संयुक्त राष्ट्र ने रूस को मानवाधिकार परिषद से निकाला, भारत ने मतदान से बनाई दूरी
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने रूस को मानवाधिकार परिषद से बाहर कर दिया है। गुरुवार को आयोजित UNGA के विशेष आपातकालीन सत्र में रूस को मानवाधिकार परिषद से निलंबित करने के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान हुआ था। अमेरिका की तरफ से लाए गए इस प्रस्ताव का 93 देशों ने समर्थन किया, 24 इसके विरोध में रहे, जबकि 58 देशों ने मतदान से दूरी बनाई थी। भारत भी उन 58 देशों में शामिल है, जो मतदान से दूर रहे।
रूस को क्यों बाहर किया गया?
दरअसल, रूस पर बूचा और दूसरे यूक्रेनी शहरों में नरसंहार के आरोप लगे हैं। यूक्रेन का कहना है कि रूसी सेना के पीछे हटने के बाद उसे इन शहरों में लाशों के ढेर मिले हैं। कई जगहों पर सामूहिक कब्रों से सैकड़ों लाशें मिलने की बातें भी आई हैं। नरसंहार के सबूत सामने आने के बाद रूस पर कड़े प्रतिबंध भी लग गए हैं। हालांकि, रूस ने यूक्रेन की तरफ से लगाए गए इन आरोपों का खंडन किया है।
2011 में लीबिया को किया गया था बाहर
मानवाधिकार परिषद से किसी देश को बाहर करने का यह दूसरा मौका है। रूस से पहले 2011 में लीबिया को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर का रास्ता दिखाया गया था।
रूस के समर्थन में आया चीन
चीन ने अब तक संयुक्त राष्ट्र में आए प्रस्तावों पर मतदान से दूरी बनाई थी, लेकिन इस बार उसने रूस का समर्थन किया है। चीन के अलावा क्यूबा, ईरान, किर्गीस्तान, वियतनाम, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान आदि देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया। वहीं भारत के अलावा पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, ओमान, कतर, ब्राजील, जॉर्डन आदि देश मतदान के दौरान गैरहाजिर रहे, जबकि अमेरिका, कनाडा और लगभग ज्यादातर यूरोपीय देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया।
यूक्रेन ने जताया आभार
रूस को बाहर करने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए यूक्रेन ने कहा कि वह शुक्रगुजार है और इस परिषद में 'युद्ध अपराधियों' के प्रतिनिधित्व की जरूरत नहीं है। यूक्रेनी विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने ट्विटर पर लिखा, 'मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बनाई गई संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं में युद्ध अपराधियों की कोई जगह नहीं है। हम उन सभी सदस्य देशों का आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।'
भारत ने मतदान से बनाई दूरी
रूस की इस चेतावनी के बाद भी कि प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करना या गैरहाजिर रहना प्रतिकूल रूख माना जाएगा और इसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा, भारत ने मतदान से दूरी बनाए रखी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि भारत शांति का पक्ष चुनेगा और हिंसा को तुरंत रोका जाना चाहिए। सभी फैसले लोकतांत्रिक नीतियों की प्रक्रिया का पूरा पालन करते हुए लिए जाने चाहिए।
कम हो रहा है रूस का विरोध
यूक्रेन पर हमले की शुरुआत के बाद से संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ तीन प्रस्ताव आ चुके हैं। पहले दो प्रस्तावों पर 141 और 140 देशों ने रूस के खिलाफ मतदान किया था, जबकि गुरुवार को आए प्रस्ताव पर रूस का विरोध करने वाले देशों की संख्या 93 हो गई। 193 सदस्य देशों वाली महासभा में 93 देशों का समर्थन मिलने के बाद दो तिहाई बहुमत से रूस को मानवाधिकार परिषद से बाहर निकालने का रास्ता साफ हो गया।