क्या है ताइवान का मुद्दा, जिसे लेकर अमेरिकी जनरल ने जताई चीन-अमेरिका युद्ध की आशंका?
क्या है खबर?
अमेरिका के एक शीर्ष वायुसेना जनरल ने कहा है कि अमेरिका और चीन के बीच 2025 में युद्ध हो सकता है।
अपने एक मेमो में जनरल माइक मिनिहन ने कहा कि उनका मन कहता है कि 2025 में अमेरिका और चीन में युद्ध होगा। उन्होंने ताइवान को लेकर ये लड़ाई होने की आशंका जताई।
आइए आपको ताइवान का पूरा मुद्दा और इसे लेकर चीन और अमेरिका के टकराव के बारे में विस्तार से बताते हैं।
मुद्दा
ताइवान को लेकर क्या है विवाद?
ताइवान चीन के दक्षिण-पूर्वी तट से लगभग करीब 160 किलोमीटर दूर स्थित एक द्वीप है।
चीन उसे अपना हिस्सा मानता है, वहीं ताइवान खुद को स्वतंत्र देश के तौर पर देखता है। उसका अपना संविधान है और यहां लोकतांत्रिक तरीके से सरकार चुनी गई है।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बयान दे चुके हैं कि ताइवान का 'एकीकरण' पूरा होकर रहेगा। उनके बयान से संकेत मिलता है कि वो इसके लिए ताकत के इस्तेमाल से भी परहेज नहीं करेंगे।
बंटवारा
1949 तक एक थे चीन और ताइवान
BBC के अनुसार, दूसरे विश्वयुद्ध के करीब ताइवान और चीन अलग हुए थे। उस वक्त चीन में सरकार चला रही नेशनलिस्ट पार्टी (कुओमिंतांग) का चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ गृह युद्ध चल रहा था।
1949 में माओत्से तुंग की अगुवाई में कम्युनिस्ट पार्टी जीत गई और सत्ता पर काबिज हो गई।
इसके बाद कुओमिंतांग समर्थक चीन से भागकर ताइवान द्वीप पर चले गए। आगे चलकर यह ताइवान की महत्वपूर्ण पार्टी बन गई और यहां अधिकतर उसी की सरकार रही है।
विवाद
2016 के बाद बढ़ा विवाद
चीन और ताइवान के बीच 2016 में राष्ट्रवादी त्सेई-इंग-वेन के ताइवान की राष्ट्रपति बनने के बाद विवाद ज्यादा बढ़ गया है।
चीन ने ताइवान की पहली निर्वाचित राष्ट्रपति को 'अलगाववादी' बताते हुए उनसे बातचीत करने से इनकार कर दिया था।
2016 तक चीन एक बड़ी आर्थिक और सैन्य शक्ति बन गया था, ऐसे में उसके लिए ताइवान को लाल आंखे दिखाना आसान हो गया है और ताइवान पर सैन्य कब्जा करने की संभावना बढ़ गई है।
जानकारी
ताइवान स्ट्रेट पर भी दावा करता है चीन
ताइवान के अलावा चीन ताइवान स्ट्रेट पर भी अपना दावा जताता आया है। यह 180 किलोमीटर का समुद्री गलियारा है, जो चीन को ताइवान से अलग करता है। चीन ने हालिया समय में कई बार ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ की है।
रुख
ताइवान पर अमेरिका का क्या रुख?
अमेरिका ने ताइवान को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन उसके ताइवान के साथ विस्तृत अनौपचारिक संबंध हैं और वह उसे कई तरह की मदद देता है।
पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो अमेरिका ताइवान की मदद के लिए अपनी सेना भेजेगा।
अगस्त में अमेरिकी संसद के निचले सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान दौरे पर आई थीं। इसके बाद से ही टकराव की स्थिति बनी हुई है।
वजह
ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन में क्यों टकराव?
चीन और अमेरिका इस समय पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में दबदबे को लेकर आमने-सामने हैं और इस लिहाज से ताइवान रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है।
अगर चीन ताइवान पर कब्जा कर लेता है तो इलाके में उसका दबदबा बढ़ जाएगा। इससे गुआम और दूसरे द्वीपों पर मौजूद अमेरिका के सैन्य ठिकानों पर भी खतरा बढ़ जाएगा।
इसके अलावा इससे वैश्विक स्तर पर अमेरिका की साख पर भी बड़ा बट्टा लगेगा और उसके लिए चीन को रोकना मुश्किल हो जाएगा।
तुलना
न्यूजबाइट्स प्लस
हालिया समय में चीन ने ताइवान के आसपास सैन्य तैनाती बढ़ाई है। सैन्य ताकत में चीन के मुकाबले ताइवान कहीं नहीं ठहरता है।
चीन के पास सक्रिय सैनिकों की संख्या 20 लाख से अधिक है, जबकि ताइवान में केवल 1.6 लाख सक्रिय सैनिक हैं।
चीनी वायुसेना में चार लाख के करीब जवान हैं, जबकि ताइवान की वायुसेना में केवल 35,000 जवान हैं। नौसेना में भी चीन के मुकाबले ताइवान बेहद कमजोर है।