अमेरिका ने विदेश में दी जाने वाली सभी तरह की मदद रोकी, क्या होगा असर?
क्या है खबर?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक और बड़े फैसले में अमेरिका द्वारा विदेशों को दी जाने वाली मदद पर रोक लगा दी है। केवल इजरायल और मिस्र को छूट दी गई है।
अमेरिकी अधिकारियों और दूतावासों को भेजे गए एक मेमो के लीक होने के बाद ये जानकारी सामने आई है, जिसे विदेश विभाग के विदेशी सहायता कार्यालय द्वारा तैयार और विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा जारी किया गया है।
आदेश
क्या कहता है आदेश?
आदेश में कहा गया है कि वरिष्ठ अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि कानून द्वारा स्वीकृत अधिकतम सीमा तक विदेशी सहायता के लिए कोई नई योजना नहीं बनाई जाएगी, जब तक कि विदेश मंत्री रुबियो समीक्षा के बाद कोई निर्णय नहीं लेते।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, आदेश में बताया गया है कि नई या मौजूदा योजनाओं के लिए कोई नया फंड तब तक जारी नहीं किया जाएगा, जब तक हर योजना का राष्ट्रपति एजेंडे के अनुरूप समीक्षा और अनुमोदन नहीं होता।
यूक्रेन
यूक्रेन होगा सबसे ज्यादा प्रभावित
माना जा रहा है कि रूस के साथ युद्ध में उलझा हुआ यूक्रेन इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकता है। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में यूक्रेन को रूस से मुकाबला करने के लिए अरबों डॉलर की सैन्य मदद मिली थी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिन परियोजनाओं को रोका गया है, उनमें स्कूलों को सहायता, आपातकालीन मातृ देखभाल और बच्चों के टीकाकरण जैसे स्वास्थ्य सहायता कार्यक्रम भी शामिल हैं।
छूट
इजरायल और मिस्र को क्यों मिली छूट?
जानकारों का मानना है कि इजरायल और मिस्र को मिली छूट अमेरिका के लिए दोनों देशों के रणनीतिक महत्व को दर्शाता है। अस्थिर मध्य-पूर्व को साधने के लिए इसे अमेरिका की रणनीति माना जा रहा है।
इजरायल को हर साल अमेरिका से लगभग 28,000 करोड़ की अमेरिकी सैन्य सहायता मिलती है, जबकि मिस्र को लगभग 11,000 करोड़ रुपये की।
बाइडन के कार्यकाल में इजरायल को भारी मात्रा में हथियार भेजे गए थे।
असर
क्या होगा असर?
इस निर्णय से दुनिया भर में चल रहे मानवीय कार्यक्रमों के बंद होने की आशंका है।
अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा एकल अंतरराष्ट्रीय सहयोग दाता है। वित्तीय वर्ष 2023 में अमेरिका ने करीब 6 लाख करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की थी।
आशंका जताई जा रही है कि दुनियाभर में चल रहे पोषण, स्वास्थ्य और टीकाकरण कार्यक्रम पर इसका असर हो सकता है। गाजा पट्टी, सीरिया और सूडान जैसे देशों में मानवीय सहायता भी प्रभावित होगी।
बयान
क्या कह रहे हैं जानकार?
USAID के एक पूर्व अधिकारी जेरेमी कोनिंडिक ने कहा, "यह पागलपन है। इससे लोगों की मौत हो जाएगी। अगर आदेश को लिखे अनुसार लागू किया गया तो बहुत से लोग मर जाएंगे। ये विदेशी सहायता कार्यक्रम की प्रभावशीलता की ईमानदारी से समीक्षा करने के लिए एक नेकनीयती भरा प्रयास नहीं माना जा सकता। यह बस एक विध्वंसक प्रयास है, ताकि जितना संभव हो सके, उतना कुछ नष्ट किया जा सके।"