विपक्षी पार्टियों को अफगानिस्तान के हालात की जानकारी देगा विदेश मंत्रालय, प्रधानमंत्री ने दिया निर्देश
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्रालय को विपक्षी पार्टियों को अफगानिस्तान से जुड़े घटनाक्रम की जानकारी देने को कहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट करते हुए ये जानकारी दी।
उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान में हुए बदलावों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्रालय को विपक्षी पार्टियों के संसदीय नेताओं को मामले की जानकारी देने का निर्देश दिया है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी आगे की जानकारी देंगे।'
बयान
गुरूवार को हो सकती है बैठक, राहुल गांधी ने साधा प्रधानमंत्री पर निशाना
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, सभी पार्टियों की ये बैठक गुरूवार को हो सकती है जिसमें विदेश मंत्री अफगानिस्तान के हालात की जानकारी दे सकते हैं।
इस बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा है कि इस पूरे संकट पर वह विपक्षी नेताओं को क्यों जानकारी नहीं दे रहे।
ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा, 'मोदी जी क्यों नहीं बोल सकते? या फिर उन्हें ये जानकारी ही नहीं है कि अफगानिस्तान में क्या हो रहा है।'
अभियान
अफगानिस्तान से अपने नागरिकों को निकालने में लगा हुआ है भारत
बता दें कि भारत अभी अफगानिस्तान की राजधानी काबुल और अन्य शहरों से अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में लगा हुआ है। कल ही वायुसेना के एक विशेष विमान की मदद से 150 से अधिक भारतीयों को काबुल एयरपोर्ट से सीधे दिल्ली लाया गया था।
इन भारतीयों को तालिबान के लड़ाके पास के ही एक पुलिस स्टेशन ले गए थे और वहां पासपोर्ट समेत उनके जरूरी दस्तावेज देखे गए थे।
बचाव अभियान
अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं लगभग 1,000 भारतीय
अभी भी अफगानिस्तान के कई शहरों में लगभग 1,000 भारतीय नागरिक फंसे हैं। भारत सरकार के सामने इन लोगों को सुरक्षित निकालने की चुनौती है और वह इसके लिए अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है। सरकार का प्रमुख उद्देश्य विमानों को काबुल एयरपोर्ट तक पहुंचाना है।
काबुल शहर में तालिबानी लड़ाके हथियारों के साथ खड़े हैं और हवाई अड्डे की ओर आने वाले वाहनों को रोक रहे हैं। इनसे बचकर एयरपोर्ट पहुंचना एक बड़ी चुनौती है।
मौजूदा स्थिति
अफगानिस्तान में क्या चल रहा है?
अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है और अपनी सरकार बनाने की जुगत में लगा हुआ है। उसका प्रयास है कि वह एक ऐसी सरकार बना सके जो अफगानिस्तान के अधिकांश लोगों को स्वीकार हो और इस संबंध में आज उसके नुमांइदे देश के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और वरिष्ठ नेता अब्दुल्ला अब्दुल्ला से मिले।
तालिबान ने साफ कर दिया है कि देश में लोकतंत्र नहीं होगा।
समीकरण
तालिबान के कब्जे के बाद भारत के लिए बदल गए हैं समीकरण
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के साथ ही भारत के लिए सारे समीकरण बदल गए हैं जो अभी तक अफगानिस्तान में लोकतंत्र और विकास को बढ़ावा देने में आगे रहा है।
भारत को आशंका है कि तालिबान के आने के बाद पाकिस्तान अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए कर सकता है।
भारत अभी स्थिति पर नजर बनाए हुए है, हालांकि उसकी पहली प्राथमिकता वहां फंसे भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकालना है।