पाकिस्तान में बाढ़ से COP27 तक, 2022 की जलवायु परिवर्तन से जुड़ी 5 सबसे बड़ी घटनाएं
मानवता के लिए खतरा बनते जलवायु परिवर्तन के खिलाफ 2022 में भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया और इस दौरान कई ऐसी घटनाएं हुईं जिनमें साफ तौर पर जलवायु परिवर्तन का असर देखने को मिला। दुनियाभर में कहीं भयंकर बाढ़ देखने को मिली तो कहीं भीषण गर्मी और सर्दी ने लोगों को परेशान किया। आइए आपको 2022 की जलवायु परिवर्तन से जुड़ी पांच प्रमुख घटनाओं के बारे में बताते हैं।
पाकिस्तान में भीषण बाढ़
पाकिस्तान में इस साल हालिया समय की सबसे भीषण बाढ़ आई, जिसमें देश के 150 में से 110 जिले डूब गए। बाढ़ से लगभग 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए और 1,000 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। मानसून में अत्यधिक बारिश के कारण यह बारिश आई और देश में जून से अगस्त के बीच लगातार आठ हफ्तों तक बारिश हुई। जुलाई-अगस्त में सामान्य से 211 प्रतिशत अधिक बारिश हुई और इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़ कर देखा गया।
यूरोप में गर्मी की लहर और सूखा
यूरोप में इस साल रिकॉर्डतोड़ गर्मी देखने को मिली। इस दौरान यूनाइटेड किंगडम (UK) में तापमान ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और यह इतिहास में सबसे अधिक रहा। इसी तरह फ्रांस में भी कुछ जगहों पर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा, जो अब तक के इतिहास में सबसे अधिक है। इसे ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते ट्रेंड से जोड़कर देखा गया। गर्मी के कारण यूरोप में पिछले 500 साल का सबसे भीषण सूखा भी आया।
अमेरिका के जंगलों में आग
2022 में अमेरिका में जंगल में आग के 64,835 मामले सामने आए जो औसत से अधिक हैं और 2017 के बाद सबसे ज्यादा हैं। USA टुडे के अनुसार, जंगल मे आग की इन घटनाओं में कुल 74 लाख एकड़ इलाका जल गया। यह आंकड़ा पिछले 10 साल की औसत से अधिक है। वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण जंगल में आग की घटनाएं संख्या और भीषणता दोनों के मामले में बदतर हो रही हैं।
भारत में भीषण गर्मी
इस साल गर्मियों के महीनों में भारत में भी भीषण गर्मी पड़ी और इसने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। देश में मार्च का महीना पिछले 122 सालों में सबसे अधिक गर्म रहा, वहीं उत्तर-पश्चिमी और मध्य भारत में अप्रैल का महीना 122 सालों में सबसे अधिक गर्म रहा। राजधानी दिल्ली में भी गर्मी का प्रकोप देखने को मिला और यहां अप्रैल पिछले 72 सालों में दूसरा सबसे अधिक गर्म अप्रैल रहा। इस दौरान तापमान औसत से चार डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।
जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन (COP27)
संयुक्त राष्ट्र (UN) का जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन (COP27) इस साल मिस्र में हुआ। सम्मेलन में वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने पर तो कोई समझौता नहीं हुआ, लेकिन अमीर और विकसित देश जलवायु परिवर्तन से गरीब और विकासशील देशों को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए तैयार हो गए। यह विकासशील देशों की एक प्रमुख मांग थी और इसके लिए एक फंड का गठन किया जाएगा।
जलवायु परिवर्तन का मुद्दा क्या है?
इंसानी गतिविधियों के कारण धरती गर्म (ग्लोबल वॉर्मिंग) होती जा रही है, जिससे जलवायु परिवर्तन हो रहा है। UN के अनुसार, औद्योगिक क्रांति के बाद से वैश्विक तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है और अगर यह 1.5 डिग्री से अधिक जाता है तो जलवायु परिवर्तन को रोकना असंभव हो जाएगा और मानवता का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। हालिया समय में भयंकर गर्मी, ठंड, बाढ़, तूफान और सूखों जैसे जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी दुष्प्रभाव देखने को भी मिले हैं।