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    गुप्त समझौते के तहत अमेरिकी नागरिकों को काबुल हवाई अड्डे तक पहुंचा रहा था तालिबान
    गुप्त समझौते के तहत अमेरिकी नागरिकों को हवाई अड्डे पहुंचा रहा था तालिबान

    गुप्त समझौते के तहत अमेरिकी नागरिकों को काबुल हवाई अड्डे तक पहुंचा रहा था तालिबान

    लेखन प्रमोद कुमार
    Sep 01, 2021
    06:38 pm

    क्या है खबर?

    अफगानिस्तान से अमेरिका का सैन्य अभियान खत्म होने के बाद इससे जुड़ी जानकारियां सामने आ रही हैं।

    ताजा जानकारी में पता चला है कि अमेरिकी सेना ने तालिबान के साथ गुप्त समझौता किया था, जिसके बाद उसने अमेरिकी नागरिकों को सुरक्षित काबुल हवाई अड्डे तक पहुंचाया था।

    एक अधिकारी ने यह भी बताया है कि अमेरिका ने हवाई अड्डे पर एक गुप्त दरवाजा बनाया था और अपने नागरिकों की मदद के लिए कॉल सेंटर भी चला रहा था।

    बयान

    तालिबान के साथ समझौते ने अच्छा काम किया- अमेरिकी अधिकारी

    CNN से बात करते हुए एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि तालिबान के साथ समझौते ने अच्छा काम किया।

    अफगानिस्तान में लोगों को निकालने में जुटे अधिकारियों ने बताया कि शुरुआत में काफी दिक्कतें हुई थीं और तालिबान ने अमेरिकी नागरिकों और दूसरे लोगों को हवाई अड्डे के गेट से लौटा दिया था।

    इसके बाद अमेरिका ने अपने नागरिकों को हवाई अड्डे पर लाने के लिए तालिबान के साथ समझौता किया, जिसे आखिर तक गुप्त रखा गया।

    काबुल

    अमेरिकियों को नहीं हुआ था तालिबान की मदद पर भरोसा

    समझौते के बाद अमेरिकी नागरिकों को हवाई अड्डे के पास इकट्ठा होने को कहा गया।

    यहां तालिबान ने उनके दस्तावेज जांचे और भारी भीड़ के बीच से उन्हें हवाई अड्डे के उस गेट तक पहुंचाया, जहां अमेरिकी सैनिक तैनात थे।

    तालिबान की मदद पाने वाले लोगों को कहना है कि उन्हें भरोसा नहीं हो रहा था कि समूह के लड़ाके उन्हें सुरक्षित हवाई अड्डे तक पहुंचाएंगे। इनमें से कईयों ने अमेरिकी अधिकारियों से बार-बार इस संबंध में जानकारी मांगी।

    जानकारी

    इस वजह से गुप्त रखा गया था समझौता

    अमेरिका का कहना है कि समझौते की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। उन्हें इस बात की भी चिंता थी कि शायद इसे सार्वजनिक करना तालिबान को पसंद न आए। साथ ही अमेरिकी नागरिकों पर आतंकी हमले का डर भी था।

    कयास

    CIA प्रमुख और बरादर की बैठक में हुआ समझौता!

    अमेरिका और तालिबान के बीच सालों से राजनीतिक चर्चा चल रही है, लेकिन निकासी अभियान में दोनों के बीच ऐसे समन्वय की उम्मीद कम लोगों की थी।

    अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन माना जा रहा है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA प्रमुख की तालिबान नेता अब्दुल गनी बरादर के साथ मुलाकात में निकासी अभियान को लेकर चर्चा हुई थी।

    CIA प्रमुख विलियम जे बर्न्स ने जो बाइडन के निर्देश पर बरादर से गुप्त मुलाकात की थी।

    काबुल

    मंत्रालय की इमारत में इकट्ठे हो रहे थे अमेरिकी

    एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी नागरिकों को हवाई अड्डे के बाहर बनी एक मंत्रालय की इमारत में इकट्ठा किया गया था। यहां से तालिबान के लड़ाके दिन में कई बार अमेरिकी नागरिकों को हवाई अड्डे के गेट तक छोड़ने जाते थे।

    हालांकि, कई नागरिकों को इस इमारत से लौटाए जाने की खबरें भी आ रही हैं।

    बता दें कि अमेरिका की तरफ से कहा गया था कि पूरे निकासी अभियान के दौरान तालिबान ने उसका सहयोग किया था।

    काबुल

    गुप्त गेट से अमेरिकी नागरिकों को दिया जा रहा था प्रवेश

    तालिबान के साथ समझौते के अलावा अमेरिकी सेना ने काबुल हवाई अड्डे पर कॉल सेंटर भी स्थापित किए थे, जहां से वो अमेरिकी नागरिकों के साथ संपर्क साध रही थी।

    सेना की विशेष टुकड़ी ने हवाई अड्डे पर एक गुप्त दरवाजा बनाया था, जहां से अमेरिकी नागरिकों को भीड़ से बचाकर हवाई अड्डे में प्रवेश दिया जा रहा था। इन लोगों को फोन पर संपर्क कर इस गेट के बारे में जानकारी दी जा रही थी।

    जानकारी

    सोमवार को अमेरिका ने छोड़ा काबुल

    सोमवार को काबुल से आखिरी अमेरिकी विमान ने उड़ान भरी और इसी के साथ अमेरिका का दो दशक का सैन्य अभियान खत्म हो गया। मेजर जनरल क्रिस डोनाह्यु आखिरी अमेरिकी सैन्य अधिकारी थे, जो काबुल से विमान में सवार हुए।

    अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस मुद्दे पर देश को संबोधित करते हुए कहा, "अफगानिस्तान के मिशन में अब हमारा कोई स्पष्ट उद्देश्य नहीं रह गया था। ऐसे में वहां से लौटना अमेरिका के लिए सबसे बेहतर फैसला रहा है।"

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