामिल हो जाएंगे। उसके बाद यह समस्या और बड़ी हो जाएगी।