UN मानवाधिकार आयोग प्रमुख ने जताई कश्मीर के हालात पर चिंता, पाबंदियां हटाने का किया अनुरोध
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) प्रमुख मिशेल बैचलेट ने सोमवार को कश्मीर के हालात पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद कश्मीर में लगाई गई पाबंदियों को लेकर वह बहुत चिंतित हैं। उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों से मानवाधिकारों का सम्मान करने की अपील की। बैचलेट ने कहा कि उन्हें नियंत्रण रेखा (LoC) के दोनों तरफ मानवाधिकार उल्लंघन की खबरें लगातार मिलती रहती हैं।
5 अगस्त से कश्मीर में लगी हई हैं पाबंदियां
सोमवार से शुरू हुए UNHRC के 42वें सत्र के शुरुआती संबोधन में बैचलेट ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा, "मैं इंटरनेट और शांतिपूर्ण सभा पर पाबंदी, स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी समेत कश्मीरियों के मानवाधिकारों पर भारत सरकार की हालिया कार्रवाई से बहुत चिंतित हूं।" बता दें कि 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 पर फैसले के बाद से ही कश्मीर में इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं पर रोक लगी हुई है।
"उनके भविष्य पर असर डालने वाले फैसलों पर कश्मीरियों की राय ली जाए"
बैचलेट ने आगे कहा, "पाकिस्तान और भारत की सरकारों से मैं मानवाधिकारों का सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करती हूं।" उन्होंने आगे कहा, "मैंने भारत से विशेष तौर पर मौजूदा पाबंदियों और कर्फ्यू को हटाने, लोगों को मूल सुविधाएं देने और हिरासत में लिए गए लोगों के अधिकारों की रक्षा करने का अनुरोध किया है।" उन्होंने कहा कि ये महत्वपूर्ण है कि कश्मीर के लोगों की ऐसे फैसलों पर राय ली जाए जिनका उनके भविष्य पर असर होगा।
असम NRC पर भी बैचलेट ने व्यक्त की चिंता
बैचलेट ने अपने बयान में असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) प्रक्रिया का भी जिक्र किया। भारत सरकार से सूची से बाहर 19 लाख के अधिकारों की रक्षा करने का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि इससे बहुत अनिश्चितता और चिंता डर फैला है।
भारत के खिलाफ प्रस्ताव पेश कर सकता है पाकिस्तान
बता दें कि 5 अगस्त को कश्मीर पर भारत सरकार के फैसले के बाद से ही पाकिस्तान मुद्दे का अंतरराष्ट्रीय करने की कोशिश कर रहा है। उसने भारत पर कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया है। जेनेवा में हो रही UNHRC की इस बैठक में भी पाकिस्तान भारत के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन का प्रस्ताव पेश कर सकता है। हालांकि, इसे पारित कराने में उसे सफलता मिलेगी, ऐसा होना बेहद मुश्किल नजर आता है।