अफगानिस्तान: तालिबान आने के बाद खाली हुए ATM, रोजमर्रा की चीजों के दामों में इजाफा
तालिबान का कब्जा होने के बाद अफगानिस्तान के लोगों को कई मुश्किलों को सामना करना पड़ रहा है। बैंकों में नकदी न होने के कारण जहां लोग पैसा निकालने को तरस रहे हैं तो दूसरी तरफ रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान छूने लगे हैं। वहीं विदेशी सहायता बंद होने के बाद विदेशों से आने वाला पैसा बंद हो गया है और अफगानी मुद्रा में तेज गिरावट देखी जा रही है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
सरकारी कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन
काबुल समेत अफगानिस्तान के कई शहरों में कुछ दिनों से ATM खाली पड़े हैं। इसी तरह विनिमय दरों में अनिश्चितता और लूटपाट के डर से मनी एक्सचेंज भी बंद है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बैंकों का हाल बहुत खराब है। लोग सुबह से लंबी लाइनें लगाकर खड़े हो जाते हैं, लेकिन बैंक खुल नहीं रहे हैं। उनका कहना है कि सरकारी नौकरी करने वालों को वेतन नहीं मिला है और लोगों के पास नकदी खत्म हो रही है।
हर चीज के दाम बढ़े
DW से बात करते हुए एक स्थानीय नागरिक ने बताया कि बीते एक महीने में रोजमर्रा की चीजों के दाम तेजी से बढ़े हैं। एक महीने पहले जहां आटे का एक थैला 1,800 अफगानी में मिलता था, वहीं अब उसके लिए करीब 2,200 अफगानी चुकाने पड़ रहे हैं। इसी तरह 16 लीटर तेल के कैन की कीमत 1,700 से बढ़कर 2,150 अफगानी हो गई है। उन्होंने बताया कि बाजार में सामान उपलब्ध है, लेकिन इसकी कीमत बहुत है।
रेमिटेंसेस पर भी पड़ा असर
अफगानी नागरिक लंबे समय से विदेशों में काम कर रहे अपने प्रियजनों से मिलने वाले पैसों पर निर्भर रहे हैं, लेकिन अब यहां से भी मदद बंद हो गई है। वेस्टर्न यूनियन और मनीग्राम जैसी वायर ट्रांसफर सर्विस ने अफगानिस्तान में अपना संचालन निलंबित कर दिया है। बीते साल पाकिस्तान, ईरान, जर्मनी और अमेरिका आदि देशों में काम करने वाले अफगान नागरिकों ने करीब 790 मिलियन डॉलर अपने परिवारों को भेजे थे, लेकिन फिलहाल यह मदद बंद हो गई है।
अफगानी मुद्रा भी कमजोर
अमेरिका ने तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक की करीब 9.5 अरब डॉलर की संपत्ति को फ्रीज कर दिया है। इसके अलावा विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी अफगानिस्तान को मिलने वाली मदद पर रोक लगा दी है। इन सबका असर अफगानी मुद्रा पर पड़ा है और इसमें रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली है। साथ ही आटा, चावल, तेल और दाल आदि के दाम दो हफ्तों में 10-20 प्रतिशत बढ़ चुके हैं।
कौन है अफगान के केंद्रीय बैंक का नया प्रमुख?
तालिबान ने हाजी मोहम्मद इदरिस को देश के केंद्रीय बैंक का कार्यवाहक गवर्नर बनाया है। इदरिस ने तालिबानी नेता मुल्ला अख्तर मंसूर के साथ कुछ वित्तीय मुद्दों पर काम किया था। उसके पास वित्त संस्थान का प्रबंधन संभालने से जुड़ा कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं है, लेकिन उसने तालिबान के वित्त आयोग का काम संभाला था। इदरिस से पहले गवर्नर रहे अजमल अहमदी ने चेताया था मौजूदा संकट अर्थव्यवस्था को और बुरे हालात में पहुंचा देगा।
तालिबान ने 15 अगस्त को किया था अफगानिस्तान पर कब्जा
बता दें कि तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करते हुए देश में नया शासन लागू करने की घोषणा की थी। उसके एक नेता ने बताया था कि अफगानिस्तान में लोकतंत्र नहीं होगा और वहां परिषद के जरिये सरकार चलाई जा सकती है। इस बीच तालिबान ने कहा कि यदि अमेरिकी सेना 31 अगस्त तक देश नहीं छोड़ती है तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। तालिबान ने कहा कि इस तारीख को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।