किसान आंदोलन: थनबर्ग द्वारा साझा की गई टूलकिट मामले में बेंगलुरू की 21 वर्षीय कार्यकर्ता गिरफ्तार
जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेट थनबर्ग से संबंधित टूलकिट मामले में बेंगलुरू की एक 21 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली पुलिस का आरोप है कि दिशा रवि नामक इस कार्यकर्ता ने किसान आंदोलन से संबंधित टूलकिट को एडिट करके आगे भेजा था। दिशा "फ्राइडे फॉर फ्यूचर" नामक अभियान की संस्थापक हैं जिसके तहत दुनियाभर के छात्र शुक्रवार को स्कूल छोड़कर जलवायु परिवर्तन से संबंधित प्रदर्शनों में हिस्सा लेते हैं और इसके खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हैं।
क्या है टूलकिट से संबंधित पूरा मामला?
दुनियाभर में प्रसिद्ध जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने 3 फरवरी को भारत में हो रहे किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट करने के बाद इससे संबंधित एक टूलकिट भी साझा की थी। इसमें लोगों को किसान आंदोलन के कारणों के बारे में बताया गया था और उन्हें भारी संख्या में किसान आंदोलन में शामिल होने और उससे जुड़े फोटो-वीडियो शेयर करने को कहा गया था। इसके अलावा इसमें भारतीय दूतावासों के बाहर प्रदर्शन का अनुरोध भी किया गया था।
दिल्ली पुलिस ने दर्ज की देशद्रोह समेत कई संगीन धाराओं में FIR
दिल्ली पुलिस ने इस टूलकिट को "भारत को बदनाम" करने की साजिश बताते हुए 4 फरवरी को टूलकिट बनाने वाले लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। मामले की FIR में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A (देशद्रोह), 153A (सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक आधार पर विभिन्न समुदायों में नफरत पैदा करना) और 120B (आपराधिक साजिश) जैसी संगीन धाराएं लगाई गई हैं। FIR में किसी का नाम नहीं है और टूलकिट तैयार करने वाले सभी लोगों को आरोपी माना जाएगा।
भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की थी साजिश- दिल्ली पुलिस
दिल्ली के स्पेशल पुलिस कमिश्नर प्रवीर रंजन ने मामले पर कहा था कि एक सोशल मीडिया हैंडल पर टूलकिट को 26 जनवरी को हुई हिंसा से पहले साझा किया गया था। उन्होंने कहा कि इसमें कहा गया है कि 26 जनवरी के आसपास डिजिटल स्ट्राइक करनी है और इससे ऐसा लगता है कि गणतंत्र दिवस को जो हुआ वह सब कुछ पहले से निर्धारित था। उन्होंने कहा, "भारत के खिलाफ आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और क्षेत्रीय युद्ध छेड़ने की साजिश थी।"
खालिस्तानी संगठन पर लग रहे किसान आंदोलन पर टूलकिट बनाने के आरोप
दिल्ली पुलिस ने टूलकिट बनाने में खालिस्तानी तत्वों का हाथ होने की बात भी कही थी और कनाडा के 'पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन' नामक खालिस्तानी संगठन पर इस टूलकिट को बनाने का आरोप लगाया था। यह संगठन खुलेआम खालिस्तान का समर्थन करता है और किसान आंदोलन को लेकर पिछले काफी समय से सक्रिय है। उसने पिछले साल खालिस्तानी संप्रभुता पर एक वेबिनार भी आयोजित किया था। कनाडा के कई सांसद भी उससे कथित तौर पर जुड़े हुए हैं।
पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का संस्थापक भी खालिस्तान का समर्थक
पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का सह-संस्थापक मो धालीवाल भी खुलेआम खालिस्तान का समर्थन करता रहा है और उसने इस 26 जनवरी को कृषि कानूनों के मुद्दे पर कनाडा में भारतीय दूतावास के सामने हुए विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व भी किया था। वह सोशल मीडिया पर स्वर्ण मंदिर पर कब्जा करने वाले खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर भी पोस्ट कर चुका है और अपनी इस पोस्ट में उसने भिंडरावाले का महिमामंडन किया था।