तेजी से बढ़ रहा है समुद्र का जलस्तर, भारत के इन चार शहरों को बड़ा खतरा
क्या है खबर?
संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट के अनुसार समुद्र का जलस्तर पिछले अनुमानों के मुताबिक अधिक तेजी से बढ़ रहा है और इससे भारत के इन चार शहरों समेत समुद्र के किनारे बसे दुनियाभर के 45 शहरों में भीषण बाढ़ का खतरा है।
समुद्र के बढ़ते जलस्तर के कारण भारत के चार बड़े शहरों, कोलकाता, मुंबई, सूरत और चेन्नई, पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
इस रिपोर्ट को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक और चेतावनी माना जा सकता है।
खतरा
खतरे में आ सकते हैं 1.4 अरब लोग
UN के इंटर-गवरमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) ने बुधवार को 'ओसियन एवं क्रायोस्फीयर' नाम से रिपोर्ट जारी की।
क्रायोस्फीयर धरती के उन इलाकों को कहा जाता है जहां बर्फ जमी रहती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ऐसे ही ग्लेशियरों पर जमी बर्फ का पिछलना जारी रहा तो 2100 तक दुनियाभर के समुद्रों का जलस्तर एक मीटर तक बढ़ सकता है और इस कारण 1.4 अरब लोग खतरे में आ सकते हैं।
रिपोर्ट
कार्बन उत्सर्जन कम करने पर भी बढ़ेगा जलस्तर
रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर कार्बन के उत्सर्जन को तेजी से कम भी किया जाता है तो भी समुद्र का जलस्तर 30-60 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है।
वहीं अगर कार्बन के उत्सर्जन पर लगाम नहीं लगाई जाती और ये ऐसे ही बढ़ता रहता है तो समुद्र का जलस्तर 110 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है।
इससे समुद्र का जलस्तर बढ़ने की जो घटनाएं पहले सदी में एक बार होती थीं, वो 2050 के बाद हर साल होने लगेंगी।
जानकारी
50 सेंटीमीटर भी बढ़ा जलस्तर को खतरे में होगा मुंबई
इस बीच अगर जलस्तर 50 सेंटीमीटर भी बढ़ता है तो समुद्र के किनारे बसे 5 लाख से अधिक आबादी वाले दुनिया के 45 शहरों को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ेगा। इन शहरों में भारत के मुंबई, कोलकाता, सूरत और चेन्नई भी शामिल हैं।
प्रभाव
पहले से ज्यादा एसिडिक हो रहे समुद्र
रिपोर्ट में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के समुद्र का तापमान भी बढ़ रहा है और ये पहले से ज्यादा एसिडिक हो रहे हैं।
इससे मौसम संबंधी घटनाएं जैसे तूफान और अल नीनो का खतरा पहले से ज्यादा बढ़ गया है और ये बार-बार आने लगे हैं। समुद्र की लहरें भी कमजोर होंगी।
इसके अलावा समुद्र के प्राणियों को भी खतरा बढ़ रहा है और मछलियों की संख्या में कमी आएगी।
जल संकट
ग्लेशियर पिछलने से उत्तर भारत में पैदा हो सकता है भीषण जल संकट
रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर भी तेजी से पिघल रहे हैं।
इसका असर उत्तर भारत के मैदानी इलाकों पर भी पड़ेगा।
हिमालय ग्लेशियर के पिछलने से उत्तर भारत में भीषण जल संकट पैदा हो सकता है।
IPCC के वाइस चेयरमैन को बैरेट ने इस मौके पर कहा, "दुनियाभर के समुद्र और क्रायोस्फीयर दशकों से जलवायु परिवर्तन से गर्म हो रहे हैं और इसका मानव और प्रकृति पर गंभीर असर होगा।"