#NewsBytesExplainer: इजरायल का आयरन डोम एक साथ कितनी मिसाइलें रोक सकता है और कितना खर्चीला है?
हमास से युद्ध के बीच इजरायल के लिए अब एक नया मोर्चा लेबनान की तरफ भी खुल गया है। लेबनान ने हिज्बुल्लाह लड़ाकों के पेजर में हुए धमाकों का आरोप इजरायल पर लगाया है और बदला लेने की कसम खाई है। लेबनान की ओर से इजरायल पर मिसाइल और रॉकेट दागे जा रहे हैं। इनमें से ज्यादातर को आयरन डोम ने रोक लिया है। आइए आज आयरम डोन से जुड़ी कुछ खास बातें जानते हैं।
सबसे पहले जानिए क्या है आयरन डोम?
आयरन डोम इजरायल के व्यापक मिसाइल डिफेंस सिस्टम का एक हिस्सा है। इसे कम दूरी के हथियारों को रोकने के लिए बनाया गया है। इसमें एक रडार ट्रैकिंग स्टेशन, एक नियंत्रण केंद्र और एक मिसाइल बैटरी सिस्टम होता है। अमेरिका की मदद से बनी इस प्रणाली का साल 2011 में पहली बार परीक्षण किया गया था। तब इसने दक्षिणी शहर बीरसेबा से दागे गए मिसाइलों को सफलतापूर्व मार गिराया था।
कैसे काम करती है आयरन डोम प्रणाली?
जब किसी रॉकेट को इजराइल की ओर दागा जाता है तो ट्रैकिंग रडार इसका पता लगाता है। इसके बाद रडार इसकी जानकारी हथियार नियंत्रण प्रणाली को भेजता है, जिसके बाद रॉकेट का आंकलन करके इंटरसेप्टर मिसाइल दागी जाती है और रॉकेट को हवा में ही मार गिराया जाता है। एक लॉन्चर 10 सेकंड में 20 मिसाइलें दाग सकता है। ये प्रणाली 24 घंटे और हर तरह के मौसम में कार्य करने में सक्षम है।
इजरायल ने क्यों बनाई थी ये प्रणाली?
2006 में हिज्बुल्लाह ने इजरायल पर हजारों की संख्या में रॉकेट दागे थे, जिससे कई लोगों की मौत हुई थी और इजरायल को बड़ा नुक़सान उठाना पड़ा था। इस संघर्ष के बाद आयरन डोम विकसित किया गया था। इसका विकास इजरायली कंपनी राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम और इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने अमेरिका की मदद से किया है। इसके लिए इजरायल को 1,600 करोड़ रुपये की मदद अमेरिका से मिली थी।
कितना सफल है आयरन डोम?
पिछले साल जब अक्टूबर में हमास ने इजरायल पर हमला किया था, तब 90 प्रतिशत रॉकेटों को आयरन डोम ने निष्क्रिय कर दिया था। हालांकि, जब एक साथ सैकड़ों की संख्या में रॉकेट दागे जाते हैं तो इनमें से कुछ आयरन डोम से बच निकलते हैं। हमास ने भी इजरायल पर सैकड़ों रॉकेट एक साथ दागे थे, इस वजह से कुछ प्रणाली को भेदने में कामयाब रहे थे और रिहायशी इलाकों में गिरे थे।
आयरन डोम के संचालन पर कितना खर्च आता है?
टाइम्स ऑफ इजरायल के मुताबिक, आयरन डोम में इस्तेमाल होने वाले एक इंटरसेप्टर की कीमत करीब 1.25 करोड़ रुपये है। आमतौर पर एक मिसाइल फायरिंग यूनिट हर आने वाले लक्ष्य पर 2 मिसाइल दागता है। खास बात है कि ये प्रणाली खुद पता लगा लेती है कि आने वाली मिसाइल किसी रिहायशी इलाके में गिर सकती है या नहीं। ये केवल रिहायशी इलाके में गिरने वाली मिसाइलों को ही निशाना बनाता है, इस वजह से ये काफी किफायती है।
आयरन डोम का दायरा कितना बड़ा है?
आयरन डोम में इस्तेमाल होने वाली बैटरियों को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। इस वजह से इसे किसी भी खतरे वाली जगह पर तैनात किया जा सकता है। इजरायल के हर बड़े शहर इसके दायरे में हैं। रेथॉन और सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के अनुसार, इजरायल के पास 10 आयरन डोम बैटरियां हैं, जिनमें से हर एक में 3 से 4 लॉन्चर हैं।
आयरम डोम की क्या कमियां हैं?
BBC के मुताबिक, कुछ जानकारों का मानना है कि ये तकनीक फिलहाल गाजा पट्टी की तरफ से आने वाले रॉकेट को नष्ट कर देती है, लेकिन मुमकिन है कि किसी दूसरे दुश्मन के खिलाफ उतनी कारगर साबित न हों। यरुशलम पोस्ट के खुफिया मामलों के संपादक योना जेरेमी बॉब के मुताबिक, हिज्बुल्लाह कम समय में अधिक मिसाइलें दागने में सक्षम है और मुमकिन है कि ऐसे हालात में ये तकनीक इतनी अच्छी तरह काम न कर पाए।