
#NewsBytesExplainer: क्या हार्वर्ड विश्वविद्यालय में नहीं पढ़ पाएंगे विदेशी छात्र, प्रशासन के साथ क्या है विवाद?
क्या है खबर?
हार्वर्ड विश्वविद्यालय को लेकर अमेरिकी प्रशासन सख्त रुख अपनाता जा रहा है। अब अमेरिका की सरकार ने कहा है कि अगर हार्वर्ड व्हाइट हाउस की मांगों का पालन नहीं करता है तो वहां विदेशी छात्रों के प्रवेश पर रोक लगाई जा सकती है।
इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने विश्वविद्यालय को मिलने वाली करोड़ों रुपये की फंडिंग भी रोक दी थी।
आइए जानते हैं ट्रंप हार्वर्ड विश्वविद्यालय के पीछे क्यों पड़े हैं।
विदेशी छात्र
ट्रंप ने क्यों दी विदेशी छात्रों के प्रवेश पर रोक लगाने की धमकी?
दरअसल, अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने हार्वर्ड में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की 'अवैध और हिंसक गतिविधियों' से जुड़ी रिपोर्ट मांगी है।
विभाग ने कहा कि अगर 30 अप्रैल तक ये जानकारी नहीं दी जाती है तो विदेशी छात्रों का नामांकन रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
बता दें कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पिछले साल फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन हुए, जिसमें विदेशी छात्रों ने भी हिस्सा लिया था। इसी वजह से विदेश छात्रों की जानकारी मांगी गई है।
मांग
अमेरिका सरकार ने विश्वविद्यालय से क्या जानकारी मांगी है?
सरकार ने विश्वविद्यालय से कहा कि वो
-अमेरिकी मूल्यों का विरोध करने वाले छात्रों की सूचना दे।
-यह सुनिश्चित किया जाए कि हर शैक्षणिक विभाग का दृष्टिकोण विविधतापूर्ण हो।
-यहूदी-विरोधी उत्पीड़न को बढ़ावा देने वाले विभागों की सूचना दी जाए।
-बीते 2 साल में विश्वविद्यालय परिसर में हुए प्रदर्शनों के दौरान हुए 'उल्लंघनों' के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
-विश्वविद्यालय की विविधता, समानता और समावेशन की नीतियों को खत्म किया जाए।
रुख
सरकार की मांग पर विश्वविद्यालय ने क्या कहा?
विश्वविद्यालय प्रशासन ने सरकार का आदेश मानने से इनकार कर दिया है।
विश्वविद्यालय के अध्यक्ष एलन गार्बर ने एक पत्र में कहा, "हमने अपने कानूनी सलाहकार के माध्यम से प्रशासन को सूचित किया है कि हम उनके प्रस्तावित समझौते को स्वीकार नहीं करेंगे। विश्वविद्यालय अपनी स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों को नहीं छोड़ेगा। सरकार की कुछ मांगें यहूदी-विरोधी भावना से निपटने के लिए हैं, लेकिन ज्यादातर विश्वविद्यालय पर प्रत्यक्ष सरकारी नियंत्रण का प्रतिनिधित्व करती हैं।"
कार्रवाई
ट्रंप प्रशासन ने विश्वविद्यालयों पर अब तक क्या कार्रवाई की?
ट्रंप ने 1 फरवरी को एक टास्क फोर्स बनाई, जिसका काम कॉलेज परिसरों में यहूदी-विरोधी उत्पीड़न को खत्म करना था। इस टास्क फोर्स ने 10 विश्वविद्यालयों की पहचान की।
10 मार्च को शिक्षा विभाग ने 60 संस्थानों को औपचारिक चेतावनी जारी की।
इसके बाद कोलंबिया विश्वविद्यालय के खाते में जमा करीब 3,400 करोड़ रुपये को फ्रीज कर दिया गया।
बाद में कई विश्वविद्यालयों को मिलने वाली करोड़ों की फंडिंग रद्द कर दी गई।
फंडिंग
ट्रंप ने हार्वर्ड की 18,000 करोड़ रुपये की फंडिंग रोकी
ट्रंप प्रशासन ने 14 अप्रैल को हार्वर्ड विश्वविद्यालय को दी जाने वाली करीब 18,000 करोड़ रुपये की फंडिंग पर रोक लगा दी थी। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मांगें नहीं माने जाने के बाद ये कदम उठाया गया था।
ट्रंप ने विश्वविद्यालय को मिलने वाली टैक्स छूट खत्म करने के भी संकेत दिए हैं।
ट्रंप ने कहा था कि अगर विश्वविद्यालय राजनीतिक, वैचारिक और आतंकवाद समर्थन की बीमारी को बढ़ावा देना जारी रखती है तो उस पर टैक्स लगाया जाना चाहिए।
बयान
ट्रंप बोले- हार्वर्ड मजाक बन गया
ट्रंप ने हाल ही में कहा था, "अब हार्वर्ड को दुनिया की सबसे बेहतर विश्वविद्यालय की किसी भी सूची में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। हार्वर्ड एक मजाक है, जो नफरत और मूर्खता सिखाता है। इसे अब सरकारी पैसा नहीं मिलना चाहिए। हार्वर्ड पूरी तरह से वोक, कट्टर वामपंथी, मूर्ख और पक्षपाती लोगों को काम पर रख रहा है, जो छात्रों को सिर्फ नाकामी सिखा सकते हैं। इन वामपंथी मूर्खों के जैसे कई अन्य लोग हार्वर्ड में पढ़ा रहे हैं।"