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यूक्रेन-रूस युद्ध में भारत शांति की तरफ, मासूमों की जान लेकर कोई समाधान नहीं निकलता- जयशंकर
यूक्रेन-रूस युद्ध में भारत शांति की तरफ, मासूमों की जान लेकर कोई समाधान नहीं निकलता- जयशंकर

यूक्रेन-रूस युद्ध में भारत शांति की तरफ, मासूमों की जान लेकर कोई समाधान नहीं निकलता- जयशंकर

Apr 06, 2022
02:55 pm

क्या है खबर?

आज संसद में यूक्रेन-रूस युद्ध पर बयान जारी करते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि इस संकट में भारत शांति की तरफ है और हिंसा को तत्काल बंद करने के लिए बातचीत पर जोर दे रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सरकार का पक्ष रखते हुए अपने बयान में बूचा में यूक्रेनी नागरिकों के नरसंहार की कड़े शब्दों में आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि ये बेहद गंभीर मामला है और भारत स्वतंत्र जांच का समर्थन करता है।

बयान

क्या बोले जयशंकर?

यूक्रेन युद्ध में भारत किस तरफ है, लोकसभा में इस सवाल का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, "हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि समकालीन वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र के चार्टर पर आधारित है जो अंतरराष्ट्रीय कानून के सम्मान, सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए बनाया गया है। अगर भारत ने एक पक्ष चुना है तो यह शांति का पक्ष है और हिंसा को तत्काल ख़त्म करने का पक्ष है।"

संघर्ष के खिलाफ

खून बहाकर कोई समाधान नहीं निकलता- जयशंकर

जयशंकर ने आगे कहा, "सबसे महत्वपूर्ण है कि भारत यूक्रेन में संघर्ष के ख़िलाफ है। हमारा मानना ​​है कि खून बहाकर और मासूमों की जान की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है। आज के समय में संवाद और कूटनीति किसी भी विवाद का सही जवाब है।" उन्होंने कहा कि यह भारत का सैद्धांतिक रुख है और इसी के हिसाब से उसने संयुक्त राष्ट्र (UN) समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्टैंड तय किया है।

प्रशंसा

जयशंकर ने 'ऑपरेशन गंगा' को बताया ऐतिहासिक

अपने बयान में जयशंकर ने यूक्रेन से संबंधित अन्य मुद्दों का भी जिक्र किया। छात्रों को निकालने के लिए चलाए गए 'ऑपरेशन गंगा' को ऐतिहासिक बताते हुए उन्होंने कहा कि कोई देश ऐसा नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद दूसरे देश के नेताओं से बात की, युद्धविराम कराया और चुनाव के बीच बैठकें की। जयशंकर के अनुसार, खारकीव और सुमी में फंसे छात्रों को निकालने के लिए प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की।

आलोचनाएं

जयशंकर ने आलोचनाओं का भी दिया जवाब

युद्ध के समय केवल एडवाइजरी जारी करने की आलोचनाओं पर जयशंकर ने कहा कि इन्हीं एडवाइजरी के जरिए छात्रों को पता चला कि उन्हें किस तरफ और कैसे जाना है। छात्रों के खुद पैदल चलकर सीमा तक आने पर उन्होंने कहा कि जो लोग छात्रों के संपर्क में थे, सरकार उनके संपर्क में थी और उन्हें बता रही थी कि कैसे क्या करना है। उन्होंने कहा कि छात्रों ने पहले युद्ध की आशंकाओं को गंभीरता से नहीं लिया था।

बूचा नरसंहार

भारत ने UNSC में भी की बूचा नरसंहार की निंदा

बता दें कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भी यूक्रेन के बूचा शहर में हुए नरसंहार की कड़ी निंदा की है। UNSC में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने कहा कि बूचा से आने वाली खबरें परेशान करने वाली हैं और वह इसकी स्वतंत्र जांच की मांग का समर्थन करता है। बिना नाम लिए ये भारत की रूस पर सबसे कड़ी टिप्पणी है। बूचा में रूसी सैनिकों पर सैकड़ों आम नागरिकों को मारने का आरोप है।