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    ब्राजील की सरकारी इमारतों पर बोल्सोनारो के समर्थकों का धावा, यहां तक कैसे पहुंची स्थिति?

    ब्राजील की सरकारी इमारतों पर बोल्सोनारो के समर्थकों का धावा, यहां तक कैसे पहुंची स्थिति?
    लेखन प्रमोद कुमार
    Jan 09, 2023, 12:14 pm 1 मिनट में पढ़ें
    ब्राजील की सरकारी इमारतों पर बोल्सोनारो के समर्थकों का धावा, यहां तक कैसे पहुंची स्थिति?
    ब्राजील की सरकारी इमारतों पर बोल्सोनारो के समर्थकों का धावा, यहां तक कैसे पहुंची स्थिति?

    रविवार को ब्राजील की राजधानी ब्राजिलिया में पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों ने जमकर उपद्रव मचाया। ये लोग सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति भवन और संसद जैसी अहम इमारतों में घुस गए और जमकर तोड़फोड़ की। करीब तीन घंटों तक चले इस उपद्रव को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले इस्तेमाल करने पड़े। पुलिस ने हिंसा करने वाले 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। आइये जानते हैं कि बोल्सोनारो के समर्थकों का उपद्रव क्यों हुआ।

    मामूली अंतर से चुनाव हारे थे बोल्सोनारो

    पिछले साल अक्टूबर में हुए चुनाव के बाद ब्राजील की सत्ता दक्षिणपंथ से वामपंथ के हाथ आ गई है। वामपंथी वर्कर्स पार्टी के लूला डा सिल्वा ने दक्षिणपंथी जायर बोल्सोनारो को हराकर यह चुनाव जीता था। हालांकि, दोनों के बीच कांटे की टक्कर रही और लूला को 50.9 प्रतिशत वोट मिले, जबकि बोल्सोनारो के खाते में 49.1 फीसदी वोट आए। लूला की जीत घोषित होने के बाद से ही बोल्सोनारो के समर्थकों ने उनके खिलाफ विरोध शुरू कर दिया था।

    तल्खी भरा रहा था चुनाव अभियान

    इन चुनाव से पहले दोनों नेताओं के बीच तल्खी भरा चुनाव प्रचार अभियान देखने को मिला था। चुनाव के बाद भी दोनों नेताओं के समर्थक धड़ों के बीच तल्खियां कम नहीं हुईं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्राजील में दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच बड़ा विभाजन है। बोल्सोनारो के समर्थकों का कहना है कि देश के लोकतांत्रिक संस्थान अब उनकी नुमाइंदगी नहीं करते और संसद पर हमले को इसी के प्रस्तुतीकरण के तौर पर देखा जा रहा है।

    क्या हैं हिंसा के कारण?

    मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ब्राजील में हुई यह हिंसा केवल वामपंथ बनाम दक्षिणपंथ की लड़ाई न होकर लोकतांत्रिक संस्थानों के प्रति उन लोगों की हताशा है, जो चुनावी नतीजे स्वीकार नहीं करना चाहते। हिंसा में शामिल लोगों के अलावा लूला के कई ऐसे आलोचक भी हैं, जिन्होंने उनके खिलाफ गलत सूचनाएं फैलाकर कयासों को हवा दी थी। इन्हीं का नतीजा रविवार की हिंसा के तौर पर देखने को मिला है।

    बोल्सोनारो के समर्थकों के स्वीकार नहीं है हार

    बोल्सोनारो के कई समर्थक उन्हें ऐसे नेता के तौर पर देखते हैं, जिसने उनके मूल्यों को बचाया है। ये लोग लूला के अपने मूल्यों के लिए खतरे के तौर पर देखते हैं और उन्हें उम्मीद थी कि बोल्सोनारो वामपंथी नेता को हरा देंगे। चुनाव के दौरान कई अफवाहें भी फैलाई गईं कि वामपंथी नेता जीतते ही चर्च बंद कर देंगे। लोगों को लूला की हार की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वो नतीजे स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

    सेना से की हस्तक्षेप की मांग

    बोल्सोनारो के कई समर्थकों ने सैन्य बैरकों के सामने डेरा डालकर लूला को राष्ट्रपति बनने से रोकने की मांग की थी, लेकिन सेना ने इस पर कार्रवाई नहीं की और लूला ने राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली।

    बोल्सोनारो ने नहीं की शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत

    बोल्सोनारो ने भी चुनाव के नतीजे स्वीकार नहीं किए हैं और उन्होंने लूला के शपथ ग्रहण समारोह में भी शिरकत नहीं की। इसकी बजाय वो अमेरिका चले गए और फिलहाल वहीं रह रहे हैं। लूला जब शपथ लेकर राष्ट्रपति भवन में गए तो उनके आलोचकों के लिए यह बड़ा झटका था। सेना की तरफ से अपनी बात नहीं सुने जाने से नाराज बोल्सोनारो के समर्थकों ने कानून अपने हाथ में ले लिया और सरकारी इमारतों पर हमला कर दिया।

    बोल्सोनारो ने भी दी झूठे दावों को हवा

    आरोप है कि बोल्सोनारो ने भी झूठे दावों को हवा देते हुए ब्राजील की चुनाव प्रणाली की वैधता पर सवाल उठाए। प्रचार के दौरान उन्होंने कहा कि चुनाव प्रणाली में छेड़खानी हो सकती है। हालांकि, चुनाव आयोग ने इन दावों का खंडन किया था। बोल्सानारो की पार्टी ने चुनावों में छेड़खानी को लेकर अदालत का भी रूख किया था, जहां उसके दावे खारिज हो गए। इसके बाद कई लोगों को लगता है कि चुनाव निष्पक्ष तरीके से नहीं हुए थे।

    लूला ने बोल्सानारो पर लगाए लोगों को भड़काने के आरोप

    पिछले सप्ताह ब्राजील के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले लूला डा सिल्वा ने हिंसा के लिए बोल्सोनारो को जिम्मेदार ठहराया है। बोल्सोनारो को जिम्मेदार ठहराते हुए लूला ने कहा कि इन उपद्रवियों ने वो किया है, जो देश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। इन सभी लोगों की तलाश कर इन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। लूला ने पूर्व राष्ट्रपति को 'नरसंहारवादी' करार देते हुए कहा कि वो सोशल मीडिया के जरिये लोगों को उकसा रहे हैं।

    बोल्सोनारो ने किया आरोपों का खंडन

    बोल्सोनारो ने हिंसा के बीच करीब छह घंटे तक चुप्पी साधे रखी। इसके बाद उन्होंने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि शांतिपूर्वक प्रदर्शन लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन सरकारी इमारतों पर धावा और उन्हें नुकसान पहुंचाना गलत है।

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